नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश सरकार ने पिछले सप्ताह पोलावरम सिंचाई परियोजना के लिए बांध का निर्माण फिर से शुरू कर दिया है. पिछले साल अक्टूबर में केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा अग्रिम राशि के रूप में 2,300 करोड़ रुपये जारी करने से इस परियोजना को नई गति मिली है, जो 2019 से धन की कमी के कारण अटकी हुई थी.
पिछले साल जून में चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने केंद्र में सरकार बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी के साथ हाथ मिलाया था, जिसके बाद इस परियोजना के लिए धन जारी करना शुरू हुआ था. उस समय, केंद्र ने परियोजना के लिए 10,911 करोड़ रुपये के अतिरिक्त वित्तपोषण पर अपनी अनापत्ति जताई थी. फिर पिछले साल जुलाई में केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2024 में 2,300 करोड़ रुपये अग्रिम जारी करने से पहले आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा परियोजना पर खर्च किए गए 400 करोड़ रुपये की प्रतिपूर्ति की, जिसके बाद परियोजना के कार्य में तेज़ी आई है.
अधिकारियों में से एक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि परियोजना के लिए हम कुछ सहायक गतिविधियाँ कर रहे थे, लेकिन पिछले अक्टूबर में धनराशि जारी होने के बाद काम में तेज़ी आई. पिछले हफ़्ते हमने [बांध की] एक नई डायाफ्राम दीवार का निर्माण शुरू किया है.
छत्तीसगढ़ ने जताया है विरोध
पोलावरम परियोजना की वजह से ओडिशा, तेलंगाना के साथ छत्तीसगढ़ के हजारों ग्रामीणों को अपनी जमीन छोड़नी पड़ेगी. सबसे ज्यादा असर दोरला जनजाति पर पड़ेगा. बांध के डुबान में आने के बावजूद आंध्र सरकार ने छत्तीसगढ़ के करीब 550 प्रभावितों को न तो मुआवजा दिया है, न ही पुनर्वास नीति स्पष्ट की है.