Rajasthan News: राजस्थान की अंता विधानसभा सीट के उपचुनाव का नतीजा कल घोषित होने है, जो राज्य की राजनीति में सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस दोनों के लिए ही एक प्रतिष्ठा का युद्ध बन गया है। यह चुनाव पूर्व विधायक कंवरलाल मीणा की अयोग्यता के कारण हुआ है, जिन्हें एक 20 साल पुराने आपराधिक मामले में दोषी ठहराया गया था। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह उपचुनाव प्रदेश के कई बड़े नेताओं के लिए एक परीक्षा साबित होगा।

भाजपा के लिए यह चुनाव मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की लोकप्रियता और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के अपने पारंपरिक दुर्ग में प्रभाव का आकलन माना जा रहा है। अंता सीट झालावाड़ संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आती है, जो वसुंधरा और उनके पुत्र दुष्यंत सिंह का गढ़ रहा है।

कांग्रेस ने प्रमोद जैन भाया को उम्मीदवार बनाया है, जिन्हें पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थन से टिकट मिला बताया जाता है। पार्टी ने एकजुटता दिखाते हुए सचिन पायलट सहित सभी बड़े नेताओं को प्रचार में उतारा है। इस एकजुटता का कितना लाभ मिलता है, यह देखना महत्वपूर्ण होगा।

त्रिकोणीय संघर्ष और नरेश मीणा का रोल

मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है, जहाँ पूर्व विधायक नरेश मीणा निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस से टिकट न मिलने के बाद उन्होंने यह रास्ता चुना है। विश्लेषकों के अनुसार, नरेश मीणा को हनुमान बेनीवाल और आम आदमी पार्टी के समर्थन से मिलने वाले वोट चुनाव के परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं।

क्यों है यह चुनाव इतना अहम?

हालाँकि 200 सीटों वाली विधानसभा में एक सीट के उपचुनाव का सीधा प्रभाव सीमित होता हैं, लेकिन अंता का यह चुनाव कई कारणों से महत्वपूर्ण बन गया हैं:

  1. सरकार के जनादेश का पैमाना: यह नई भाजपा सरकार के खिलाफ जनता के रुझान का एक संकेतक माना जा रहा हैं।
  2. आंतरिक दबाव: भाजपा के भीतर विभिन्न गुटों की ताकत का आकलन इससे हो सकेगा।
  3. विपक्षी एकजुटता: कांग्रेस में नेतृत्व स्तर पर दिखाई गई एकजुटता की वास्तविक परीक्षा यही होगी।

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