छत्तीसगढ़ में हाथियों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. आखिर क्या वजह है कि एक के बाद एक 6 हाथियों ने बीते दो सप्ताह के अंदर दम तोड़ दिया. वन विभाग की किस चूक का खामिजाया जंगली हाथियों को भुगतना पड़ा है. कोरोना संकट के बीच लगातार इनका मरना कई सवालों को जन्म देने के साथ ही वन विभाग में हड़कंप मचा रखा है.
शेख आलम,धरमजयगढ़। रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ में एक और दंतैल हाथी की मौत हो गई है. आतंक का पर्याय बना गणेश हाथी है, जिसका शव मिला है. गणेश हाथी ने कई इलाके में लोगों की जान ले चुका था और कई घरों को तबाह किया था. बीती रात छाल रेंज के बेहरामार गाँव के किनारे वह विचरण कर रहा था. सुबह गांव में उसका शव बरामद हुआ. मौत की वजह क्या हो सकती है इसका पता नहीं चल सका है. हाथी की मौत की सूचना पाकर वन विभाग की टीम घटना स्थल पर पहुंचकर पूरे मामले की जांच में जुट गई है.
डीएफओ प्रियंका पांडे के मुताबिक मृतक हाथी गणेश है, जिसे कॉलर आईडी लगाया गया था, लेकिन कुछ माह पहले ही उसके गले से रेडियो कॉलर आईडी गिर गया था. फिर से गणेश का रेस्कयू करने वन विभाग द्वारा तमाम कोशिश भी की गई थी, लेकिन गणेश की पहचान नहीं हो पा रही थी. उन्होंने कहा कि गणेश की पहचान उसके गले के निशान से हुई है. जहां कॉलर आईडी लगाया गया था. मौके पर कटहल मिला है, जिसे गणेश ने खाया है. उसके शरीर पर चोट के कोई निशान मिला नहीं है. जिससे उसकी मौत की वजह साफ नहीं पाई है.
वन विभाग के आलाधिकारी कर्मचारी मौके पर हैं और मौत की वजह ढूंढने में लगे हैं. आखिर मौत का कारण क्या हो सकता है ? इससे पहले भी धरमजयगढ़ के गेरसा गांव में 16 जून को एक हाथी की मौत हो गई थी. जिसकी मौत करंट की चपेट में आने से होना पाया गया था.
दो सप्ताह के भीतर 6 हाथियों की मौत
- छत्तीसगढ़ में इन सभी हाथियों की जान 9 जून से लेकर 18 जून के बीच गई.
- सूरजपुर के प्रतापपुर में 9 और 10 जून को एक गर्भवती हथिनी समेत 2 हथिनी की मौत हुई थी.
- बलरामपुर के अतौरी के जंगल में 11 जून को 1 हाथिनी की मौत.
- धमतरी के माडमसिल्ली के जंगल में 15 जून को एक हाथी के बच्चे की मौत.
- रायगढ़ के धरमजयगढ़ में 16 और 18 जून को 2 हाथियों की मौत.