रायपुर। वित्त विभाग द्वारा मितव्ययिता व वित्तीय अनुशासन के नाम पर वर्ष में एक बार मिलने वाले इंक्रीमेंट में रोक लगाने का आदेश जारी किया गया है. इस आदेश को छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन ने कर्मचारियों को हतोत्साहित करने वाला तथा कर्मचारी विरोधी बताया है.

छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष संजय शर्मा, प्रदेश संयोजक सुधीर प्रधान, वाजिद खान, प्रदेश उपाध्यक्ष हरेंद्र सिंह, देवनाथ साहू, बसंत चतुर्वेदी, प्रवीण श्रीवास्तव, विनोद गुप्ता, प्रांतीय सचिव मनोज सनाढ्य, प्रांतीय कोषाध्यक्ष शैलेन्द्र पारीक ने कहा है कि कोविड -19 के संक्रमण के बचाव के लिए लागू देशव्यापी लॉकडाउन के कारण राजस्व प्राप्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का हवाला देते हुए राजस्व प्राप्ति की भरपाई कर्मचारियों के इंक्रीमेंट रोककर करना सर्वथा अनुचित तथा असहनीय है. शासन के पास राजस्व प्राप्ति के अन्य माध्यम भी है उनका उपयोग सरकार को करना चाहिए.

कोरोना संक्रमण काल मे निम्न वर्ग को विभिन्न प्रकार के लाभ व सुविधाएं दी जा रही है. वहीं उद्योग, व्यापार के लिए सहायता का पैकेज जारी किया गया है, तो कर्मचारियो के हिस्से में वर्ष में एक बार वेतनवृद्धि का समय आता है, उस पर रोक लगाने से महंगाई के दौर में उनके परिवार की व्यवस्था बिगड़ जाएगी, आखिर सरकार कर्मचारियो के लिए ऐसे कठोर निर्णय कैसे ले सकती है? इस आदेश को तत्काल वापस लेने की मांग छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन ने की है.

बता दें कि प्रदेश के सभी कर्मचारी वर्तमान करोना काल मे भी इस महामारी से लड़ने हर स्तर पर सहयोग कर रहे हैं, कर्मचारियों ने अपने वेतन से 1 दिन का वेतन भी कोरोना लड़ाई में सहायता के लिए दिया है, ऐसे में उनके इंक्रीमेंट को रोकना मतलब कर्मचारियों के कार्य करने की क्षमता पर अवरोध उतपन्न करना है.

पहले से ही अघोषित रूप से मंहगाई भत्ता रुका हुआ है, उसे जारी करने के बजाय वेतन वृद्धि रोककर वेतन को स्थायी करने का आदेश अव्यवहारिक है, कर्मचारियों की सेवाभाव व कर्मचारी परिवार के हित में इस आदेश को सरकार तत्काल वापस ले.