नई दिल्ली। अनिल अंबानी ने अपनी रिलायंस एनर्जी को अडानी ट्रांसमिशन ने 18,800 करोड़ रुपए में बेच दिया है. तीन महीने में अडानी ट्रांसमिशन कंपना को टेक ओवर करने की प्रक्रिया पूरी करेगा. लेकिन द वायर में छपी खबर के मुताबिक आरटीआई से जानकारी मिली है जिसमें रिलायंस एनर्जी ने 1451.69 करोड़ रुपए के कई ऐसे करों का भुगतान महाराष्ट्र सरकार को नहीं किया है. जिन्हें कंपनी ने उपभोक्ताओं से सरचार्ज, टॉस, ग्रीन सेस और सेल्स टैक्स आदि के नाम पर वसूले हैं.
द वायर के मुताबिक आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने आरटीआई के जरिए यह जानकारी हासिल की थी. गलगली ने इस डील पर सवाल उठाया है उन्होंने कहा कि अगर रिलायंस एनर्जी को अडानी ट्रांसमिशन ने खरीद लिया है तो 1451.69 करोड़ रुपए का भुगतान कौन करेगा? इस नुकसान की भरपाई के लिए क्या उपभोक्ताओं को बिजली बिल की ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी.
गलगली ने द वायर से बात करते हुए बताया, ‘रिलायंस एनर्जी ने अक्टूबर 2016 से अक्टूबर 2017 के बीच उपभोक्ताओं से 14,51,69,15,200 रुपये वसूले और इतनी बड़ी रकम का सरकार को भुगतान भी नहीं किया. अब जब अडानी ट्रांसमिशन ने इस कंपनी को ख़रीद लिया है तो सवाल यह पैदा होता है कि इतनी बड़ी रकम का भुगतान दोनों में से आख़िर करेगा कौन?’
जून में शुरू हुए सांताक्रूज डिविज़न में कार्यरत इलेक्ट्रिसिटी इंस्पेक्टर मीनाक्षी वाथोर के अनुसार, रिलायंस एनर्जी ने जून 2017 से अक्टूबर 2017 के बीच 591,50,53,500 रुपये इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी, इलेक्ट्रिसिटी टैक्स, टॉस और ग्रीन सेस के नाम पर वसूले हैं.
एक दूसरे आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, अक्टूबर 2016 से मई 2017 के बीच रिलायंस ने उपभोक्ताओं से विभिन्न टैक्सों करके अंतर्गत 860,18,61,700 रुपये वसूले हैं. कुल मिलाकर अक्टूबर 2016 से अक्टूबर 2017 के बीच 1451.69 करोड़ रुपये का टैक्स कंपनी द्वारा जमा नहीं करवाया गया है.
निरूपम ने द वायर से बात करते हुए कहा, ‘मैंने एमईआरसी को पत्र लिख कर कहा है कि उपभोक्ताओं के बारे में भी विचार किया जाना चाहिए, क्योंकि अगर यह पैसा नहीं भरा गया तो सरकार के लिए ये नुकसान होगा. सरकार अपने नुकसान की भरपाई करने के लिए बिजली की कीमतों में इज़ाफ़ा करेगी और इसका सीधा भार उपभोक्ताओं पर आएगा.’
उन्होंने कहा, ‘हम यह समझ कर चलते हैं कि दो निजी कंपनी आपस में कोई भी लेन-देन कर सकती है, लेकिन हमें यह समझना होगा कि अगर इस तरह के किसी लेन-देन से जनता भी प्रभावित होगी, तो यह एमईआरसी की ज़िम्मेदारी बनती है कि वे उपभोक्ताओं के लिए काम करें. हम चाहते हैं कि एमईआरसी इसका संज्ञान लेते हुए इस लेन-देन को रोके और 1451.69 करोड़ रुपये की वसूली किए बिना अडानी पावर को बिजली वितरण का काम सौंपा न जाए.’
द वायर की ओर से रिलायंस एनर्जी से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन ख़बर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं मिल सका है. कंपनी को ईमेल के ज़रिये भी सवाल भेजे गए हैं. (सौ.- द वायर)