रायपुर. छत्तीसगढ़ पुलिस के 7 पुलिस अधिकारियों को राष्ट्रपति के वीरता पदक की घोषणा की गई है. जिन्हें 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस समारोह में ये वीरता पदक दिया जाएगा.

दिनांक 14 जुलाई, 2019 को पुलिस अधीक्षक दंतेवाड़ा को सीपीआई (माओवादी) के कटेकल्याण क्षेत्रीय समिति दरहा डिवीजन के 10-15 सशस्त्र माओवादियों के गुमियापाल कर्रेपारा के जंगलों में मौजूद होने के बारे में मुखबिरों से एक सटीक खुफिया जानकारी प्राप्त हुई, जिनमें कट्टर माओवादी जगदीश (डीवीसीएम), विनोद (डीवीसीएम), देवा (डीवीसीएम), प्रदीप (एसीएम) और मंगली (एसीएम) शामिल थे. पुलिस स्टेशन किरंदुल, गुमियापाल कर्रेपारा अत्यधिक संवेदनशील नक्सली गांवों में से एक है और सीपीआई (माओवादी) के मुख्य क्षेत्र में स्थित है.



एक विस्तृत ऑपरेशनल योजना बनाई गई और डीआरजी पार्टियों (नफरी 86 ) को उप निरीक्षक मोहन भारद्वाज और उप निरीक्षक अश्वनी सिन्हा के नेतृत्व में जब पुलिस दल गुमियापाल के जंगलों में पहुंचा, तब वहां पर घात लगाकर बैठे हुए नक्सलियों ने पुलिस बलों पर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी. उप निरीक्षक मोहन भारद्वाज और उप निरीक्षक अश्वनी सिन्हा के नेतृत्व वाले डीआरजी के सैन्य दस्ते ने दृढ़तापूर्वक जवाबी कार्रवाई की.

गोलीबारी बंद होने के बाद, मुठभेड़ क्षेत्र की तलाशी की गई, जिसमें एक पुरुष और एक महिला के शव बरामद किए गए, जिनकी पहचान बाद में माओवादी मंगली हेमला, मलंगीर क्षेत्र समिति सदस्य और दरभा डिवीजन चिकित्सक टीम प्रभारी, ग्राम पुवारली, पुलिस स्टेशन जगरगुंडा, जिला सुकमा और (2) माओवादी हर्निया शंकर उर्फ देवा, मलंगीर क्षेत्र समिति सदस्य और सीएनएम कमांडर, ग्राम जंगमपाल, पुलिस स्टेशन कुकनार, जिला सुकमा के रूप में की गई. मुठभेड़ स्थल से एक 303 राइफल और एक देशी हथियार बरामद किया गया. सुरक्षा बलों को मिली सफलता में उप निरीक्षक अश्वनी सिन्हा की भूमिका महत्वपूर्ण थी. माओवादियों के गढ़ में मिली इस ऑपरेशनल सफलता से नक्सलियों को झटका लगा और पुलिस को इस क्षेत्र में मजबूती से पांव जमाने में मदद मिली.

सुरक्षा बलों को मिली सफलता में पुलिस अधीक्षक डॉ. अभिषेक पल्लव ( भापुसे) की भूमिका महत्वपूर्ण थी. उन्होंने नक्सलियों की मौजूदगी के बारे में सटीक खुफिया जानकारी एकत्र की और तत्पश्चात अतिरिक्त पुलिस बल का नेतृत्व किया, जो समय पर मुठभेड़ स्थल पर पहुंच गया. माओवादियों के मुख्य क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने में सटीक खुफिया जानकारी महत्वपूर्ण थी.
इस ऑपरेशन में डॉ. अभिषेक पल्लव, भापुसे, पुलिस अधीक्षक और अश्वनी सिन्हा, उप निरीक्षक ने अदम्य वीरता, साहस और उच्चकोटि की कर्तव्यपरायणता का परिचय दिया.

15 अप्रैल, 2020 को, डॉ. अभिषेक पल्लव, पुलिस अधीक्षक, दंतेवाड़ा को अपने मुखबिरों के माध्यम से सीपीआई (माओवादी) के पश्चिम बस्तर डिवीजन के 60-70 सशस्त्र माओवादियों (वरिष्ठ माओवादी कमलू पूनेम, डीवीसीएम, चंद्रन्ना, डीवीसीएम, संजय कादती, डीवीसीएम और अन्य सहित) की मौजूदगी के संबंध में एक विशेष खुफिया जानकारी प्राप्त हुई.


एक विस्तृत ऑपरेशनल योजना बनाई गई और डीआरजी (264 नफरी), एसटीएफ (50 नफरी), नफरी) बटालियन सीआरपीएफ 230 (50और बस्तरिया बटालियन (24 नफरी ) की संयुक्त पार्टियों को बजे रवाना किया गया. अगली सुबह जब पुलिस पार्टियां पोरोवाड़ा के जंगलों के बीच पहुंची, तो वहां पर घात लगाकर बैठे हुए माओवादियों ने पुलिस बलों पर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी. इस दौरान रिजर्व निरीक्षक नक्सल ऑपरेशन वैभव मिश्रा गोलीबारी की चपेट में आ गए और उन्होंने दृढ़तापूर्वक जवाबी कार्रवाई की तथा अन्य डीआरजी समूहों ने भी आत्मरक्षा में घेराबंदी तथा गोलीबारी करनी शुरू कर दी.

डीआरजी 02 के रिजर्व निरीक्षक नक्सल ऑपरेशन वैभव मिश्रा ने जमकर युद्ध किया और अपने समूह का नेतृत्व किया. उन्होंने उत्कृष्ट नेतृत्व कौशल का प्रदर्शन किया और अपनी टीम का मार्गदर्शन किया. उन्होंने डीआरजी टीम के समग्र पार्टी कमांडर पुलिस उपाधीक्षक देवांश राठौर को वायरलेस सेट के माध्यम से सूचित किया. इस ऑपरेशन में वैभव मिश्रा, रिजर्व निरीक्षक ने अदम्य वीरता, साहस और उच्चकोटि की कर्तव्यपरायणता का परिचय दिया.

कुवेमारी क्षेत्र में नक्सल कैडरों की मौजूदगी के बारे में सिद्धार्थ तिवारी, आईपीएस, पुलिस अधीक्षक (कोंडागांव) को विशेष आसूचना शाखा ( एसआईबी) द्वारा एक विशिष्ट सूचना प्रदान की गई. इस सूचना के आधार पर, सिद्धार्थ तिवारी, पुलिस अधीक्षक द्वारा एक ऑपरेशन की योजना बनाई गई. जब पार्टी नक्सलियों के ठिकाने का घेराव कर रही थी, तभी हेड कांस्टेबल उसारू राम कोर्राम ने एक वर्दीधारी नक्सली को देखा, जो पुलिस पार्टी पर गोलीबारी कर रहा था. हेड कांस्टेबल उसारू राम कोर्राम अपनी जान की परवाह किए बिना उस नक्सली कैडर की ओर कूद पड़े और उसके हथियार को छीनने का प्रयास किया. दोनों के बीच हाथापाई शुरू हो गई, जिसे देखकर पास में ही खड़ा एक अन्य नक्सली कैडर हेड कांस्टेबल उसारू राम कोर्राम की ओर आया और उसने अपनी 303 राइफल की बट से उनका सिर फोड़ने की कोशिश की.

इस हाथापाई में हेड कांस्टेबल उसारू राम कोर्राम घायल हो गए, लेकिन जब तक उनकी टीम के सदस्य मौके पर नहीं पहुंचे, तब तक वे बहादुरी का प्रदर्शन करते हुए नक्सलियों से लड़ते रहे. अन्य पुलिसकर्मियों को देखकर, नक्सली कैडर हेड कांस्टेबल उसारू राम कोर्राम को छोड़कर थोड़ा दूर भाग गए और पुलिस पार्टी पर गोलीबारी फिर से शुरू कर दी. उप निरीक्षक यशवंत श्याम ने भारी गोलाबारी के बीच बहादुरी से अपने दल का नेतृत्व किया और जवाबी गोलीबारी के साथ नक्सलियों को घेरना शुरू कर दिया. उप निरीक्षक यशवंत श्याम ने अनुकरणीय साहस दिखाया और आगे बढ़कर नेतृत्व करते हुए, नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए बल को प्रोत्साहित करते रहे.

डीआरजी केरलापाल के 42 पुलिस कर्मियों तथा सहायक कमांडेन्ट योगेंद्र सिंह के नेतृत्व में सीआरपीएफ की दूसरी बटालियन के 52 पुलिस कर्मियों के साथ पार्टी कमांडर उप निरीक्षक बृजलाल भारद्वाज, पार्टी के द्वितीय कमान अधिकारी उप निरीक्षक उत्तम कुमार तथा उप निरीक्षक भीमार्जुन तांडी के नेतृत्व में पुलिस स्टेशन चिंतागुफा की पुलिस पार्टी दिनांक 21 नवंबर 2019 को कुल 98 पुलिस कर्मियों के साथ नक्सल-रोधी अभियान के लिए बडेमागुड़ा चिगनगुड़ा, सिरसेटी. मुलेर. गंधारपारा. माडोपारा एवं पोंगाभेज्जी गांव की ओर रवाना हुई.

जब पुलिस पार्टी पर माओवादियों ने हमला किया, तब उत्तम कुमार, उप निरीक्षक, डीआरजी भेज्जी, जिला सुकमा के द्वितीय कमान अधिकारी ने अत्यधिक सूझ-बूझ, कुशल नेतृत्व, शानदार ऑपरेशनल क्षमता और विशिष्ट रणनीतिक बुद्धिमत्ता का प्रदर्शन किया तथा बल का नेतृत्व करते हुए, टीम को नुकसान पहुंचाने की माओवादियों की महत्वाकांक्षा को सफलतापूर्वक विफल कर दिया. उनकी इस कार्रवाई से न केवल उनके जवानों की जान बची, बल्कि माओवादियों का हमला भी विफल हो गया और उन्होंने माओवादियों को मारने और एक खूंखार नक्सली का शव बरामद करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
इस ऑपरेशन में उत्तम कुमार, उप निरीक्षक ने अदम्य वीरता, साहस और उच्चकोटि की कर्तव्यपरायणता का परिचय दिया.


पुलिस स्टेशन कटेकल्याण, जिला दंतेवाड़ा के तहत आने वाले क्षेत्र में माओवादी कैडरों की मौजूदगी के संबंध में सूचना प्राप्त होने पर 21अगस्त 2015 को पुलिस अधीक्षक, दंतेवाड़ा ने एक नक्सलरोधी अभियान की योजना बनाई. इस योजना में चार पार्टियों को शामिल किया गया और उन्होंने विभिन्न स्थानों से प्रस्थान किया. सहायक प्लाटून कमांडर कृष्णपाल सिंह के नेतृत्व में टीएफ-09 के 46 सुरक्षाकर्मियों वाली एक टीम जगदलपुर से गांव तहकवाड़ा, तोंगपाल के लिए रवाना हुई. रास्ते में उन्हें ग्राम दरभा के समीप एनएच-30 पर पेड़ काटकर रास्ता अवरूद्ध किए जाने के सम्बन्ध में सूचना प्राप्त हुई. टीएफ-09 पार्टी लक्ष्य क्षेत्र की ओर रवाना हो गई. जब ऑपरेशनल बल लक्ष्य की ओर बढ़ रहा था और गांव दरभा के पास पहुंचा, तो नक्सलियों ने पुलिस पार्टी को देखते ही उसके ऊपर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी.

पुलिस पार्टी ने भी आत्म-रक्षा में जवाबी कार्रवाई करते हुए नक्सलियों पर गोलीबारी की. मुठभेड़ के दौरान, सहायक प्लाटून कमांडर कृष्णपाल सिंह गोली लगने से गंभीर रूप से घायल हो गए और मौके पर ही शहीद हो गए. जब नक्सलियों को यह महसूस हुआ कि पुलिस पार्टी उनसे ज्यादा ताकतवर हैं, तो वे घने जंगल की ओर भाग गए. इस ऑपरेशन में स्व. कृष्णपाल सिंह कुशवाह, सहायक प्लाटून कमांडर ने अदम्य वीरता, साहस और उच्चकोटि की कर्तव्यपरायणता का परिचय दिया.

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