मैं लगभग तीन दशक पूर्व, केरल के रमणीय ग्रामीण क्षेत्र में, पारंपरिक मत्स्य पालन क्षेत्र में काम कर रहा था। मछली के बाजार मूल्य का मात्र 20% प्राप्त करने वाले मछुआरों का मुनाफा बढ़ाने के लिए, हमने फाइबरग्लास क्राफ्ट और आउटबोर्ड मोटर जैसी नई तकनीक की शुरुआत की और यहां तक कि समुद्र तट स्तर की नीलामी भी शुरू की। हालांकि सबसे बड़ी चुनौती जो बनी रही, वह थी भुगतान को सुव्यवस्थित करने के लिए मछुआरों के लिए बैंक खाते खोलना। उन दिनों, हमें वास्तविक बैंकों का पता लगाकर एक भी खाता धारक को पंजीकृत करने में कम से कम दस महीने लगते थे। ‘अपने ग्राहक को जानिए’, एक विदेशी अवधारणा थी। 2021 तक आते-आते, आप एक बैंक शाखा में जा सकते हैं और ई-केवाईसी और बायोमेट्रिक्स के माध्यम से कुछ ही समय में एक बैंक खाता खोल सकते हैं। महीनों से मिनटों तक प्रतीक्षा समय को कम करते हुए, डिजिटल परिवर्तन ने वास्तव में एक महत्वपूर्ण बदलाव को सक्षम बनाया है।
डिजिटल इंडिया के छह साल पूरे होने पर, प्रधानमंत्री जी ने इसे सही मायने में भारत का टेकेड बताया है। तकनीकी प्रगति और इंटरनेट की तीव्र पहुंच ने पूरे भारत में एक बिलियन से अधिक नागरिकों को एक सामान्य वित्तीय, आर्थिक और डिजिटल इकोसिस्टम में एकीकृत कर दिया है। सबसे सस्ती डाटा दर और 700 मिलियन के करीब इंटरनेट उपयोगकर्ता के साथ हर 3 सेकेंड में एक नया भारतीय उपयोगकर्ता इंटरनेट से जुड़ता है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में सार्वजनिक निजी भागीदारी के माध्यम से सभी आवासीय गांवों के लिए आधिकारिक फाइबर कनेक्टिविटी के साथ 16 राज्यों में भारतनेट को कार्यान्वित करने की मंजूरी दी है। एक बिलियन से अधिक बायोमेट्रिक्स, एक बिलियन से अधिक मोबाइल और लगभग एक बिलियन बैंक खातों के साथ, हमने पूरी आबादी की मैपिंग करते हुए दुनिया में सबसे बड़ी पहचान प्रणाली का निर्माण किया है। अब तक, 1.29 बिलियन आधार आईडी बनाई गई है और 55.97 बिलियन का प्रमाणीकरण किया गया है। भारत के डिजिटलीकरण प्रयासों का मूल लक्ष्य सरकार और नागरिकों के बीच के फासले को कम करना रहा है।
एक भुगतान प्रणाली जो गुजरात के तट से लेकर उत्तर प्रदेश के खेतों और सिक्किम के पहाड़ों में फैले लाखों भारतीयों को जोड़ती है, डिजिटल भुगतान के लिए यूपीआई को वैश्विक और आरोह्य योजना बनाने का जबरदस्त अवसर है। एक बड़े कॉर्पोरेट को सशक्त बनाने से लेकर सब्जी विक्रेता को सशक्त बनाने तक, त्वरित, रीयल टाइम मोबाइल भुगतान की सुविधा में भारत की शानदार सफलता की कहानी ने दुनिया को अचंभित कर दिया है। जून 2021 में, यूपीआई ने 5.47 ट्रिलियन रुपए मूल्य के 2.8 बिलियन लेनदेन दर्ज किए। यूपीआई का लेनदेन अब अमेरिकन एक्स्प्रेस की विश्व स्तर पर लेनदेन की संख्या के दोगुने से अधिक है। हाल ही में, गूगल ने भारत में यूपीआई के सफल कार्यान्वयन की सराहना करते हुए, यूएस फेडरल रिजर्व को लिखा, और यूएसए के फेडरल रिजर्व प्रणाली को भारत से प्रेरणा लेने के लिए सुझाव दिया।
डिजिटल इंडिया परिदृश्य में एक उल्लेखनीय नवाचार जी2बी (सरकार द्वारा व्यापार को) सरकारी ई-बाजार का प्रारंभ रहा है। जीईएम पोर्टल ने सार्वजनिक खरीद परिदृश्य को बदलने के लिए प्रौद्योगिकी का सफलतापूर्वक लाभ उठाया है। अब तक, पोर्टल ने 19.17 लाख विक्रेता पंजीकरण लक्ष्य को पार कर लिया है, जो पिछले वर्ष के विक्रेताओं की संख्या का लगभग 5 गुना है। झारखंड के जनजातीय लोगों के गहने, कश्मीर के सूखे मेवे, चेन्नई से नृत्य की शिक्षा, ओडिशा के वस्त्र- ई-कॉमर्स और इंटरनेट के संयोजन ने उत्पादों और व्यवसायों के फलने-फूलने के लिए एक मजबूत इकोसिस्टम बनाया है। इंटरनेट लाखों भारतीयों के लिए अपने जुनून को आगे बढ़ाने और उसे कारोबार बनाने और विश्व स्तर पर ग्राहकों के साथ बातचीत करने के लिए सबसे बड़ा सहायक रहा है।
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत जिन दो प्रमुख क्षेत्रों को भारी प्रोत्साहन मिला है, वे हैं स्वास्थ्य और शिक्षा। ये भारतीय नागरिकों के समग्र जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं और एक समग्र विकास पथ का वर्णन करते हैं। भारत के भीतरी प्रदेशों में, सुनहरे रंग के लाभार्थी कार्ड कई लोगों के लिए जीवन रक्षक माने जाते हैं, जो स्वास्थ्य सेवा तक समान पहुंच के लिए एक जगह से दूसरी जगह दौड़ लगाने की विभिन्न कठिनाइयों को दूर करते हैं। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) स्वास्थ्य देखभाल और प्रौद्योगिकी का एक अनोखा मेल है और दुनिया में सबसे व्यापक कैशलेस, संपर्क रहित, पेपरलेस और डिजिटल स्वास्थ्य बीमा योजना है जो भारत के 500 मिलियन से अधिक नागरिकों को कवर करती है, जो यूरोप की आबादी के बराबर है। राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (एनडीएचएम) के साथ पीएमजेएवाई भारत में एक संपूर्ण स्वास्थ्य देखभाल डिलीवरी में व्यापक रूप से सुधार कर रहा है और एक ऐसी प्रणाली की ओर बढ़ रहा है जो डेटा-एकीकरण और मानकीकरण के माध्यम से पूरी तरह से प्रौद्योगिकी सक्षम है। एक उदाहरण जो वास्तव में इस संबद्ध स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के विज़न के साथ मेल खाता है, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक आकांक्षी जिले, चित्रकूट से उभरा है। चित्रकूट ने अपने विकासात्मक चुनौतियों के बावजूद, जिले के सभी निवासियों के लिए एक प्रभावी टेलीमेडिसिन वितरण तंत्र बनाने के लिए सामान्य सेवा केंद्रों, ग्राम स्तर के उद्यमियों और आशा कार्यकर्ताओं का आश्चर्यजनक रूप से लाभ उठाया है। इस हस्तक्षेप के तहत, दूरदराज के क्षेत्रों के मरीज अपने घरों से अस्पतालों तक यात्रा किए बिना विशेषज्ञ देखभाल का लाभ उठा सकते हैं, जिससे काफी समय और धन की बचत होगी।
डिजिटलीकरण और इंटरनेट की पहुंच ने भारत भर में छात्रों के लिए सीखने के परिणामों में सुधार लाने में अभूतपूर्व योगदान दिया है। नवादा, बिहार के दूरस्थ आकांक्षी जिले के प्राइमरी स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम हैं जो पूरी तरह से डिजिटल उपकरण और इंटरनेट कनेक्टिविटी से लैस हैं, जो दुनिया के ज्ञान को भारतीय गांवों तक ला रहे हैं। स्मार्ट क्लासरूम और ई-लर्निंग के मॉडल को राज्यों में तेजी से दोहराया गया है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को सीखने की एक पूरी नई दुनिया से परिचित कराया गया है। महामारी के दौरान सरकार द्वारा संचालित कई ऑनलाइन शिक्षण पहल जैसे दीक्षा, ई-पाठशाला, स्वयं ने देश के सबसे दूरस्थ क्षेत्रों में छात्रों के लिए निरंतर शिक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
भारत के एक डिजिटल समाज और एक ज्ञान अर्थव्यवस्था में परिवर्तन से नागरिकों के जीवन को आसान बनाने में काफी सुधार आया है। सार्वभौमिक रूप से सुलभ डिजिटल संसाधन जैसे इंडिया पोस्ट जो दुनिया की सबसे बड़ी कम्प्यूटरीकृत और नेटवर्क वाली डाक प्रणाली है, आयुष संजीवनी एप्लिकेशन, डिजिलॉकर, उमंग ऐप, कानूनी सलाह के लिए टेली कानून, फेरी वालों (स्ट्रीट वेंडर) के लिए स्वनिधि योजना और गैस सिलेंडरों की आसान बुकिंग के लिए 10,000 बीपीसीएल सीएससी केंद्रों की शुरुआत कुछ ऐसे तंत्र हैं जो भारतीय नागरिकों के लिए न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन का काम कर रहे हैं। डिजिटल इंडिया का एक और क्रांतिकारी परिणाम माईजीओवी (MyGov) -प्लेटफॉर्म है जो सहभागी शासन को बढ़ावा देने वाला दुनिया का सबसे बड़ा संवादात्मक डिजिटल लोकतंत्र पोर्टल है।
जैसे-जैसे भारत डेटा समृद्ध से डेटा इंटेलिजेंट बनने की ओर बढ़ रहा है, मशीन लर्निंग और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) – पानी की उपलब्धता, सीखने के परिणाम, स्वास्थ्य में सुधार और कृषि उत्पादकता में वृद्धि जैसी अपनी बड़ी मात्रा में चुनौतियों का समाधान ढूंढेगा । आगे चलकर, मेरा विश्वास यह है कि विश्व स्तरीय प्रौद्योगिकी उत्पादों के विकास के लिए डेटा उत्सुक युवा उद्यमियों और एआई-सक्षम नीति वातावरण से महत्वपूर्ण इनपुट की आवश्यकता होगी। भारत को सामाजिक रूप से जागरूक और विकासोन्मुख उत्पाद प्रबंधकों, एआई वैज्ञानिकों, उत्पाद डिजाइनरों और सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की एक नवीन नस्ल का विकास करना चाहिए।
समावेशी प्रौद्योगिकी समाधानों का निर्माण कम लागत पर भारी मात्रा में सेवाओं की उपलब्धता और स्थानीय भाषाओं में वीडियो और आवाज की सुविधा के बारे में है। इसके लिए भारत की विविधता की अनूठी विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए देश के दूरस्थ इलाकों में रहने वाले लोगों की जरूरतों पर विशेष जोर देने के साथ फुल स्टैक डिजाइन दृष्टिकोण की एक संपूर्ण भंडार की आवश्यकता है। डिजिटल परिवर्तन की एक अभूतपूर्व सफलता की कहानी लिखने के लिए, भारत के ग्रामीण और अपेक्षाकृत दूर-दराज के प्रदेशों में रहने वाली आबादी की आकांक्षाओं और क्षमता से पूरी तरह परिचित होना अनिवार्य है। हम उनके बीच उद्यमशीलता की भावना को कैसे सक्षम और सशक्त बनाते हैं ताकि वे न केवल भारत के लोगों के लिए बल्कि दुनिया के और 5 बिलियन लोग जो गरीबी से मध्यम वर्ग की ओर बढ़ रहे हैं, के लिए समाधान प्रदान करने से वे प्रौद्योगिकी क्षमताओं और डेटा का लाभ उठा सकेंगे, और अगले डिजिटल इंडिया टेकेड की नींव तैयार होगी।
लेखक अमिताभ कांत नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी है। व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं।