सुदीप उपाध्याय, बलरामपुर। जिस महिला एवं बाल विकास विभाग पर गर्भवती व धात्री महिलाओं तथा बालकों के विकास की जिम्मेदारी है, वह अधिकारियों एवं कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा है. आलम यह है कि एक अधिकारी के भरोसे 3 परियोजनाओं को संचालित किया जा रहा है. यही कारण है कि आंगनबाड़ी केंद्रों के बंद होने की वजह से बच्चे बाहर दरवाजे पर बैठ थाली बजाने को मजबूर हैं.

बता दें कि बलरामपुर जिले में महिला बाल विकास विभाग के कुल 7 परियोजना कार्यालय संचालित हैं, जिसमें वाड्रफनगर, रघुनाथनगर, रामानुजगंज, बलरामपुर राजपुर, शंकरगढ़, कुसमी है. इनमें से वाड्रफनगर, रघुनाथनगर और रामानुजगंज के कार्यालय केवल एक परियोजना अधिकारी के भरोसे संचालित किया जा रहे हैं. वहीं राजपुर, शंकरगढ़ और कुसमी परियोजना एक अधिकारी के भरोसे अतिरिक्त प्रभार पर संचालित कराए जा रहे हैं.

शासन-प्रशासन की उदासीनता के चलते बीते हुए कई वर्षों से ऐसी स्थिति बनी हुई है कि अतिरिक्त प्रभार होने के कारण अधिकारी फील्ड विजिट करने में भी असमर्थ नजर आते हैं. यही कारण है कि दूरस्थ अंचलों में बसे आंगनबाड़ी केंद्र कई दिनों तक नहीं खुलते. इसका उदाहरण रघुनाथनगर अंतर्गत ग्राम सोनहत का आंगनबाड़ी केंद्र बना हुआ है, जहां आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कई दिनों से केंद्र को नहीं खोल रही है, जिसकी वजह से छोटे बच्चे केंद्र के सामने थाली लेकर ताली बजाते नजर आ रहे हैं.

इस पूरे मामले पर जब जिला महिला बाल विकास अधिकारी बसंत मिंज से बात कि तो उन्होंने कहा कि अधिकारियों की कमी के चलते समस्याएं तो हैं. शासन से हमने लिखित रूप से मांग की है कि रिक्त पदों को जल्दी भरी जाए. वहीं आंगनबाड़ी केंद्र न खोलने की बात पर उन्होंने कहा कि जल्द ही हम टीम गठित कर वहां जांच करेंगी और उचित कार्रवाई भी करेंगे.