बिष्टजी…आपने रांग नंबर डायल कर दिया…

एयरपोर्ट पर जिस किसान के बेटे और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को यूपी पुलिस घेरे हुए है. उनका रिकॉर्ड पढ़ लीजिए. भूपेश बघेल ने सांड को पूंछ पकड़ कर नहीं रोका, बल्कि सामने से सींगों को थाम कर मुकाबला किया. ऐसे ही संघर्ष की स्याही से बदलाव का इतिहास रचा, तभी आज कांग्रेस के पास 70 और बीजेपी के पास सिर्फ़ 14 सीट हैं.

नब्बे के दशक में सड़क मार्ग से भोपाल जाते हुए जंगलों में लुटेरों से लुटे हुए लोगों की पुकार सुनकर ये न केवल रुक कर उनकी मदद करते हैं, बल्कि अपने जीवन को खतरे में डालकर लुटेरों का घने जंगलों में पीछा करते हैं.

और सुनिए…
1992 के दंगों की त्रासदी के खिलाफ अखबारों में तो कई लोग आये पर सड़कों पर इतने लोग नहीं उतरे. खासतौर पर देश जब दंगों से झुलस रहा था, तब जितनी विज्ञप्तियां छप रही थी, उतने लोग सड़कों पर नहीं थे, पर…सबसे कठिन, खतरनाक और चुनौतीपूर्ण दौर में जो नवयुवक शांति भाईचारे का ध्वज लेकर सीधे सड़कों पर उतरा था, वह था भूपेश बघेल.

भूपेश बघेल ने उस दौर में सीधे 350 km की पदयात्रा निकालकर शांति, भाईचारे और धर्म निरपेक्षता की मिसाल पेश की थी, वो अविस्मरणीय हैं, इतिहास में दर्ज़ है और यही वजह है भूपेश बघेल पर केसरिया ब्रिगेड के हमले सबसे ज़्यादा होते हैं.

समझ लीजिये ये बोंसाई पौधा नहीं है, जो बस एयरपोर्ट में सजा रहेगा. ये वो वट वृक्ष है, जिसकी जटाएं फैल कर उत्तरप्रदेश के किले को तहस नहस कर देगा. पता ही होगा अब यू पी का पर्यवेक्षक कौन है ?. और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के लिए यहां की जनता की प्रतिक्रिया भी जान लीजिए.

” ये तेरा ताज नहीं है ‘हमारी’ पगड़ी है.
ये सर के साथ ही उतरेगी सर का हिस्सा है”

लेखक- अपूर्व गर्ग

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