छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री निवास में बड़ी आश्चर्य जनक घटना घटी। राष्ट्रीय स्वयं सेवक के कुछ वरिष्ठ पदाधिकारी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का अभिनन्दन करने पहुंचे थे। राजनीतिक प्रेक्षकों के लिए यह सहज स्वीकार करने वाली घटना नहीं है।

आरएसएस इतनी सहिष्णु नहीं है कि वो एक कांग्रेसी मुख्यमंत्री विशेष तौर पर भूपेश बघेल का अभिनन्दन करने पहुँच जाए। वो भूपेश बघेल जिन्होंने राहुल गांधी के बाद पिछले कुछ सालों में आरएसएस पर सबसे ज्यादा तीखा और चुभने वाला हमला किया हो। वे भूपेश बघेल जिन्होंने वीर सावरकर, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, दीनदयाल उपाध्याय जैसे संघ के प्रतिमानों पर अनेको बार न जाने कितनो प्रहार किया हो उनका अभिनन्दन यदि संघ के लोग करने को आतुर है. यकीन मानिए यह संघ की बड़ी मजबूरी और भूपेश बघेल की बड़ी कामयाबी है।

नरवा गरवा घुरवा बारी के बाद गो धन न्याय योजना के निहितार्थ को संघ बहुत अच्छी भांति समझता है. उसे मालूम है यह योजना फलीभूत होते ही भूपेश बघेल न सिर्फ गांव के सबसे निचले तबके तक पहुंच जाएंगे, बल्कि सही मायने में छत्तीसगढ़ को आत्मनिर्भर बनाने में कामयाब भी होंगे। गाय, गोबर गो मूत्र जिसके माध्यम से संघ दशको से भारत के गांव गांव में अपनी पैठ बनाने के हथियार के रूप में इस्तेमाल करते रहा हो। जिस गाय के नाम पर संघ देश के एक बड़े वर्ग को भावनात्मक और धार्मिक रूप से भड़काती रही हो, जिस गाय के नाम पर देश में अनगिनत मॉब लिंचिंग की घटनाएं हुई हो, उस गाय के गोबर को आर्थिक उन्नति का आधार बना कर यदि भूपेष बघेल प्रस्तुत कर रहे है, तो इससे गाय के नाम पर वर्षो से ठेकेदारी करने वालो की जमीन खिसकना स्वाभाविक है।

गो धन न्याय योजना का सीधा विरोध करते है, तो दशको से किये गए अपने ही एजेंडे का विरोध होगा और फिर इस विरोध का आधार और जन स्वीकार्यता भी नहीं रहेगी, लेकिन चुप चाप बैठ कर इतने बड़े हथियार को हाथ से निकलते भी तो नहीं देखा जा सकता. इसीलिए जब विरोध नहीं कर सकते तो चुप रहो या समर्थन करो। संघ की फितरत चुप रह कर तमाशा देखने वाली नहीं है, विशेष कर जब मसला गाय से जुड़ा हो तब तो बिल्कुल भी नहीं। यहाँ तो वर्षो से एकाधिकार कर रखे मसला हाथ से निकलते दिख रहा।

भूपेश बघेल ने साबित किया की असली गो सेवा गाय के नाम पर नारेबाजी करने, लक्षेदार भाषण से नहीं गाय के नाम पर उन्माद फैला कर मॉब लीचिंग में नहीं, गाय और गो वंश को जन जीवन से जोड़ कर उसकी उपयोगिता को प्रासंगिक बनाने में है। उपयोगिता और प्रासंगिकता के इसी सिद्धांत के कारण द्वापर में भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पूजा की शुरुआत किया था।

साम्प्रदायिकता पर कड़े प्रहार के साथ राम लीला का मंचन करवाना और छत्तीसगढ़ में भगवान राम वन गमन पथ को पावन पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने वाले भूपेश बघेल ने गो वंश संरक्षण की योजना ला कर यह भी साबित किया कि उनके लिए संवैधानिक मूल्य और धार्मिक आस्था दोनों महत्वपूर्ण हैं।

ऐसे में छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार की गांव और गो वंश केंद्रित योजना नरवा गरवा घुरवा बाड़ी और गो धन न्याय योजना का समर्थन कर इस योजना से प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष तौर से मन मसोस कर भी खुद को जुड़े होना दिखाने की संघ की मजबूरी है।

लेखक- छग कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला