कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय की बीकॉम और बीएससी ऑनर्स की 68 कॉपियां गायब होने के मामले में अब तक कोई भी जानकारी प्रबंधन के हाथ नहीं आ सकी है। डाक विभाग भी कोई ठोस जवाब नहीं दे पा रहा है। ऐसे में अब छात्र संगठन इस मामले को हाई कोर्ट की दहलीज पर ले जाने की तैयारी में आ गए हैं। 

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दरअसल ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय में छात्र-छात्राओं की उत्तर पुस्तिकाओं के गायब होने का यह कोई पहला मामला नहीं है। यही वजह है कि विश्वविद्यालय में कॉपियां गायब होना भी अब एक घोटाला बन गया है। ऐसे आरोप विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र और उनके संगठन लगा रहे हैं। उनका कहना है कि विश्वविद्यालय में पूर्व में भी इस तरह कॉपियां गायब हो चुकी है। जिसके चलते जो होनहार छात्र हैं उनके भविष्य के साथ सीधे तौर पर खिलवाड़ होता है। क्योंकि विश्वविद्यालय लापरवाहों पर कोई कार्रवाई न करते हुए गायब हुई उत्तर पुस्तिकाओं के आधार पर छात्रों को औसत अंक देकर खाना पूर्ति कर लेता है। ऐसे में बार-बार कॉपियां गायब होने के बावजूद यदि दोषियों पर कार्रवाई नहीं की गई तो अब इस मामले को हाई कोर्ट की दहलीज पर ले जाना होगा।

कब-कब विश्वविद्यालय की उत्तर पुस्तिकाएं गायब हुई 

– नर्सिंग छात्रों की उत्तर पुस्तिकाओं का बंडल ऑटो से गिरना बताया गया,जबकि विश्वविद्यालय के पास खुद के डाक वाहन मौजूद हैं। इसके बाद छात्रों को औसत अंक दिए गए, लेकिन बंडल कैसे गायब हुआ इसकी जांच नहीं की गई,जिसके चलते दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।

– विश्वविद्यालय के परीक्षा भवन में कॉपियां के बंडल में आग लगने के बाद छात्र-छात्राओं को औसत अंक दिए गए लेकिन आग कैसे लगी किसकी लापरवाही से लगी इस मामले पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।

– मूल्यांकन के लिए भेजी गई कॉपियों का बंडल प्रोफेसर की गाड़ी की डिग्गी से गायब होना बताया गया। ऐसी स्थिति में छात्रों को औसत अंक दिए गए और प्रोफेसर को 3 साल के लिए मूल्यांकन से ब्लैकलिस्टेड कर खानापूर्ति की गई। लेकिन कॉपियां कैसे गायब हुई इसकी कोई जांच नहीं कराई गई। 

– शासकीय डाक से बीकॉम और बीएससी ऑनर्स की 68 कॉपियां भिंड के शासकीय कॉलेज भेजी गई जो की बीच रास्ते से ही गायब हो गई। जिसका रिकॉर्ड अब डाक विभाग और विश्वविद्यालय प्रबंधन के पास भी नहीं उपलब्ध हो पा रहा है और छात्रों को औसत अंक देने की तैयारी है। लेकिन लापरवाही किसकी रही इस पर कोई भी एक्शन प्लान तैयार नहीं हुआ।

विश्वविद्यालय प्रबंधन की ओर से प्रोफेसर डॉ विमलेन्द्र राठौड़ का कहना है कि गुम हुई कॉपियों को खोजने के प्रयास किया जा रहे हैं। डाक विभाग से लगातार बातचीत की जा रही है। फिलहाल छात्रों के भविष्य को देखते हुए उन्हें औसत अंक दिए जाएंगे ताकि उनके आगे की पढ़ाई बाधित न हो सके। साथ ही विश्वविद्यालय प्रबंधन मूल्यांकन के लिए भेजी जाने वाली कॉपियों का रिकॉर्ड रखने उनकी सॉफ्ट कॉपी डिजिटल सिस्टम में सेव करके रखेगा। ताकि कॉपियों के गुम होने या फिर किसी कारणवश खराब होने पर सिस्टम में उपलब्ध सॉफ्ट कॉपियों का मूल्यांकन कर छात्रों का परिणाम जारी हो सके।

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गौरतलब है कि पूर्व में विश्वविद्यालय मूल्यांकन केंद्र स्थापित करता था जहां सभी प्रोफेसर को विश्वविद्यालय कैंपस में आकर उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन करना होता था। जिसके चलते उत्तर पुस्तिकाएं गायब नहीं होती थी। लेकिन जब से उत्तर पुस्तिकाओं को मूल्यांकन के लिए बाहर भेजा जाने लगा है, तब से यह बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। हालांकि विश्वविद्यालय प्रबंधन दावा कर रहा है कि अब बाहर भेजी जाने वाली उत्तर पुस्तिकाओं का सॉफ्ट कॉपी रिकॉर्ड सिस्टम में रखा जाएगा ऐसे में देखना होगा कि यह व्यवस्था विश्वविद्यालय कब से लागू करता है।

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