हरिश्चंद्र शर्मा, ओंकारेश्वर। पवित्र नर्मदा तट आज सुबह भक्ति, आस्था और उल्लास से सराबोर दिखाई दिया। चार दिन तक चलने वाले महापर्व छठ का समापन मंगलवार की अलसुबह उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ हुआ। मध्यप्रदेश के ओंकारेश्वर, बड़वाह, नावघाट और खेड़ीघाट के नर्मदा घाटों पर उत्तर प्रदेश और बिहार से आए सैकड़ों परिवारों ने अपनी पारंपरिक रीति से सूर्य देव और छठी माईया की पूजा-अर्चना की।
अलसुबह चार बजे से ही श्रद्धालु परिवार घाटों पर पहुंचने लगे थे। गन्ने के मंडप सजाए गए, टोकरी में ठेकुआ, फल, मूलियां और आटे-शक्कर से बने पारंपरिक प्रसाद रखे गए। व्रतधारी महिलाओं ने नदी किनारे बेदी बनाकर माता छठी का पूजन किया। जैसे ही पूर्व दिशा में लालिमा फैली और सूर्य की पहली किरण क्षितिज पर दिखाई दी, वैसे ही नर्मदा जल में खड़ी व्रती महिलाओं ने अर्घ्य अर्पित किया। पूरे वातावरण में “छठी माईया की जय” और “सूर्य देवता की जय” के स्वर गूंज उठे।
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व्रतधारी मीना तिवारी, मंजू तिवारी, दिव्या सिंह, सुनेना सिंह और अन्य महिलाओं ने बताया कि छठ पर्व की शुरुआत 25 अक्टूबर को ‘नहाय-खाय’ से हुई थी। इसके बाद ‘खरना’ और ‘डूबते सूर्य को अर्घ्य’ की परंपरा निभाने के बाद आज ‘उगते सूर्य को अर्घ्य’ देकर पर्व का समापन किया गया। उन्होंने कहा कि यह पर्व न केवल संतान की दीर्घायु और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए है, बल्कि यह प्रकृति, सूर्य और जल के प्रति कृतज्ञता का भी उत्सव है।
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ग्राम पंचायत नावघाट के उपसरपंच देवेश ठाकुर ने बताया कि छठ महापर्व को लेकर विशेष तैयारियां की गईं। घाटों की सफाई, प्रकाश व्यवस्था और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए टीम तैनात रही। इस अवसर पर मंजू पति पशुपति तिवारी, मीना पति मार्कण्डेय तिवारी, दिव्या सिंह पति रणवीर सिंह, बाबली सिंह पति अंकुर सिंह, सुनेना सिंह पति श्याम नारायण सिंह, मिंटू पति अवध बिहारी राय सहित सैकड़ों परिवारों ने श्रद्धा और भक्ति के साथ छठी माईया का पूजन कर उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। नर्मदा के पवित्र तट पर सूर्य की किरणों के साथ झिलमिलाता जल और व्रती महिलाओं की आराधना का यह दृश्य आस्था, संस्कृति और प्रकृति के संगम का अनुपम उदाहरण बन गया।
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