कुमार इन्दर, जबलपुर। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को लगे एंटीबॉडी कॉकटेल ट्रायल के लिए मध्य प्रदेश भेजा गया है. प्रदेश के अलग-अलग मेडिकल कॉलेजों को ऐसे ही एंटीबॉडी कॉकटेल इंजेक्शन मिले हैं. जबलपुर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज को भी एंटीबॉडी की 50 डोज उपलब्ध कराए गए हैं. इसमें दो दवाओं का मिश्रण होता है और इस इंजेक्शन को लगा कर अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति को कोरोना से बचाया गया था.

जबलपुर मेडिकल कॉलेज को यह इंजेक्शन मिले हुए 4 से 5 दिन बीत चुके हैं. बावजूद इसके अभी तक एक भी मरीज पर इंजेक्शन ट्रायल नहीं हुआ है. मरीजों पर इसका अभी तक ट्रायल क्यों नहीं किया गया, इसका जवाब मेडिकल कॉलेज के कोई भी जिम्मेदार देने के लिए तैयार नहीं हैं।

आपको बात दे कि शहर में पिछले 5 दिनों में कोरोना से 38 लोगों की मौत हो चुकी है. ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि क्या इन इंजेक्शनों का इस्तेमाल कर लोगों की जान नहीं बचाई जा सकती थी. बताया जा रहा है कि यह इंजेक्शन माइल्ड और माँडरेट मरीजों को लगाएं जाएग. ये इंजेक्शन माइल्ड और मॉडरेट मरीजों के लिए रामबाण माना जा रहा है,  जबकि मेडीकल अस्पताल प्रबंधन को इस दवा का ट्रायल कर अपनी रिपोर्ट सौंपनी हैं.

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जानकारी के मुताबिक एंटीबॉडी कॉकटेल में 1200 एमजी की दवा होती है. 600 एमजी केसिरिविमैब और 600 एमजी इम्डेविमैब में है. जो सरकारी ख़रीद पर एक डोज़ की क़ीमत 59750 रुपए है, जबकि दोनों के मल्टी डोज़ बैग की क़ीमत 1 लाख 10 हज़ार रुपए है. यही इंजेक्शन शहर के दो निजी अस्पतालों ने भी मंगवाए हैं.

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क्या है यह कॉकटेल
केसिरिविमैब और इम्डेविमैब दरअसल एक मोनोक्लोनल एंटीबॉडी है. यह खासतौर पर उन सार्स-कॉव-2 के स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ निर्देशित होते हैं, जो कोरोना वायरस का मुख्य कारण होते हैं. ये कॉकटेल वायरस के मानव कोशिकाओं में प्रवेश को रोकने का काम करते हैं.

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