रायपुर. आमतौर पर परंपरा यही है कि दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा और मंदिरों अन्नकूट होता है लेकिन इस बार सूर्यग्रहण के कारण भगवान का अन्नकूट 26 अक्टूबर को होगा. अन्नकूट का मतलब होता है भगवान कृष्ण को लगने वाला छप्पन भोग.
मुरलीधर को छप्पन भोग में ऐसे खाद्य पदार्थों का भोग लगाया जाता है जिन्हें वर्षाकाल में खाना निषेध माना जाता है. छप्पन भोग को लेकर पुराणों में कई कथाएं प्रचलित हैं. इसे सभी जानते हैं, लेकिन यहां अब आपको बता रहे हैं भगवान श्रीकृष्ण के महाभोग के कौन-कौन से व्यंजन होते हैं.
छप्पन भोग में शामिल व्यंजन
- भक्त (भात)
- सूप (दाल)
- प्रलेह (चटनी)
- अवलेह (शरबत)
- बालका (बाटी)
- इक्षु खेरिणी (मुरब्बा)
- सदिका (कढ़ी)
- दधिशाकजा (दही शाक की कढ़ी)
- सिखरिणी (सिखरन)
- त्रिकोण (शर्करा युक्त)
- परिष्टश्च (पूरी)
- शतपत्र (खजला)
- सधिद्रक (घेवर)
- बटक (बड़ा)
- मधु शीर्षक (मठरी)
- फेणिका (फेनी)
- कर्पूरनाड़ी (लौंगपूरी)
- चिल्डिका (चोला)
- सुधाकुंडलिका (जलेबी)
- धृतपूर (मेसू)
- वायुपूर (रसगुल्ला)
- चन्द्रकला (पगी हुई)
- दधि (महारायता)
- स्थूली (थूली)
- चक्राम (मालपुआ)
- खंड मंडल (खुरमा)
- गोधूम (दलिया)
- परिखा
- सुफलाढय़ा (सौंफ युक्त)
- दधिरूप (बिलसारू)
- मोदक (लड्डू)
- शाक (साग)
- सौधान (अधानौ अचार)
- मंडका (मोठ)
- पायस (खीर)
- दधि (दही)
- गोघृत (गाय का घी)
- हैयंगपीनम (मक्खन)
- मंडूरी (मलाई)
- कूपिका (रबड़ी)
- पर्पट (पापड़)
- शक्तिका (सीरा)
- लसिका (लस्सी)
- सुवत
- संघाय (मोहन)
- सुफला (सुपारी)
- सिता (इलायची)
- फल
- तांबूल
- मोहन भोग
- लवण
- कषाय
- मधुर
- तिक्त
- कटु
- अम्ल