रायपुर। एनीमिया मुक्त भारत अभियान (Anemia Free India Campaign) के अंतर्गत बच्चों, किशोरों, गर्भवती और शिशुवती महिलाओं को आईएफए (आयरन और फॉलिक एसिड) सप्लीमेंटेशन उपलब्ध कराने में छत्तीसगढ़ देश में तीसरे स्थान पर है. पूरे देश में छत्तीसगढ़ से आगे केवल तेलंगाना और तमिलनाडू ही हैं. एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत छह माह से 19 वर्ष तक के बच्चों, किशोर-किशोरियों और गर्भवती व शिशुवती महिलाओं को आईएफए की खुराक दी जाती है.

एनीमिया मुक्त भारत अभियान (Anemia Free India Campaign) के अंतर्गत बच्चों, किशोरों, गर्भवती और शिशुवती महिलाओं को आईएफए (आयरन और फॉलिक एसिड) सप्लीमेंटेशन उपलब्ध कराने में छत्तीसगढ़ देश में तीसरे स्थान पर है एवं पूरे देश में छत्तीसगढ़ ही पहला राज्य जहां हीमोग्लोबिन की क्यूवेट बेस्ड एक निजी कंपनी द्वारा बनाई गई है. जिसका लाभ पूरे प्रदेश की जानता को मिल रहा है जिसके कारण छत्तीसगढ़ अनीमिया मुक्त होने के लिए अग्रसर है. जितनी जांच उतनी उपचार के छत्तीसगढ मॉडल के मूल मंत्र को अगर अन्य राज्यो में लागू किए जाए तो देश जल्दी अनीमिया मुक्त हो जाएगा.

मितानिनों के जरिये छोटे बच्चों को आयरन और फॉलिक एसिड सिरप, स्कूलों में शिक्षकों के माध्यम से और आंगनवाड़ी केंद्रों में शाला त्यागी किशोरियों को आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के माध्यम से आईएएफ प्रदान किया जा रहा है. साथ ही गर्भवती और शिशुवती महिलाओं को नियमित प्रसव पूर्व जांच और अस्पतालों के माध्यम से आयरन, फॉलिक एसिड टेबलेट प्रदान किया जा रहा है.

एनीमिया मुक्त अभियान में छत्तीसगढ़ लगातार कर रहा बेहतर प्रदर्शन

भारत सरकार के जरिये हर तिमाही और वार्षिक एनीमिया मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आईएफए सप्लीमेंटेशन का स्कोर कॉर्ड जारी किया जाता है. केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने हाल ही में जारी वार्षिक एनीमिया मुक्त भारत स्कोर कार्ड में छत्तीसगढ़ राज्य पूरे देश में आईएफए सप्लीमेंटेशन में तीसरे स्थान पर रहा है. छत्तीसगढ़ राज्य एनीमिया मुक्त भारत अभियान में लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रहा हैं. आईएफए सपलिमन्टेंशन में राज्य वर्ष 2021-22 में आठवें स्थान में था, जो वर्तमान में वर्ष 2022-23 में तीसरे स्थान में पहुंच गया हैं.

एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. वी.आर. भगत ने बताया कि छत्तीसगढ़ एनीमिया दूर करने आईएफए सप्लीमेंटेशन में उत्तरप्रदेश, बिहार, गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक जैसे कई बड़े राज्यों को पीछे छोड़ते हुए लगातार तीसरे स्थान पर काबिज़ है. प्रदेश में पिछले कुछ महीनों में इस अभियान में खासी तेजी आई है.

भारत सरकार के वर्तमान में वर्ष 2022-23 के लिए राज्यवार आईएफए सप्लीमेंटेशन के जारी आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में छह माह से 59 माह के 78.5 प्रतिशत बच्चों को और पांच वर्ष से नौ वर्ष के 83.6 प्रतिशत बच्चों को आईएफए सप्लीमेंटेशन दिया गया है. प्रदेश में इस दौरान दस वर्ष से 19 वर्ष के 86.4 प्रतिशत बच्चों व किशोरों, 95 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं और 74.4 प्रतिशत शिशुवती महिलाओं (Lactating Mothers) को आईएफए सप्लीमेंटेशन की खुराक दी गई है. इन सभी समूहों को मिलाकर छत्तीसगढ़ में आईएफए सप्लीमेंटेशन का ओवरऑल स्कोर 83.6 प्रतिशत है.

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