रोहित कश्यप, मुंगेली। केंद्रीय राज्य मंत्री और प्रदेश के डिप्टी सीएम के गृह जिले के महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी को न तो प्रभारी मंत्री के निर्देश और न ही कलेक्टर के आदेश की कोई परवाह है ? आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भर्ती में गड़बड़ी करने वाले अधिकारियों को बचाने कलेक्टर न्यायालय के आदेश की अवहेलना करने में भी ये अफसर नही चुके।

मामला आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भर्ती में हुई गड़बड़ी से जुड़ा है। जिले के परियोजना कार्यालयों में आंगन बाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका भर्ती में गड़बड़ी के मामले को जिले के प्रभारी मंत्री लखनलाल देवांगन ने संज्ञान लेकर महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी सुरेश सिंह को कलेक्टर के मार्गदर्शन में गड़बड़ियों को दुरुस्त कर दोषियों पर कार्रवाई करने की बात कही गई। जिसके बाद कलेक्टर ने जांच समिति गठित कर भर्ती से जुड़े ढेरो शिकायतों की जांच कराई । जिस पर परियोजना कार्यालयों में अलग अलग भर्ती नियम बनाये जाने, विज्ञापन भर्ती में एकरूपता नही होने जैसी बातें सामने आई।वही कलेक्टर न्यायालय में जिला दंडाधिकारी द्वारा भर्ती में गड़बड़ी की पुष्टि और नियम विरुद्ध भर्ती करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई का आदेश पारित हो जाने के बाद भी DPO सुरेश सुरेश सिंह ने नियुक्ति करने वाले अधिकारियों पर अब तक आदेश के मुताबिक कार्रवाई नही की है। जबकि, कलेक्टर न्यायालय के आदेश में नियक्ति करने वाले अफसरो पर कार्रवाई का प्रस्ताव 15 दिवस में भेजने के लिए आदेशित किए हुए महीनों गुजर गए। ऐसे में कहा जा सकता है कि इस अफसर को न तो मंत्री के निर्देश का और नही कलेक्टर के आदेश की परवाह है ?

कलेक्टर न्यायालय में हुई मामले की सुनवाई

इस भर्ती से जुड़े शिकायतों के अंबार लगने के बाद कलेक्टर राहुल देव ने आंगन बाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका भर्ती से जुड़े मामलों की सुनवाई अभ्यर्थियों द्वारा शिकायत एवं अपील किये जाने पर कलेक्टर न्यायालय में किया गया। दो दर्जन से भी ज्यादा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका भर्ती में गड़बड़ी के मामले को कलेक्टर न्यायालय में सुनवाई के लिए लिया गया। क्योंकि नियुक्ति किये जाने के बाद कलेक्टर न्यायालय में ही मामले की सुनवाई अपील के रूप में किये जाने का प्रावधान है। जिस पर नियुक्ति को चैलेंज किये जाने पर पर्याप्त दस्तावेज होने और गड़बड़ी होने की पुष्टि होने पर पर निरस्त भी किया जा सकता है।

कलेक्टर न्यायालय में क्या हुआ है आदेश ?

प्रकरण 1: अपीलार्थी सीमा साहू ,निवासी ग्राम खेढा मुंगेली, ने एकीकृत बाल विकास परियोजना मुंगेली-1 के द्वारा ग्राम पंचायत खेढा के आंगनबाड़ी केंद्र खेढा -1 में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पद की पूर्ति हेतु साक्षी शर्मा को नियुक्ति प्रदान की गई। जिसके विरुद्ध में कलेक्टर न्यायालय में सीमा साहू ने अपील किया। जिस पर अपील को स्वीकार करते हुए 27 मार्च 2024 को कलेक्टर न्यायालय मुंगेली के पीठासीन अधिकारी कलेक्टर राहुल देव द्वारा आदेश पारित किया गया। जिसमे शासकीय निर्देशो के विरुद्ध उत्तरवादी क्रमांक 1 साक्षी शर्मा को गरीबी रेखा का 6 अंक प्रदान करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही का प्रस्ताव जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास, जिला मुंगेली आदेश पारित होने के 15 दिवस के भीतर प्रस्तुत करने कहा गया था।

प्रकरण 2: अपीलार्थी रिंकी भास्कर ,निवासी ढबहा मुंगेली, ने एकीकृत बाल विकास परियोजना मुंगेली -1 के द्वारा ग्राम ढबहा के आंगनबाड़ी केंद्र ढबहा -1 में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पद की पूर्ति हेतु प्रीति पात्रे को नियुक्ति प्रदान की गई। जिसके विरुद्ध में कलेक्टर न्यायालय में रिंकी भास्कर ने अपील किया। जिस पर अपील को स्वीकार करते हुए 27 मार्च 2024 को कलेक्टर न्यायालय मुंगेली के पीठासीन अधिकारी कलेक्टर राहुल देव द्वारा आदेश पारित किया गया। जिसमे शासकीय निर्देशो के विरुद्ध उत्तरवादी क्रमांक 1 प्रीति पात्रे को गरीबी रेखा का 6 अंक प्रदान करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही का प्रस्ताव जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास ,जिला मुंगेली आदेश पारित होने के 15 दिवस के भीतर प्रस्तुत करें।

मुंगेली परियोजना 1 में सबसे ज्यादा गड़बड़ी की शिकायत

जिला मुख्यालय स्थित महिला एवं बाल विकास विभाग के परियोजना कार्यालय -1 में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका की भर्ती को लेकर सबसे ज्यादा शिकायतें है,पूर्व में कांग्रेसियों ने सीएम विष्णदेव साय के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर नियम विरुद्ध की गई भर्ती को निरस्त करने एवं गलत तरीके से नियुक्ति करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की थी।यह मामला कई दिनों तक मीडिया में सुर्खियां बटोरती रही, BPL का जो 6 अंक अभ्यर्थियों को देना होता है इसको लेकर शिकायत थी,जिसमे परियोजना अधिकारी प्रमिला पांडेय के ऊपर भर्ती नियमो में कांट छांट कर विज्ञापन भर्ती निकालने का आरोप लगा था।आरोप यह भी था कि अलग अलाव नियमावली में भर्ती विज्ञापन निकालकर चहेतों को लाभ पहुंचाया गया।क्योंकि एक ही भर्ती विज्ञापन में किसी गांव के केंद्र में अभ्यर्थी को BPL का 6 अंक तभी दिया गया है जब सक्षम अधिकारी द्वारा प्रमाणित BPL का प्रमाण पत्र पेश किया गया है,इस केंद्र में सरपंच सचिव से प्रमाणित BPL प्रमाण पत्र पर नंबर नही दिया गया है,जबकि उसी विज्ञापन भर्ती के अतर्गत दूसरे गांव के केंद्र में सरपंच सचिव द्वारा प्रमाणित करने मात्र से ही BPL का 06 अंक दे दिया गया है।जो कि गंभीर जांच का विषय है।

DPO का गोलमोल जवाब

इस मामले में महिला एवं बाल विकास विभाग मुंगेली के जिला कार्यक्रम अधिकारी सुरेश सिंह का कहना है कि मेरे द्वारा संबंधित परियोजना अधिकारी को नोटिस जारी किया गया था, उनका जवाब भी आ गया है. आगे की कार्रवाई के लिए प्रस्तुत हो रहा है।

अब सवाल ये है कि 27 मार्च 2024 को कलेक्टर न्यायालय ने 15 दिन के भीतर नियम विरुद्ध नियुक्ति कर्ता अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए प्रस्ताव भेजने का आदेश था, लेकिन DPO साहब को तीन से चार महीने में इतना भी समय नहीं मिला कि कलेक्टर न्यायालय के आदेश का पालन किया जा सके।

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