एक्जिट पोल्स तो अपनी साख बचाने में लगे हैं लेकिन बिहार क्या बोल रहा है,बिहार ने क्या चुना है ,बिहार ने क्या खारिज किया है इसे आप महसूस कर सकते हैं। यह वीडियो छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की बिहार में हुई एक सभा का है।
देखिए बिहार की जनता किस तरह मुखर है।श्री बघेल ने धान का भाव पूछा तो लोग गुस्से के साथ जवाब दे रहे हैं। जो केन्द्र सरकार के किसान विरोधी काले कानून मंडियों के साथ आज करने जा रहे हैं वो बिहार में नीतीश बाबू बहार के दौर में कर चुके थे।उसका असर देखिए!
महत्वपूर्ण ये नहीं है कि यह किस विधानसभा सीट का वीडियो है।महत्वपूर्ण यह है इस बिहार में मुद्दे क्या थे।महत्वपूर्ण यह है कि बिहार की जनता ने इस चुनाव में जिस राजनीतिक परिपक्वता का परिचय दिया है वो भारतीय राजनीति के पन्नों पर दर्ज होने जा रहा है।
इन दिनों जिस नेता ने जनता के सवालों को संबोधित किया,बिहार की मेहनतकश जनता ने ऐसा ही रेस्पॉन्स दिया। अपने जीवन से जुड़े मुद्दों पर छत्तीसगढ़ ने भी वोट किया था।छत्तीसगढ़ ने भी 15 साल के एक शासन को खारिज किया था और अब बिहार उसी राह पर दिखता है।
बिहार में मोदित्व और योगित्व का चारा भी डाला गया लेकिन जनता रोजगार के सवाल पर डटी थी,जनता लॉक डाउन में नीतीश की उस चेतावनी को भूली नहीं थी कि बिहार में कोई घुस नहीं सकेगा।इसका जवाब बिहार की जनता ने पोलिंग बूथों पर घुस कर दिया है,बस कल नतीजों की प्रतीक्षा है।
ये जनता बिहार का युवा है,बिहार का मजदूर है,बिहार का किसान है जिसे रोजगार चाहिए,जिसे अपनी उपज का सही दाम चाहिए।ये आज का वो बिहारी है जो उन्माद नहीं चाहता।
बिहार में इस बार जो मुखर था वो वंचितों के प्रतिरोध का स्वर था।बाकी तो घिसा पिटा जंगल राज का भरपेटों का नारा था। उत्तर प्रदेश को जिस तरह हिन्दुत्व की नई प्रयोगशाला के रूप में गढ़ा जा रहा है कम से कम बिहार ने तो इस साजिश को खारिज किया है। बिहार इस बात की प्रयोगशाला बना जिसमें जनता ने सत्ताधीशों पर जवाबदेह होने का बोझ डाला है।
नतीजे क्या आयेंगे,सरकार किसकी और कैसी बनेगी ये 10 नवम्बर को पता चलेगा लेकिन बिहार की जनता को सलाम कि उसने संसदीय राजनीति और राजनीतिज्ञों को यह संदेश दिया है कि कल उसके सवाल वही होंगे जो आज उससे वादा किया गया है।