प्रमोद निर्मल, मानपुर. मानपुर ब्लॉक अंतर्गत नेडगांव ग्राम पंचायत के आमाटोला गाँव के नदी के पास करीब 4 करोड़ की लागत से बना एनीकट निर्माण के बाद चार साल के भीतर ही ढह गया। गुणवत्ता विहीन निर्माण का नतीजा ही कहें कि ये एनीकट की ऊंचाई से नीचे तक बह रहे पानी के दबाव को झेल नहीं सका और बीच से टूटकर नीचे धस गया। एनीकट का ढहना और ढहने के बाद शेष बचे एनीकट की भी जर्जर स्थिति निर्माण में हुए भारी भ्रष्टाचार और संबंधित अफसरों व ठेकेदार की लापरवाही की कहानी बयान कर रही है। वहीं दूसरी ओर प्रशासनिक महकमे के जिम्मेदार अधिकारी एनीकट बहने के लिए पानी को दोष दे कर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
गुणवत्ता विहीन समाग्री का इस्तेमाल
टूटे हुए हिस्सो को देखकर साफ पता चलता है कि एनीकट बांधने के लिए गुणवत्ता विहीन छड़ो का इस्तेमाल किया गया है। वही एनीकट के स्ट्रक्चर को बांधने के लिए पर्याप्त छड़े भी नहीं लगाई गई हैं। सीमेंट का उपयोग भी नाममात्र का किया हुआ प्रतीत होता है। यही वजह है कि एनीकट का ढांचा पानी के बहाव को झेल नहीं सका। यहां लगाए गए पाइपों की हालत भी ऐसी कि मानो दरारों वाले जर्जर पाइपो को डाल कर एनीकट बनाया गया है। निर्माण में उपयोग किये गए पत्थरों- गिट्टियों की गुणवत्ता पर भी सवाल उठना लाजमी है जो एनीकट को बांध कर रखने में नाकाम रह गए। और एनीकट ढह गया।
आधे एनीकट में पड़ी दरारे
करीब 100 मीटर लंबे इस एनीकट के बीचोबीच का 20 प्रतिसत से ज्यादा हिस्सा टूट कर ढह गया। बाकी के हिस्से भी इस कदर क्षतिग्रस्त स्थिति में है कि ये भी कब ढह जाए कोई ठिकाना नहीं। एनीकट के अधिकांश हिस्से बड़ी-बड़ी दरारों की चपेट में हैं। छड़े सीमेंट की परत चीर कर बाहर निकलने लगे हैं। सीमेंट उखड़ने के चलते सीमेंटी परत की जगह गिट्टियां दिखने लगी हैं। एनीकट पूरी तरह से जमीदोज होने की कगार पर हैं। वहीं दोनों ओर से पानी के कटाव की चपेट में आकर यहां बनाई गई सीढ़िया भी टुकड़ों में बंटने लगी है।
ग्रामीणों के अवागमन में परेशानी
उक्त नदी के दोनों तरफ करीब दर्जनों गाँव बसे हुए है। अब जबकि एनीकट बह गया है तो इससे इन गांवों के किसानों को एनीकट के पानी ठहराव से जो फायदा होता था वह प्रभावित होगा। यही नहीं आस-पास नदी को पार करने के लिए पुल भी नहीं है। एनीकट नदी पार करने के लिए पुल का काम करता था लेकिन ग्रामीणों से आवाजाही का जरिया भी छीन गया। ग्रामीणों में एनीकट बह जाने से खासा रोष देखा जा रहा है। एनीकट के इर्द गिर्द आमाटोला, देहारीपारा, नेडगाव, कोंदाबोडी सहित दर्जनों गाँव बसे हुए हैं।
पहले से ही पानी का नहीं था ठहराव
ग्रामीणों की माने तो एनीकट की गुणवत्ता ऐसी थी कि यहां पानी भी ज्यादा नहीं ठहरता था इससे जितना फायदा उन्हें मिलना चाहिए उतना नहीं मिलता। ग्रामीण जयलाल कोरेटी, मोती राम समेत अन्यों ने बताया कि बारिस के दौरान यहाँ जो पानी जमा होती थी वह ज्यादा समय तक जाम नहीं रह पाती थी। एनीकट में बहुत पहले से जगह जगह दरारे और छेद हैं। जिसके चलते पानी हमेशा रिसते रहता है। और पानी ठहरने के बजाय बह जाता है।
अधिकारी झाड़ रहे पल्ला
इस मामले पर सिंचाई विभाग के एसडीओ शशिकांत त्रिवेदी से बात करने पर उन्होंने बताया कि ठेकेदार गोरेलाल गुप्ता के द्वारा ये एनीकट बनाया गया है। वही दो इंजीनियरों की देखरेख में निर्माण हुआ है। विभागीय अफसर हालांकि ये जरूर कह रहे है कि ठेकेदार को बुलाकर उचित कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी। और इंजीनियरों की भी जवाबदारी तय होगी। लेकिन जिम्मेदार अधिकारी ये कह कर कि पानी ज्यादा बह रहा था इसलिए एनीकट ढह गया, अपना पल्ला झाड़कर वे विभाग व ठेकेदार की बजाय सारा दोष पानी पर मढ़ते दिख रहे हैं।