रायपुर। राज्य शासन के संस्कृति और पुरात्व विभाग की टीम कबीरधाम जिला प्रशासन के रिर्पोर्ट के आधार पर ऐतिहासिक भोरमदेव मंदिर के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में जल्द काम शुरू करेगी. इसकी प्रांरभिक तैयारियां शुरू हो गई है. भोरमदेव मंदिर के परिसर और गर्भगृह में हो रहे बरसात के पानी के रिसाव और मंदिर के बाहरी भाग के क्षरण के वास्तविक कारणों का पता लगाया गया. जिला प्रशासन की रिपोर्ट पर आज गुरूवार को छत्तीसगढ़ संस्कृति एवं पुरात्व विभाग की टीम ने मंदिर परिसर का अवलोकन किया.

संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के डिप्टी डायरेक्टर अमृत लाल पैकरा की अवलोकन टीम में चार अलग-अलग तकनीकी विशेषज्ञों ने बारीकी से निरीक्षण किया. निरीक्षण टीम में पुरात्व विभाग के सहायक अभियंता सुभाष जैन, उप अभियंता दिलीप साहू, केमिस्ट विरेन्द्र धिवर, मानचित्रकार चेतन मनहरे और जिला प्रशासन की ओर से कवर्धा एसडीएम विनय सोनी, डिप्टी कलेक्टर रश्मी वर्मा, बोडला तहसीलदार अमन चतुर्वेदी शामिल थे.

पुरात्व विभाग की संयुक्त टीम ने भोमदेव मंदिर परिसर और आसपास क्षेत्रों का बारिकी से अवलोकन किया. अवलोकन के बाद टीम ने कलेक्टर रमेश कुमार शर्मा को भोरमदेव मंदिर परिसर के गर्भ गृह में पानी का रिसाव और बाहरी भाग के रक्षण होने के वास्तविक कारणों को बताया. पुरात्व विभाग की विशेषज्ञों की टीम ने बताया छत्तीसगढ़ में 11वीं शताब्दी काल में निर्मित और इसके समकालिन अन्य मंदिरों की तुलना में भोमरदेव मंदिर की स्थिति बहुत ही अच्छा है. कुछ कारणों से पानी का रिसाव हो रहा हैं. इसकी रिपोर्ट विभाग को दे दी जाएगी.

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विशेषज्ञों की टीम ने भोरमदेव मंदिर के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में मंदिर की उपरी भाग की विशेष साफ सफाई, पत्थरों के जोड़ों को पुनः फिलिंग करने और विशेष कोडिंग के लिए रिपोर्ट बनाई है. टीम ने मंदिर के आसपास के पेड़ों की छटाई करने की रिपोर्ट जिला प्रशासन को दी है. टीम ने बताया कि पतझड़ के मौसम में आसपास के पेड़ों के पत्ते मंदिर के उपरी भाग में जम गए है, जिसकी वजह से पानी की निकासी सही नहीं हो पा रही है. पुरात्व विभाग के विशेषज्ञों की टीम ने मंदिर के चारों दिशा में भूतल से नए सिरे से फिलिंग करने के लिए सर्वे किया है.

तकनीकी विशेषज्ञों की टीम ने मंदिर के गर्भगृह के बाहरी भाग में चावल, केमिकल युक्त गुलाल, चंदन और वंदन लगाने के लिए प्रतिबद्ध करने की बात कही है. एसडीएम विनय सोनी ने बताया कि मंदिर में अंदर गर्भगृह में भोरमेदव प्रतिभा में चावल और केमिकल युक्त गुलाल पर प्रतिबद्ध लगाया है. पुजारी अशीष शास्त्री ने बताया कि जिला प्रशासन के निर्देश पर गर्भगृह में चावल और केमिकल युक्त अन्य समाग्री के प्रवेश पर रोक लगाई गई है. सर्व साधारण को सूचना देने के लिए प्रबंधन समिति की ओर से सूचना पटल भी लगाई गई है.

कलेक्टर रमेश कुमार शर्मा ने बताया कि भोरदेव मंदिर में पानी की रिसाव की समस्या व मंदिर के विशेष सफाई के लिए जिला प्रशासन द्वारा पुरात्व विभाग को रिपोर्ट भेजी गई थी. रिपोर्ट और सूचना के आधार पर संस्कृति एवं पुरात्व विभाग के विशेषज्ञ टीम व जिला प्रशासन के अधिकारियों की उपस्थिति में संयुक्त रूप से आज गुरूवार को मंदिर का अवलोकन किया गया. मंदिर में होने वाले पानी रिसाव की समस्या के कारणों को पता लगाया गया है. रिपोर्ट के आधार पर पुरात्व विभाग द्वारा शीघ्र की मंदिर की मेटनेंश का काम किया जाएगा.

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