अनूपपुर/मुरैना। शहर के जिला अस्पताल में 50 बिस्तर क्रिटिकल यूनिट निर्माण की स्वीकृति मिली है। इससे मरीजों को और बेहतर चिकित्सा सुविधा का लाभ मिलेगा। इधर मुरैना में मरीजों की भीड़ को देखते हुए डॉक्टर द्वारा बिना उपचार के लौटा दिए जाने का मामला सामने आया है।

न्यामुद्दीन अली, अनूपपुर। जिलेवासियों को स्वास्थ्य सुविधा को लेकर बड़ी सौगात मिली है। जिला अस्पताल अनूपपुर में 50 बिस्तर के क्रिटिकल यूनिट के निर्माण की स्वीकृति मिली है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री संजीवनी क्लीनिक का भी निर्माण कराया जाएगा। चिकित्सालय को पी.एस.ए आधारित ऑक्सीजन संयंत्र में 200 मीटर प्रति मिनट उत्पादन की सौगात मिली है।

जिला अस्पताल अनूपपुर में 50 बिस्तर के क्रिटिकल यूनिट के निर्माण की स्वीकृति दी गई है। इमरजेंसी चिकित्सा के माध्यम से दुर्घटना के पीड़ित व्यक्तियों को तत्काल राहत एवं सुविधा देकर जान बचाया जा सके। यह स्वीकृति केंद्र सरकार द्वारा जिला अस्पताल को दी गई है।

मध्यप्रदेश शासन द्वारा दुर्घटना से हो रही मौतों को रोके जाने के लिए अभियान चलाकर सर्वे किया था। दुर्घटना में मौत के आंकड़े को देखते हुए केंद्र सरकार को प्रतिवेदन भेजा गया था। प्रतिवेदन में बताया गया था कि दुर्घटना के कारण इमरजेंसी सुविधा न मिल पाने की वजह से लोगों की मौत हो जाती है। जानकारी डॉक्टर एससी राय, सीएचएमओ ने दी।

मनोज उपाध्याय, मुरैना। गर्मी के साथ जिला अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ रही हैं, दूसरी तरफ डाक्टरों की लापरवाही मरीजों का दर्द और बढ़ा रही है। शनिवार को जिला अस्पताल की ओपीडी में डा.बीएल मौर्य महिला मरीजों पर भड़क गए। डॉक्टर ने बीमार महिलाओं का इलाज करने से इंकार कर दिया। इसका वीडियो किसी ने बनाकर सीएमएचओ व सिविल सर्जन को भेज दिया। अब आला अफसर महिला मरीजों से अभद्रता करने वाले डॉ. के खिलाफ कार्रवाई की बात कर रहे हैं।

जिला अस्पताल की ओपीडी में मरीजों की संख्या 800 से बढ़कर 1400 के पार जा पहुंची है। इधर डाक्टरों की लापरवाही ऐसी कि शनिवार सुबह 11 बजे तक अधिकांश डाक्टर ओपीडी से लापता थे। ओपीडी में सैकड़ों मरीज बैठे थे। इसी दौरान सुबह 11 बजे के करीब डॉ. बीएल मौर्य पहुंचे तो मरीजों की भीड़ उनके चेंबर के सामने जुट गई। इसी दौरान महिला मरीजों की भीड़ देख डॉ गुस्सा हो गए और बुरी तरह फटकार लगाकर मरीजों को लौटा दिया। डॉ का यह बर्ताव देख कई मरीजों ने हंगामा कर दिया। एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पर डा. मौर्य ऐसे भड़के कि उनके पूरे विभाग को ही कोस डाला और इलाज करने से मना कर दिया।

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