गजेंद्र तोमर, मुरैना। मध्य प्रदेश में मुरैना के पोरसा कस्बे में स्थित कृत्रिम गर्भाधान केंद्र का भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है, और डॉक्टरों को भय के साये में इलाज करना पड़ रहा है। भवन को एक वर्ष पूर्व इंजीनियर ने कंडम घोषित कर दिया था, लेकिन इसके बावजूद, एक साल से कंडम भवन में ही पशु अस्पताल का संचालन जारी है। जिम्मेदार अधिकारी इस गंभीर स्थिति को अनदेखा कर रहे हैं, जिससे बड़ा हादसा होने का खतरा बढ़ गया है।
भवन की छतों पर प्लास्टर पूरी तरह से उखड़ चुका है और ईंटें बाहर निकल आई हैं। इसके बावजूद, अभी तक इसका मरम्मत कार्य नहीं किया गया है। अस्पताल के पशु चिकित्सा विस्तार अधिकारी डॉ. विलकेश शर्मा ने वरिष्ठ अधिकारियों को कई बार पत्र लिखकर भवन की जर्जर स्थिति की जानकारी दी है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
डॉ. शर्मा ने बताया कि उप संचालक पशु चिकित्सा सेवाओं को भी इस बारे में पत्र लिखा गया है। कृत्रिम गर्भाधान केंद्र का भवन बुरी तरह से क्षतिग्रस्त है, जिसकी छत टपकती रहती है और प्लास्टर गिरता रहता है। इस भवन में तीन कर्मचारी मौजूद रहते हैं। पिछले साल जनपद पंचायत के उपयंत्री ने भी भवन को कंडम घोषित किया था, लेकिन लिखित में कोई सूचना नहीं दी गई है। यदि भवन ध्वस्त हो जाता है, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा?
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