जीवन के फलसफे भी अपने ही तरह के होते हैं कुछ लम्हें एवं अटल जी के साथ दो दिन का यात्रा संस्मरण 1995–96 का उड़ीसा में चुनावी वर्ष देवभोग से होते हुए हमें चुनाव स्थानों में पहुंचना था तब हमें क्या पता था कि छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण आपके हाथों होगा। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माता वाजपेयी जी के साथ सड़क मार्ग से होते हुए रेस्ट हाउस तौरेंगा पहुंचना हुआ तब आज जैसी विकट स्थिति नहीं थी वर्तमान में यह क्षेत्र नक्सल प्रभावित हो गया है। कवि, पत्रकार एवं राजनेता के दुर्लभ गुणों से युक्त व्यक्तित्व में प्रतिभा की गहराई को नजदीक से देखने का अवसर प्राप्त हुआ। छत्तीसगढ़ के वन्य जीवन की बात हो या सामाजिक, सांस्कृतिक विषय, सब पर पैनी नजर एवं चर्चा में अधिकारपूर्वक भागीदारी साथ ही मार्गदर्शन भी।
पॉलीटिकल जीनियस अटल जी के साथ बिताये इस यात्रा संस्मरण के कुछ रोचक पहलू मेरे जहन में मुझे रोमांचित कर देते हैं जब आपके द्वारा पैंथर के बच्चे को देखने व पालने का भाव रेस्ट हाउस के चौकीदार से प्रगट करते हैं तब हमें महसूस हुआ कि अपनी लेखनी व भाषण से लोगों में ओज व तेज प्रदान सकरने वाला शख्स प्रकृति को भी किस तरह से आत्मसात किये हुए हैं। वापसी में मेरे विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत रयापारा में एकात्म मानववाद के प्रणेता पं. दीनदयाल जी की पूर्ति स्थापना हो इसके लिए कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहित किया शिकायत नहीं समाधान का मूलमंत्र आपके द्वारा जो रखा गया वह बेशक ही हमें आगे बढ़ाता रहेगा। 12वीं लोकसभा में संसद सदस्य बनने पर मेरे द्वारा महासमुंद में किये गये विकास कार्यों की विवरणिका प्रकाशित करने की बात अटल जी को बतायी तो उनका हर्षित होना मेरे लिए गौरवमयी क्षण था।
अपनी भाव–भंगिमा से गागर में सागर एवं जनता के समक्ष अपनी अमिट छाप छोड़ने के अप्रतिम उदाहरणों में आज भी आप मिसाल हैं। किसी ने सच ही कहा है कि अटल जी को मिले सम्मानों से सम्मान ही सम्मानित हुआ है। 13 दिन, 13 महीने, 5 साल ये सभी कालखण्ड आने आप में राजनीति के महत्वपूर्ण अध्याय सिद्ध हुए हैं।
यद्यपि अटल जी आज हमारे मध्य नहीं है किन्तु उनके सार्वजनिक भाषण, सहज दृष्टि, उद्घोष और संसद में बहस व मार्मिक भाषण आज भी देश के आम लोगों में आत्मविश्वास और राष्ट्रबोध का संचार करता है। स्मरण आ रहा है कि 13वीं लोकसभा में जब “पोकरण‘ विस्फोट पर चर्चा थी तो मुझ जैसे नये सदस्य को भी उन्होंने बहस में भाग लेने के लिए प्रेरित किया और विदेश नीति पर अधिसूचित जागृत किया था। उनको दिये गये अलंकरण और सम्मान का एक लंबी श्रृंखला है। इसका उल्लेख प्रासंगिक है साथ ही उनके संसदीय जीवन के महत्वपूर्ण कालखंड को कमब करना सामयिक होगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में गठित मंत्रिमंडल ने 24 दिसम्बर 2014 को श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को भारत रत्न देने का महत्वपूर्ण फैसला किया।
श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने स्वतंत्रता आंदोलन में भी बढ़–चढ़कर भाग लिया। 1942 में आपको बिटिश हुक्मरानों ने जेल भेजा। आपातकाल के पूरे दौर में 1975 से 1977
तक आप जेल में रहे। राष्ट्र के प्रति समर्पित सेवाओं के लिए राष्ट्रपति ने 1992 में “पद्म विभूषण‘ से विभूषित किया। 1993 में कानपुर विश्वविद्यालय ने फिलॉसफी में डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की। 1994 में “लोकमान्य तिलक” पुरस्कार दिया गया। 1994 में “सर्वश्रेष्ठ सांसद” चुना गया और “गोविंद वल्लभ पंत” पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 26 नवम्बर 1998 को सुलभ इंटरनेशनल फाउंडेशन ने वर्ष 1997 के सबसे ईमानदार व्यक्ति के रूप में चुना। उपराष्ट्रपति श्री कृष्णकांत ने इस पुरस्कार से सम्मानित किया। – 1957–1962 दूसरी लोकसभा, बलरामपुर (उ.प्र.) का प्रतिनिधित्व । → 1962–1967 राज्यसभा, उत्तरप्रदेश का प्रतिनिधित्व ।
1967–1971 चौथी लोकसभा बलरामपुर (उ.प्र.) का प्रतिनिधित्व ।
1972–1977 पांचवी लोकसभा, ग्वालियर (म.प्र.) का प्रतिनिधित्व । 1977–1979 छठी लोकसभा, नई दिल्ली का प्रतिनिधित्व, जनता सरकार में भारत के
विदेश मंत्री। → 1979–1984 सातवीं लोकसभा, नई दिल्ली का प्रतिनिधित्व । → 1986–1991 राज्यसभा, मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व । → 1991–1996 दसवीं लोकसभा, लखनऊ (उ.प्र.) का प्रतिनिधित्व, सदन में प्रतिपक्ष के नेता। > 1996–1998 ग्यारहवीं लोकसभा, लखनऊ (उ.प्र.) का प्रतिनिधित्व, 16 से 28 मई, ____1998 तक भारत के प्रधानमंत्री, तदनंतर फरवरी 1998 तक प्रतिपक्ष के नेता। » स्प्रति मार्च 1998 से बारहवीं लोकसभा, लखनऊ (उ.प्र.) का प्रतिनिधित्व, भारत के प्रधानमंत्री।
1999–2004 तेरहवीं लोकसभा, लखनऊ (उ.प्र.) का प्रतिनिधित्व, भारत के प्रधानमंत्री। → 2004 में पुनः निर्वाचित लखनऊ (उ.प्र)।
“हानि–लाभ के पलड़ों में तुलता जीवन व्यापार हो गया, मोल लगा बिकने वाले का, बिना बिका बेकार हो गया, मुझे हाट में छोड़ अकेला एक–एक कर मीत चला, जीवन बीत चला।” ऐसे महामना को मेरा कोटिशः नमन्
लेखक- चन्द्रशेखर साहू, पूर्व मंत्री एवं पूर्व सांसद
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