लेखक- उमेश मिश्र

पीछे मत देख, न शामिल हो गुनहगारों में
सामने देख की मंज़िल है तेरी तारों में

बात बनती है अगर दिल में इरादे हों अटल

हसरत जयपुरी की इस लोकप्रिय ग़ज़ल में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कार्यशैली का अक्स दिखाई पड़ता है. व्यापक जनहित के किसी फैसले को अमल में लाने में जब-जब कोई दुविधा सामने आई. मुख्यमंत्री बघेल ने आगे बढ़ने का इरादा जताया और बढ़ चले.

संसाधनों या औपचारिक स्वीकृतियों ने रास्ता रोका तो बघेल ने विनम्रता के साथ अनुनय-विनय के विकल्पों का भी सहारा लिया लेकिन अपनी धुन से पीछे नहीं हटे. आखिरकार अनेक बड़े कामों की खुशबू छत्तीसगढ़ की फिज़ाओं में बिखरी और सामाजिक न्याय की पहल और दूरगामी लक्ष्यों के साथ घुल-मिल गई. न्याय योजनाओं की फेहरिस्त बढ़ती गई जो बुनियादी आर्थिक सशक्तीकरण के रूप देश-दुनिया में मान्यता पाने लगी.

विरासत में मिली आर्थिक तंगी और वैश्विक आपदा के पसरते दौर में संसाधनों का रीतना तो स्वाभाविक होता ही है, लेकिन लगातार नई-नई चुनौतियों का आना जरूर अस्वाभाविक होता है. ऐसे की जैसे बड़े खर्च से निपटे नहीं की नया आकस्मिक बड़ा खर्च तैयार हो. जिसके लिए न तो पूर्व नियोजित संसाधनों से व्यवस्था संभव हो और न ही कोई ऐसा अकूत खजाना खुला मिले कि आप तो बस लड़िये. संसाधन जुटाने की चिंता मत कीजिए. संसाधनों को लेकर सारी विपरीत स्थितियों के बावजूद आगे बढ़ने का फैसला सरकार के जनहितकारी साहस की कहानी ही कहता है.

देश में जब वरिष्ठ नागरिकों और को-मॉरबिड 45 साल के ऊपर के लोगों को टीका लगवाने की मुहिम शुरू हुई, तभी से बघेल ने टीकाकरण की पात्रता के लिए उम्र का दायरा बढ़ाने की मुहिम छेड़ दी थी और यह भीष्म प्रतिज्ञा की थी कि हर हाल में छत्तीसगढ़ में टीकाकरण हो के रहेगा. कोविड-19 के फैलते डैनों से युवाओं को सुरक्षित करने के लिए बघेल के प्रयास परवान चढ़ने की स्थितियां बनने लगीं, तो राष्ट्रीय स्तर पर टीके की दर और उपलब्धता को लेकर नई अनिश्चितताओं का जखीरा सामने आ गया. अस्पष्टताओं के बीच 1 मई से 18 साल के युवाओं को टीके लगाने की घोषणा तो हुई पर ऐसी गफलत के बीच टीके लगवाने में बड़े-बड़े राज्यों ने हाथ खड़े कर दिए.

यह जिम्मेदारी से बचने का सुनहरा अवसर था कि मना करने वाले राज्यों के साथ गोलबंद होकर किंकर्तव्यविमूढ़ खड़े हो जाते, इससे ज्यादा सुविधाजनक तो कुछ भी नहीं था. लेकिन क्या ऐसे मुख्यमंत्री के लिए ऐसे निरपेक्ष रहना संभव था जो जनता के लिए सदा से आपदा- मोचक रहा हो.

सीमित संसाधन कार्य की प्रगति धीमी कर सकते हैं पर यदि सही रणनीति बनाने की सोच हो तो जनहित के कदम उठाने से रोक नहीं सकते।श्री बघेल ने अपनी विरासत, प्रतिबद्धता और जुझारूपन के सहारे रास्ता निकाला कि 1मई यानी 1मई को ही छत्तीसगढ़ में युवा टीकाकरण अभियान शुरू किया जाएगा और सबसे पिछड़े को सबसे पहले का फार्मूला अपनाकर न्याय और सुविचारित व्यवस्था की अपनी प्रतिबद्धता की एक और गाढ़ी लकीर खींच दी।

18साल से ऊपर के युवाओं के टीकाकरण की शुरुआत भी हो, प्राथमिकता को लेकर सर्वोत्तम न्याय के सिद्धांत का पालन भी हो और “वेल बिगेन हाफ डन”की ताकत से साथ मैदानी अमले को साफ निर्देश मिल जाए कि देश और दुनिया के किसी भी हिस्से में चाहे जो गफलत हो, छत्तीसगढ़ की प्राथमिकता तो स्पष्ट है।

कोरोना का पहला प्रहार मार्च 2019 में हुआ था तब इसकी विभीषिका का ना तो अंदाज था,ना ही उससे निबटने के लिए अनुभव या अधोसंरचना। छत्तीसगढ़ में अब तक 7 लाख 13 हजार 706 लोग संक्रमित हुए हैं जिनमें से 5 लाख 87 हजार 484 लोग रिकवर कर चुके हैं। वर्तमान में 1 लाख 17 हजार 910 लोग एक्टिव संक्रमित हैं। प्रदेश में एक्टिव पेशेंट अनुपात 16.5 प्रतिशत है, वही रिकवरी की दर 82.3 प्रतिशत है।

छत्तीसगढ़ सरकार के दृढ़ निश्चय की बदौलत राज्य कोविड वैक्सीनेशन के मामले में देश के कई विकसित और साधन संपन्न राज्यों को पीछे छोड़ चुका है। प्रदेश में 55 लाख 69 हजार से ज्यादा डोज वैक्सीन लगाए जा चुके हैं और देश के बड़े राज्यों से हम अग्रणी हैं। हमारे राज्य में वैक्सीनेशन 72 प्रतिशत हुआ है जो देश में सर्वाधिक है। ये आंकड़े सिर्फ 45 साल से ज्यादा उम्र के लोगों एवं फ्रंट लाइन वर्कर्स को मिलाकर हैं।

छत्तीसगढ़ सरकार ने युवाओं की आर्थिक स्थिति और सेहत की जरूरत को देखते हुए फैसला किया है कि प्रदेश के 18 साल से लेकर 44 साल तक के लोगों को मुफ्त में कोविड वैक्सीन लगाया जाए।इसके लिए जिलों तथा टीकाकरण केन्द्रों में पूरी तैयारी की गई है।800 करोड़ रूपयों की लागत से 50लाख डोज टीके की आपूर्ति के आर्डर भी जारी किए गए हैं। कंपनियों द्वारा फिलहाल सीमित संख्या में ही आपूर्ति की सूचना दी गई है , लेकिन राज्य सरकार ने सूझ -बूझ के साथ तय किया है कि आपूर्ति अनुसार टीकाकरण की शुरुआत की जाए और फिर ज्यादा से ज्यादा टीके हासिल करने की जुगत लगाई जाती रहे जिससे यह अभियान धीरे -धीरे गति पकड़ ले।

भारत सरकार ने यह अवगत कराया है कि वह 18 से 44 आयु वर्ग के लोगों के वैक्सिनेशन के लिए 1 लाख 3 हजार 40 वैक्सिन उपलब्ध करायेगी अत: सुसंगत, सुविचारित और न्यायोचित निर्णय लेते हुए अंत्योदय कार्डधारी समूह से शुरूआत की जाए। इसके लिए हितग्राही को अपना राशन कार्ड और आधार कार्ड लेकर आना होगा। टीके की आपूर्ति बढ़ने पर क्रमश: सभी वर्गों के लोगों को शामिल किया जाएगा।

अधोसंरचना विस्तार –

मार्च २०१९ की स्थिति में प्रदेश में कुल 279 आईसीयू बेड थे जिसे बढ़ाकर 729 किया गया। ऑक्सीजन बेड 1242 थे, जिसे बढ़ाकर 7042 किया गया। एचडीयू बेड शून्य से बढ़कर 515 हो गये हैं। अस्पतालों में 15001 जनरल बेड थे जिसे बढ़ाकर 29667 कर दिया । वेंटीलेटर्स 204से बढ़ाकर 593 कर दिया गया है। यह प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओं में कीर्तिमान विस्तार है । 296 नये डाॅक्टर्स की भर्ती की गई है।

हजार करोड़ से अधिक वित्तीय प्रावधान

स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की बानगी दो वर्षों में स्वास्थ्य बजट में 880 करोड़ रूपए, एसडीआरफ में इस साल 50 करोड़ रूपए का प्रावधान किया जाना है। मुख्यमंत्री सहायता कोष से अभी तक 73 करोड़ 53 लाख रूपए विभिन्न जिलों को जारी किए जा चुके हैं, इस तरह 1003 करोड़ 53 लाख रूपए अब तक हैल्थ सेक्टर को दिए जा चुके हैं।

युवा टीकाकरण पंजीयन -1 मई से 18 से 44 साल के 1 करोड़ 30 लाख लोगों को 2 करोड़ 60 लाख वैक्सीन डोज नि:शुल्क लगाने का लक्ष्य है ।18 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों को वैक्सीन लगवाने के लिए कोविन प्लेटफार्म या आरोग्य सेतु के माध्यम से पंजीकरण करवाना होगा। ये पंजीकरण 28 अप्रैल से प्रारंभ हो गया है।

प्रधानमंत्री को पत्र- मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को टीकाकरण में सर्वोच्च प्राथमिकता देने की मांग की थी। पत्र में कहा था कि प्राप्त जानकारी अनुसार अब तक देश भर में इस आयु वर्ग के लगभग 1.7 करोड़ नागरिकों द्वारा कोविन पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवा लिया गया है।बड़ी संख्या में रजिस्ट्रेशन होने से और उस अनुपात में वैक्सीन डोज़ उपलब्ध न होने से टीकाकरण हेतु बनी साइट्स पर भीड़ प्रबंधन में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। वैक्सीन की कमी को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार द्वारा टीकाकरण हेतु इस आयु वर्ग में प्राथमिकता का कोई क्रम निर्धारित होना चाहिए और इस क्रम में सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए।वर्तमान में रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था केवल ऑनलाइन ही उपलब्ध होने से भी सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की टीकाकरण से वंचित रहने की संभावना बढ़ जाती है।

पूर्व की भांति 18- 45 वर्ष के आयु वर्ग के लिए भी ऑन साइट रजिस्ट्रेशन की सुविधा उपलब्ध हो ताकि टीकाकरण से कोई भी वंचित न रह पाए। यह एक तरह बघेल की न्याय की अवधारणा का विस्तार ही था,कि इस सोच का लाभ देश के अधिक जरूरतमंद युवाओं को भी मिले।

प्यार सच्चा हो तो राहें भी निकल आती हैं,
अर्श की बिजलियां खुद रास्ता दिखलाती हैं…

हसरत साहब की ग़ज़ल ये कहती है और युवाओं से बेपनाह मोहब्बत करने वाले मुख्यमंत्री बघेल ये कर गुजरते हैं.