दिल्ली की रेखा गुप्ता सरकार(Rekha Gupta Govenment) ने पुराने वाहनों को स्क्रैप में देने और उनके फ्यूल पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय वापस ले लिया है. इस पर पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) की नेता आतिशी(Atishi) ने बीजेपी पर कटाक्ष किया है. आतिशी ने दिल्ली सरकार को ‘फुलेरा की पंचायत’ करार देते हुए कहा कि वे एक दिन निर्णय लेते हैं और अगले दिन उसे वापस ले लेते हैं. वे स्वयं स्वीकार करते हैं कि यह निर्णय सही नहीं है, और फिर तीसरे दिन पत्र लिखते हैं.

‘पत्र लिखकर खेल क्यों कर रहे हैं?’

आतिशी ने इस पर सवाल उठाया कि यदि निर्णय सही नहीं था, तो उसे लेने का कारण क्या था? और यदि वह निर्णय लिया गया था, तो उसे वापस क्यों नहीं लिया जा रहा है, पत्र लिखकर इस मामले में खेल क्यों किया जा रहा है?

‘कार विक्रेताओं से सरकार की सांठगांठ’

दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने बीजेपी सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि दिल्ली में बीजेपी की चार इंजन वाली सरकार है. यदि वे चाहतीं, तो तुरंत निर्णय को वापस ले सकती थीं, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. इसका कारण यह है कि बीजेपी का संबंध कार निर्माताओं, स्क्रैपर्स और विक्रेताओं के साथ है.

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‘सरकार को कार बनाने वालों से कितना चंदा मिला?’

आतिशी ने कहा कि उन्होंने बीजेपी से एक महत्वपूर्ण सवाल पूछा था, जिसका कोई उत्तर नहीं मिला. उन्होंने पूछा कि पिछले पांच वर्षों में बीजेपी को कार बनाने और बेचने वालों से कितना चंदा प्राप्त हुआ है. इसके साथ ही, उन्होंने 10 साल बाद वाहनों को हटाने के निर्णय को पूरी तरह से बेतुका, अतार्किक और निराधार बताया.

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली की मुख्य समस्या प्रदूषण है, जिसे कम करने की आवश्यकता है. इसका समाधान यह नहीं है कि हम 10 साल बाद सड़कों से गाड़ियां हटा दें. यह संभव है कि कुछ गाड़ियां 10 साल में केवल 50 हजार किलोमीटर चली हों, जबकि अन्य गाड़ियां 5 साल में तीन लाख किलोमीटर का सफर तय कर चुकी हों.

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आतिशी ने कहा कि कुछ गाड़ियों का रखरखाव इतना उत्कृष्ट होता है कि वे 10-15 साल बाद भी प्रदूषण नहीं फैलातीं. इसलिए, 10 साल के बाद ऑटोमैटिक गाड़ियों को हटाने का निर्णय पूरी तरह से अनुचित है. यह कदम दिल्ली के निवासियों को परेशान करने के उद्देश्य से उठाया गया है.

सरकार ने क्या सफाई दी?

दिल्ली सरकार के मंत्री मंजिदर सिरसा ने हाल ही में लिए गए यू-टर्न का समर्थन किया है, जिसमें उन्होंने विभिन्न चुनौतियों का उल्लेख करते हुए स्पष्ट किया कि सरकार को अपना निर्णय क्यों बदलना पड़ा. सिरसा ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (Commission for Air Quality Management) को एक पत्र में इस मुद्दे पर विस्तार से जानकारी दी है. उन्होंने आयोग से अनुरोध किया है कि निर्देश संख्या 89 के कार्यान्वयन को तब तक के लिए रोक दिया जाए, जब तक कि ऑटोमेटिक नंबर प्लेट पहचान (एएनपीआर) प्रणाली पूरे एनसीआर में लागू नहीं हो जाती. उनका मानना है कि दिल्ली सरकार के निरंतर प्रयासों से वायु गुणवत्ता में महत्वपूर्ण सुधार संभव है.

सिरसा ने बताया कि हमने उन्हें सूचित किया है कि जो ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन (ANPR) कैमरे स्थापित किए गए हैं, वे एक मजबूत प्रणाली नहीं हैं. इनमें कई समस्याएं मौजूद हैं, जैसे तकनीकी गड़बड़ियां, सेंसर का सही तरीके से काम न करना और स्पीकर की खराबी. ये सभी मुद्दे चुनौतीपूर्ण हैं.