यत्नेश सेन, देपालपुर (इंदौर)। 31 अगस्त से शुरू होने वाले गणेश महोत्सव तैयारियां जोरों से चल रही हैं। मूर्तिकार गणपति की मूर्तियों को अंतिम स्वरूप देने में लगे हुए हैं। वहीं ‘इको फ्रेंडली गणेश’ की डिमांड ज्यादा है। आगरा गांव में गाय के गोबर और गोमूत्र से बने इको फ्रेंडली गणेश हों तो इसकी डिमांड बढ़ना लाजमी है कि क्योंकि हिंदू रीति-रिवाज में गाय के गोबर की पूजा होती है। इंदौर का आगरा गांव इको फ्रेंडली गणेश के लिए आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। गांव की अंगुरबाला नागर पिछले 9 साल से ‘इको फ्रेंडली गणेश’ तैयार कर रहीं हैं। अंगुरबाला नागर गाय के गोबर, गोमूत्र, शहद, दूध और काली मिट्टी से बाल गणेश तैयार करती हैं। इतना ही नहीं गांव की महिलाओं-युवतियों को इको फ्रेंडली गणेश बनाने के लिए निशुल्क प्रशिक्षण भी दे रही हैं। साथ ही पर्यावरण के प्रति जागरुक करने गांवों में जाकर निशुल्क गाय के गोबर से बने गणेश (Ganesha made from cow dung) को बांटती भी हैं।
देपालपुर के आगरा गांव की महिला अंगुरबाला नागर पंचायत में पंच भी हैं। वे पूरी तरह से इको फ्रेंडली गणेश याने गाय के गोबर, गोमूत्र, दूध, शहद और काली मिट्टी के मिश्रण से गणेश प्रतिमा का निर्माण कर रही हैं। वे पिछले कई सालों से इसी तरह गोबर से गणेश प्रतिमा का निर्माण करती आ रही हैं। इतना ही नहीं वे गांव की महिलाओं और बालिकाओं को प्रतिमा बनाने का निशुल्क प्रशिक्षण भी देती हैं। जिससे अधिक से अधिक यह हुनर लोग सिख सकें। वे इन मूर्तियों को बनाकर निशुल्क गांव के लोगों परिजनों और रिश्तेदारों को भेंट करती हैं।
पीओपी से बनी मूर्तियों के कारण जल और मृदा प्रदूषण होता है
नागर ने बताया कि पीओपी (प्लास्टर ऑफ पेरिस) की प्रतिमाओं के कारण पर्यावरण और जल स्रोतों को नुकसान पहुंचता है। पीओपी की प्रतिमाओं में रासायनिक रंगों का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसी प्रतिमाओं के विसर्जन से जलस्रोत प्रदूषित हो जाते हैं। कई जलीय जीवों की मौत हो जाती है। इसलिए जरूरी है कि घरों में ईको फ्रेंडली प्रतिमाओं का निर्माण हो है। इसे देखते हुए मैं पिछले 9 साल से गाय के गोबर से प्रतिमाएं तैयार रही हूं।
इस तरह तैयार की जाती है मूर्तियां
अंगुरबाला ने बताया कि प्रतिमाएं बनाने के लिए गोबर, गो मूत्र, दूध दही और काली मिट्टी को मिलाकर बिना सांचे के अपने हाथों से ही गणेश प्रतिमा तैयार करती हैं। नागर ने कहा कि गोबर के गणेश काफी शुभ माने गए हैं। गोबर गणेश की पूजा का भी विशेष महत्व है। इसी को देखते हुए गाय के गोबर से मूर्ति बनाने की सोची और इसे साकार किया। मैं पिछले 9 वसाल से अपने घर में अपने हाथों से बनी गणेश प्रतिमा की स्थापना कर रहीं हूं। दसवें दिन घर में ही पानी में विसर्जन कर इस पानी को तुलसी के क्यारे में डाल देती हूं।
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