दिल्ली. एप्पल ने चीन में मौजूद थर्ड पार्टी डिस्ट्रीब्यूटर्स के लिए आईफोन की कीमतों में कटौती शुरू कर दी है। जल्द ही कंपनी ये कदम भारत में भी उठा सकती है, जहां आईफोन अब भी एक महंगा विकल्प है।
हालांकि कंपनी के सीईओ टिम कूक ने कंपनी की कमाई के बारे में बात करते हुए भारत का नाम डायरेक्ट नहीं लिया। उन्होंने विश्लेषकों से बात करते हुए कई फैक्टर बताएं, जिनके कारण इमर्जिंग मार्केट में आईफोन की सेल नहीं बढ़ रही है।
उन्होंने कहा कि ग्राहक अपने पुराने आईफोन का लंबे समय तक इस्तेमाल करते हैं। टिम ने कहा कि जब आप इसे मैक्रोइकोनामी फैक्टर के साथ जोड़ते हैं, खासकर इमर्जिंग मार्केट में, तो नजर आएगा कि पिछले साल के मुकाबले आईफोन का रेवेन्यू 15 फीसदी कम हुआ है।
इसके साथ ही टिम कुक ने आईफोन की बढ़ती कीमतों के लिए मजबूत होते डॉलर को जिम्मेदार बताया है। उन्होंने कहा कि मजबूत होते डॉलर के कारण दुनियाभर में हमारे प्रोडक्ट्स की कीमत बढ़ रही है। इसके अतिरिक्त उन्होंने बैटरी रिप्लेसमेंट प्रोग्राम को भी एक बड़ा कारक बताया है। टिम ने बताया कि बहुत से ग्राहकों के लिए हम बैटरी को सस्ता बनाते हैं, जिससे उनके आईफोन की लाइफ बढ़ जाती है।
हाल में ही सीएनबीसी को दिए एक इंटरव्यू में टिम ने बताया था कि भारत उनके लिए एक महत्वपूर्ण बाजार है। आईफोन निर्माता कंपनी बेहतर मार्केट के लिए सरकार से टैक्स राहत चाहती है। जिससे वह हैंडसेट की असेंबलिंग शुरू कर सकें और ब्रांडेड स्टोर खोल सकें। काउंटर प्वाइंट की रिपोर्ट के मुताबिक 2017 के मुकाबले 2018 में एप्पल की भारत में शिपमेंट 50 फीसदी कम हुई है। 2017 में शिपमेंट 32 करोड़ यूनिट थी, जो 2018 में 17 करोड़ यूनिट रह गई है।