जॉन क्विन्सी आडम्स का कथन डॉ. खूबचंद बघेल पर बिलकुल सही उतरता है. ‘अगर आपके कार्य दूसरों को ज्यादा सपने देखने, ज्यादा सीखने, ज्यादा करने और ज्यादा बनने के लिए प्रेरित कर पाते हैं तो आप सच्चे नेता हैं.’
आज हम डॉ. खूबचंद बघेल की जयंती मना रहे हैं. डॉ. बघेल छत्तीसगढ़ राज्य के न केवल स्वप्नदृष्टा रहे, बल्कि इस उद्देश्य की प्राप्ति हेतु एक सफल आंदोलन की नीव रखने वाले एक सफल रणनीतिकार और भविष्य के छत्तीसगढ़ के लक्ष्यों को निर्धारित करने वाले एक युगद्रष्टा भी थे. आज के छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण की नीव रखने वाले वो सबसे पहले लोगों में से थे.
पृथक छत्तीसगढ़ की उनकी अवधारणा, नए स्वतंत्र हुए देश में सभी नागरिकों को सामाजिक और आर्थिक समानता और न्याय दिलाने के भारत के संवैधानिक संकल्प से प्रेरित थी. वह जाति, धर्म, भाषा, मूल निवासी की संकुचित अवधारणाओं से परे थी, इसीलिए जब वो छत्तीसगढ़िया की परिभाषा करते हैं, तब कहते हैं कि छतीसगढ़िया वह है जो छत्तीसगढ़ के हित की बात सोचे. अपने जाति के संगठन के मुखिया होने के बाद भी उन्होंने पृथक छत्तीसगढ़ आंदोलन के संचालन के लिए भ्रातत्व संगठन का गठन किया, जिसका एक व्यापक जाति निरपेक्ष और धर्म निरपेक्ष आधार था. छत्तीसगढ़ को एक पृथक राज्य के रूप में स्थापित करने की डॉ बघेल की इच्छा के पीछे कारण यह था कि उन्हें यह स्पष्टतः समझ आ गया था कि अगर छत्तीसगढ़ अलग राज्य नहीं बना तो मध्यप्रदेश का एक उपनिवेश बन कर रह जाएगा. संसाधन छत्तीसगढ़ के होंगे और विकास मध्यप्रदेश का होगा.
उनका यह डर कितना सही था, यह वर्ष 1999 -2000 के बीच अर्थात उनके द्वारा पृथक राज्य की स्थापना की मांग किए जाने के लगभग आधी सदी बाद मध्यप्रदेश की विधान सभा और लोकसभा में पृथक छत्तीसगढ़ से सम्बंधित चर्चाओं के अध्ययन से स्पष्ट हो जाता है. गोपाल सिंह परमार ने बताया था कि ग्वालियर में 156 बिस्तरों वाले अस्पताल की व्यवस्था है, इंदौर में 139 , बस्तर में 101, रायपुर में 45 और बिलासपुर में 28. वर्तमान में छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्र रविंद्र चौबे ने कहा था कि छत्तीसगढ़ का राज्य बनना इसलिए जरूरी है कि क्योंकि भोपाल से प्रशासनिक दूरी होने के कारण बस्तर में आंत्रशोध से हज़ारों लोगों की मृत्यु हो गई और भोपाल में जो लोग बैठे हुए हैं, उन्हें यह जानने में 15 दिन लगे.
वहीं पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने उल्लेखित किया था कि बस्तर में कुल सिचाई 2 %, रायगढ़ में 5 % है, सरगुजा में 3 % किन्तु मुरैना में 49 % और ग्वालियर में 33 % है. बस्तर में द्विफसली कृषि का प्रतिशत 3 % , रायगढ़ में 6% है, किन्तु मंदसौर में 40 % और उज्जैन में 31 % है. वर्ष 2000 में जब छत्तीसगढ़ राज्य बना तब भी पृथक राज्य की स्थापना का आधार छत्तीसगढ़ के संसाधनों का मध्यप्रदेश के विकास में ज्यादा उपयोग होना था. जिस समय छत्तीसगढ़ बना उस समय छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने कहा था कि छत्तीसगढ़ की भूमि समृद्ध है, किन्तु उसके नागरिक गरीब हैं.
डॉ. खूबचंद बघेल छत्तीसगढ़ के जन नायक हैं, और जन नायकों की जयंती पर उनके प्रति सबसे सच्ची श्रद्धाजंलि होती है. आज की पीढ़ी द्वारा स्वयं का यह आंकलन कि हम उनके द्वारा प्रारम्भ की गई यात्रा में कहाँ तक पहुंचे, सभी नागरिकों को सामाजिक और आर्थिक समानता और न्याय दिलाकर, छत्तीसगढ़ में एक शोषण मुक्त समाज की स्थापना के उनके द्वारा निर्धारित लक्ष्यों से कितने दूर हैं?