रायपुर। अविभाजित मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री एवं मध्यप्रदेश के प्रथम मंत्रिमंडल में मंत्री रहे बिसाहू दास महंत की 23 जुलाई 42वीं पुण्यतिथि श्रद्धा सुमन समर्पित है. अविभाजित मध्यप्रदेश के समय में छत्तीसगढ़ की आवाज़ के रूप में उनको देखा जाता था, वो छत्तीसगढ़ राज्य के स्वप्न दृष्टा थे.

संदीप अखिल, स्टेट न्यूज़ कार्डिनेटर, लल्लूराम डॉट कॉम

जनप्रिय जननेता स्वर्गीय बिसाहू दास महंत की पुण्यतिथि के अवसर पर आज संपूर्ण छत्तीसगढ़ उनके प्रति अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है. स्वर्गीय बिसाहू दास अविभाजित मध्य प्रदेश के दौर में राज्य शासन में मंत्री रहे विधायक रहे और इसके साथ साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के गुरोत्तर दायित्वों का भी कुशलतापूर्वक निर्वहन किया.

स्वर्गीय बिसाहू दास महंत के व्यक्तित्व की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि वे सहज और सरल थे समाज का छोटा सा छोटा व्यक्ति उन्हें अपना समझता था और वे आम जनों के अपने प्रति इस विश्वास को जीवन पर्यंत बनाए रखे राजनीति के प्रति उनका स्पष्ट दृष्टिकोण था. सत्ता को सेवा का माध्यम मानते थे उन्होंने अपने सार्वजनिक जीवन में जिस शुचिता और उच्च आदर्शों को आत्मसात कर एक आदर्श प्रस्तुत किया वह वर्तमान और भविष्य दोनों के लिए ही महत्वपूर्ण है.

अति सामान्य आर्थिक परिस्थितियों के मध्य उनकी परवरिश हुई बावजूद इसके उन्होंने अपने परिश्रम से एक नई पहचान बनाई. उनकी सोच में गरीब किसान के प्रति ऐसी भावना थी कि वे चाहते थे कि उनके जीवन में आधारभूत परिवर्तन हो, हमारे किसान आत्मनिर्भर बने, उनके प्रयासों से ही ना केवल जांजगीर चांपा क्षेत्र बल्कि संपूर्ण छत्तीसगढ़ में जो कार्य किए गए वह एक मिसाल है.

बिलासपुर में हायर सेकेंडरी की शिक्षा पास करने के पश्चात जब वे उच्च शिक्षा के लिए नागपुर गए तब से ही उनके हृदय में समाज में परिवर्तन की इच्छा जागृत हुई और वह निस्वार्थ भाव से आजादी के पहले से ही समाज को एकजुट करने में जुट गए थे.

यह भी स्मरण योग्य है की स्वतंत्र भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी स्वर्गीय बिसाहू दास से बहुत प्रभावित हुई एकाधिक अवसरों पर उन्होंने सार्वजनिक मंच से इस बात को कहा कि समाज और देश को आज बिसाहू दास महंत जी जैसे राजनेताओं की आवश्यकता है.

स्वर्गीय बिसाहू दास के व्यक्तित्व का एक पहलू यह भी था कि उनमें कोई भी महत्वकांक्षा नहीं रही सत्ता में कभी वे पद पर रहे तो कभी नहीं रहे परंतु इससे कभी भी उनके जीवन का ध्येय प्रभावित नहीं हुआ. प्रत्येक परिस्थिति में वे पीड़ित मानवता की सेवा से स्वयं को जोड़े रखे, महंत के व्यवहार की प्रशंसा क्षेत्र के जन, पार्टी के नेता के साथ-साथ प्रतिपक्ष के लोग भी किया करते थे उनकी इसी विशेषता से उनकी महानता का अनुमान लगाया जा सकता है कि वह कितने महान थे.

श्रद्धा सुमन समर्पित है
स्वीकारो ऐसे ही महान
ऐसी शक्ति करो प्रदान
हे माली तू कहीं रहे
तेरी बगिया सदा हरी रहे
हर डाल डाल पुष्प पात
पर तेरी छवि बनी रहे

लेखक- संदीप अखिल (स्टेट न्यूज़ कार्डिनेटर लल्लूराम डॉट कॉम)