जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में सोमवार को सेना और आतंकियों में जबरदस्त मुठभेड़ हुई थी. जिसमें सेना ने आतंकियों को मार गिराया. इस उपलब्धिय में सेना के असॉल्ट डॉग ‘जूम’ का अहम योगदान रहा. मुठभेड़ के दौरान जूम ने आतंकियों पर हमला बोल दिया, जिससे दो आतंकी बूरी तरह जख्मी हो गए. इसी दौरान आतंकियों ने जूम पर गोली चला दी. लेकिन फिर भी वह आतंकियों से लोहा लेता रहा. तीन दिन तक चले इलाज के बाद गुरुवार को जूम ने दम तोड़ दिया.
दरअसल, सेना को जानकारी मिली कि दो आतंकी एक घर में छिपे बैठे हैं. इसके लिए जूम को घर में भेजा गया. जहां जूम ने आतंकियों को ढूंढ निकाला और उन पर टूट पड़ा. इसी संघर्ष में आतंकियों ने जूम को गोली से जख्मी कर दिया. फिर भी जांबाज जूम उनसे लड़ता रहा. लेकिन आखिर तीन दिनों तक मौत से जूझने के बाद जूम की मौत हो गई.
जूम को थे कई टेरर ऑपरेशन के अनुभव
जूम को सोमवार को वेटरनरी हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था. यहां तीन दिनों से उसका इलाज चल रहा था. जिससे वह बेहतर महसूस कर रहा था, लेकिन गुरुवार दोपहर 12 बजे के करीब वह अचानक हाफने लगा और दम तोड़ दिया. सेना ने जूम के निधन के बाद बयान जारी करते हुए कहा कि आर्मी डॉग जूम हमारी टीम का एक अमूल्य सदस्य था. 2 साल की छोटी उम्र के बावजूद, जूम को कई टेरर ऑपरेशन का अनुभव थे, जिनमें उसने अपनी ऊर्जा और साहस से खुद को साबित किया था. 9 अक्टूबर को अनंतनाग में ऑपरेशन के दौरान भी ज़ूम ने अहम भूमिका निभाई थी.
सैनिकों की बचाई जान
चिनार कॉप्स ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, सेना का हमला कैनाइन ‘ज़ूम’ ने कर्तव्य की पंक्ति में अपना जीवन लगा दिया. 09 अक्टूबर 22 को ऑप तांगपावा के दौरान उन्हें गोलियों के घाव का सामना करना पड़ा, जहां उन्होंने सैनिकों की जान बचाते हुए आतंकवादियों से बहादुरी से लड़ाई लड़ी. राष्ट्र के प्रति उनकी निस्वार्थ प्रतिबद्धता और सेवा को हमेशा याद किया जाएगा.
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