रायपुर. भारतीय समाज के शैक्षिक उत्थान एवं पीढ़ी के कल्याण हेतु परोपकार एवं जनकल्याण की भावना से स्वर्गीय जनकलाल पाण्डेय जी ने दान का एक मिशाल कायम किया है, छत्तीगसढ़ में उनके समक्ष ब्राह्मण समाज में ऐसा कोई भी उदाहरण नहीं मिलता है, सर्व समाज के कल्याण हेतु उनकी दान की संपत्ति तब तो करोड़ो में थीं अब तो अरबों में है. दुर्भाग्य यह था कि मुंगेली का यह नक्षत्र अल्पायु में ही कालकवलीत हो गया. अन्यथा शिक्षा, स्वास्थ्य, सिंचाई एवं सड़क के क्षेत्र में मुंगेली जिला छत्तीसगढ़ के लिए आज एक मिशाल रहता. निःस्वार्थ समाज सेवा, जनकल्याण व परोपकार की भावना से ओतप्रोत राजनीति से विशेष लगाव न होन  के बावजूद स्वर्गीय जनकलाल पाण्डेय अल्पायु में ही मुंगेली जनपद सभा अध्यक्ष के पद पर आसीन होकर अनके जनहित के कार्य अपने निजी संपत्ति दान देकर किए जिसके परिणाम स्वरूप मुंगेली एवं तखतपुर क्षेत्र के लोग उनके कार्यों को आज भी नहीं भुला सके है.

स्वर्गीय जनकलाल पाण्डेय जी का जन्म 5 अप्रैल 1917 (चैत्र शुक्ल 13 गुरूवार संवत 1974) को ग्राम धरमपुरा तहसील मुंगेली, जिला बिलासपुर (छ.ग.) के मालगुजार स्वर्गीय मोतीलाल पाण्डेय के यहां हुआ था. आपकी प्रारंभिक शिक्षा मुंगेली में हुई तत्पश्चात्  हिन्दु विश्वविद्यालय बनारस से होम्योपेथिक में स्नातक की उपाधि अर्जित की. आपका विवाह सन 1936 में रायपुर के प्रतिष्ठित पं. जयलाल प्रसाद दुबे की सुपुत्री श्रीमती रमाबाई पाण्डेय के साथ सम्पन्न हुआ.

युवा अवस्था में ही समाज सेवा के क्षेत्र में उन्होंने कई ऐसे कार्यों को अंजाम दिये जिसकी प्रशंसा आज भी लोग मुक्तकंठ से करते है. जनपद सभी मुंगेली के अध्यक्ष पद पर रहते हुए कृषक कल्याण हेतु आगर नदी व्यपवर्तन योजना का मसवीदा बनाकर जनपद सभा में पास कराकर तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री  बी. एन. दातार से इस महत्वाकांक्षी योजना के क्रियान्वयन हेतु उल्लेखनीय प्रयास किये जिसका लंबे अंतराल पश्चात् छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री के द्वारा लोकार्पण किया गया.

शिक्षा के प्रति गहरी अभिरूचि होने के कारण स्वर्गीय जनकलाल पाण्डेय ने मुंगेली जनपद अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हुए शिक्षा के क्षेत्र में विशेष ध्यान दिये उन्होंने शिक्षा के लोकव्यापीकरण हेतु मुंगेली जनपद सभा के हर पांच गांव में एक प्रायमरी स्कूल और हर पांच प्रायमरी स्कूल में एक मिडिल स्कूल की स्थापना की. बालिका शिक्षा को प्रोत्साहित करने हेतु अपनी धर्म पत्नी श्रीमती रमाबाई पाण्डेय के नाम से मुंगेली में दो मंजिला कन्याशाला भवन का निर्माण अपने निजी संपत्ति से करवाया जो उस समय स्थानीय व क्षेत्रीय बालिकाओं को विद्या अध्ययन की सुविधा प्रदान करने की दृष्टि से अत्यंत ही महत्वपूर्ण कार्य  था.

अपने गृह ग्राम सुरदा एवं धरमपुरा में प्राथमिक शाला भवन व भू-दान किये. शिक्षा के साथ क्षेत्र की जनता को उत्तम स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने हेतु आयुर्वेदिक औषधालय सरगांव, जरहागांव, खम्हरिया, पंडरभट्टा, कंतेली व दुल्लापुर में प्रारंभ किये अपने पिता स्वर्गीय मोतीलाल पाण्डेय के उपार्जित संपत्ति को हाथ न लगाकर उनके निधन पश्चात् मंगेली में स्वर्गीय मोतीलाल पाण्डेय प्रसूति गृह की स्थापना करवायी. होम्योपेथिक स्नातक होने के कारण आवश्यकतानुसार क्षेत्र के ग्रामीणजनों का स्वयं इलाज भी किया करते  थें.

उच्च शिक्षित एवं धर्म परायण होने  के कारण श्रीराम चरित मानस के श्रेष्ठ प्रवक्ता भी थें, उनकी भाषा शैली ओज पूर्ण एवं प्रभावोत्पादक होती थीं. वे सादगी और सरलता के प्रतिमूर्ति  तो थें ही उच्च कोटी के उदार एवं सहिष्णु भी थे  फलतः उनमें साकारात्मक कार्य  करने की अद्भूत क्षमता भी थीं. स्वर्गीय श्री पाण्डेय में से सबसे बडा गुण राष्ट्रीयता की भावना का होना था, वे स्वयं आदतन खादीधारी थें. उनका प्रिय पोशाक धोती-कुर्ता, जैकेट एवं खादी टोपी था.

सहृदय व दानवीरता के कारण सर्वोदय आंदोलन में सक्रियता से भाग लेते हुए जमींदारों, मलागुजारों व किसानो से जमीन मांगते हुए उनका दिल जीतकर उन्हें गद्-गद् कर देते  थे और जिस लगन के साथ अपने मित्रो, सहयोगियों आदि से मिलते तथा आतिथ्य करते वह उनके कुशल नेतृत्व क्षमता का परिचायक था.

मुंगेली जनपद सभा के अध्यक्ष पद पर रहते हुए उन्होंने कभी भी शासकीय वाहन का प्रयोग नहीं किया और न हीं शासकीय मानदये स्वीकार किया वे स्वयं अपने विल्लिस जीप से क्षेत्र का दौरा किया करते थें, जो उनके निःस्वार्थ समाज सेवा, का एक अद्वितीय उदाहरण है.

राज्य पूर्न गठन आयोग 1956 के समक्ष छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के मांग करने वालो में से स्वर्गीय जनकलाल पाण्डेय का नाम प्रमुखता से आता है. श्री केयूर भूषण मिश्र, पूर्व सांसद, रायपुर द्वारा लिखित पत्रिका ‘‘छत्तीसगढ़ निर्मा ण की आवश्यकता क्यों ?‘‘ स्वर्गीय जनकलाल पाण्डेय के नाम से समर्पित की थीं. 5 दिसम्बर 1956 (अगहन शुक्ल 3 बुधवार संवत 2013) को ‘‘बिलासपुर जिला एडवाइजरी कमेटी‘‘ एवं ‘‘सर्व सेवक संघ‘‘ की बैठक में भाग लेने जाते समय तखतपुर के निकट एक साइकल सवार को बचाते वक्त उनकी निजी जीप अनियंत्रित होकर दुघर्टनाग्रस्त हो गया, फलस्वरूप 39 वर्ष के अल्पायु में उनका देवहासान हो गया, तब तक वे अपने कामों से इतने नाम अर्जि त कर चुके थे जितना अधिकांश लोग अपने दीर्घ जीवनकाल में भी नहीं कर पाते.

तखतपुर के जिस स्थान पर सड़क दुघर्ट ना का शिकार स्वर्गीय पाण्डेय हुए उसके सामने ही 11 एकड़ भूमि दान कर उनकी धर्मपत्नी स्वर्गीय श्रीमती रमाबाई पाण्डेय ने ‘‘जनकलाल मोतीलाल पाण्डेय हाई स्कूल तखतपुर‘‘ बनाकर शासन को दिये उल्लेखनीय है कि अपने जीवनकाल में कभी भी उद्घाटन, शिलान्यास न करने वाले ‘‘संत विनोबा भावे‘‘ ने 4 फरवरी 1964 को इस शाला भवन का लोकार्पण करने तब तैयार हुए जब उन्हें बताया गया कि यह भवन दानवीर, समाजसेवी और गांधीवादी विचारक स्व. जनकलाल पाण्डेय की स्मृति में उनकी धर्मपत्नी श्रीमती रमाबाई पाण्डेय द्वारा बनाया गया है. हाई स्कूल भवन लोकार्पण पश्चात् तखतपुर क्षेत्र की जनता को उच्च शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ‘‘शासकीय स्वर्गीय जनकलाल मोतीलाल पाण्डेय महाविद्यालय तखतपुर‘‘ हेतु  11 एकड़ भू-दान कर भवन निर्माण का कार्य  स्व. श्रीमती रमाबाई पाण्डेय द्वारा कराया गया. जिसका लोकार्पण सन 1984 में ‘‘संत पवन दीवान जी‘‘ के कर्कमलों से सम्पन्न हुआ. इस तरह से स्वर्गीय श्रीमती रमाबाई पाण्डेय ने अपने पति के सामाजिक कार्यो को आगे बढ़ाया जिससे क्षेत्र की जनता काफी प्रभावित थीं. इसी आकर्षण परिणाम स्वरूप 1972 ई. में श्रीमती पाण्डेय के समक्ष तखतपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लडने का प्रस्ताव रखा गया परंतु उन्होंने राजनीतिक प्रलोभन में न पडकर अत्यतं विनम्रतापूर्वक इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया.

पथरिया में महात्मा गांधी की प्रतिमा, सुरदा में लाल बहादुर शास्त्री की प्रतिमा स्थापना व धरमपुरा ग्राम के समीप महात्मा गांधी की प्रतिमा स्थापित कर गांधीनगर की बसाहट बसाने के अलावा राहगीरों के पीने की पानी की व्यवस्था बाबत् दर्जनों कुंआ, बावली सहित कई गांवों में मंदिरों का निर्माण के अतिरिक्त सामाजिक व धार्मि क कार्यो में मुक्त हस्त से आर्थिक सहयोग भी किया गया. उल्लेखनीय है कि उपरोक्त जनकल्याण कार्यो में स्वर्गीय जनकलाल पाण्डेय के मौसेरे भाई स्वर्गीय राधिका प्रसाद पाण्डेय व उनके परिवार प्रेरणा पूर्वक सतत् सहयोग किया है. उल्लेखनीय है कि शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय बिलासपुर में समाजशास्त्र के प्राध्यापक पद पर पदस्थ डॉ. महेश कुमार पाण्डेय स्वर्गीय जनकलाल जी पाण्डेय के पुत्र है. समाज सेवा व जनहित के कार्यो को जीवन में आदर्श के रूप में आत्मसात करने वाले स्वर्गीय जनकलाल पाण्डेय की दानवीरता की मिशाल अब किस्सों कहानियों में ही पायें जा सकते है. आज उनकी 105 वीं जयंती पर भावपूर्ण श्रद्धांजली अर्पित करता हॅू.

ये लेख डॉ. मुकेश कुमार पाण्डेय द्वारा लिखा गया है.