कुमार इंदर, जबलपुर। मध्यप्रदेश में महाधिवक्ता कार्यालयों में शासकीय वकीलों की नियुक्ति मामले में सर्वोच्चय न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) ने सवाल उठाया है। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा महाधिवक्ता कार्यालय में आरक्षण नियम का पालन क्यों नहीं हो रहा है। महाधिवक्ता कार्यालय में आरक्षण अधिनियम 1994 क्यों लागू नहीं होता। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है।

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प्रदेश में कुल 1800 पद

नियुक्तियों में ओबीसी, एस.सी/एस.टी तथा महिलाओं के नियुक्तियों के डाटा पेश करने मध्य प्रदेश सरकार को दो सप्ताह का समय दिया है। महाधिवक्ता कार्यालय जबलपुर, इंदौर एवं ग्वालियर बैंच मिलाकर 1800 पद है।

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जिला न्यायालयों में एक हजार से ज्यादा पद

कोर्ट में एडिशनल एडवोकेट जनरल, डिप्टी एडवोकेट जनरल गवर्नमेंट एडवोकेट, डिप्टी गवर्नमेंट एडवोकेट के लगभग 150 से अधिक शासकीय अधिवक्ताओं के पद है। 500 से अधिक पैनल अधिवक्ताओं के पद है तथा प्रदेश के जिला न्यायालयों में एक हजार से ज्यादा पद है। निगम मंडल तथा बैंकों को मिलाकर लगभग 1800 पद है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एम.सुंद्रेश तथा जस्टिस सतीश शर्मा की खंडपीठ में सुनवाई हुई है।

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