नियामुद्दीन, अनूपपुर। एक मां के लिए दिवाली का इससे बड़ा तोहफा क्या है सकता है, जब 10 साल से बिछड़ा उसका बेटा उसे गले लगाने के बाद मां बोले। एेसी ही भवनात्मक कहानी मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले से आई है। एक बिछड़े हुए बेटे को अपनी मां से मिलवाने में बाल कल्याण समिति (child welfare committee) और महिला एवं बाल विकास विभाग (Women and Child Development Department)  ने अहम रोल निभाया है। इनके कारण हीकरीब 10 सालों बाद एक बेटा अपनी मां से मिल पाया। अचानक 10 साल बाद उसका नन्हा शिवा आज बड़ा होकर रैम्बो के रूप उसके आंखों के सामने आकर खड़ा हो गया और मां कहते हुए गले से लगा लिया। कभी बेटे की जुदाई में आंखों से आशुओं का सैलाब बहाने वाली मां आज उसके आने की ख़ुशी के आशुओं का सैलाब बहा रही है। सैलाब है कि अब रुकने का नाम ले रहा है

दरअसल अनूपपुर जिले के सुदूर अंचल पर बसे छुलहा टोला की सीता धनवार के घर 10 साल बाद मुद्दतों की मन्नत के बाद दिवाली होगी। सीता धनवार के परिजनों को जो खुशी आज मिली है। उसके लिए वह सालों से तरस रहे थे। दरअसल सीता का बड़ा बेटा लगभग 10 साल पहले अचानक घर से गुम हो गया था। घर वालों ने तलाश करने की बहुत कोशिश की, लेकिन अपने बच्चे को नहीं तलाश कर सके। थक हार कर सीता ने इसे भगवान की मर्जी मानकर अपनी किस्मत से समझौता कर लिया। इसके बाद अब 10 साल बाद अंततः उसके जिगर का टुकड़ा वापस लौट आया। एक माँ को उसके बेटे से मिलवाने में बाल कल्याण समिति और महिला एवं बाल विकास विभाग ने अहभ भूमिका निभाई है।

दिल्ली के बाल गृह में था युवक 

एक दशक के बाद बाल कल्याण समिति अनूपपुर को दिल्ली से खबर मिली की बालक दिल्ली के बाल सहयोग बाल गृह में है। बाल कल्याण समिति अनूपपुर द्वारा महिला एवं बाल विकास विभाग अनूपपुर के जिला कार्यक्रम अधिकारी विनोद परस्ते को इसकी सूचना दी। बालक के घर की तलाश कर समिति के अध्यक्ष कुमार ध्रुव ने गृह भृमण रिपोर्ट तैयार कर दिल्ली भेजी। बाल कल्याण समिति और महिला एवं बाल विकास विभाग ने दिल्ली बाल कल्याण समिति, बाल सहयोग बाल गृह से समन्वय स्थापित कर बालक की घर वापसी को सुनिश्चित किया गया। लगभग दो माह के प्रयास के बाद आखिरकार दिवाली के ठीक पहले धनतेरस को सीता धनगर के घर उनका पुत्र पहुंचा।

मां-बेटे का यह भावुक मिलन देख सबकी आंखों में आ गए आंसू

10 साल बाद जैसे ही सीता ने अपने बेटे को देखा उनकी आंख से अविरल अश्रुधारा फूट पड़ी। अपनी मां को देखकर बेटा भी भावुक हो गया और वह भी अपने आंसू नहीं रोक पाया । मां से लिपटकर बड़ी देर तक रोता रहा। मां-बेटे का यह भावुक मिलन देखकर वहां उपस्थित सभी लोग भी भावुक हो गए।

बाल कल्याण समिति ने एक साल में बिछ़ड़े बच्चों को परिवार से मिलवाया 

बाल कल्याण समिति अनूपपुर ने अपने 1 साल के कार्यकाल में लगभग 250 से अधिक संरक्षण और देखरेख के जरूरतमंद बच्चों को अपने परिजनों के पास सुरक्षित पहुंचाया गया है। उनका सुरक्षित घर वापसी करवाई गई है।