दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election) के दौरान आम लोगों के लिए तरह-तरह की मुफ्त घोषणाएं सत्ता और विपक्ष की ओर से चुनाव अभियान का हिस्सा हैं, मगर समांतर तरीके से यह बहस भी देशव्यापी है कि ‘टैक्स पेयर्से के पैसे लुटाए जा रहे हैं’। दरअसल अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal ) की सियासत की सफलता ने सियासी दलों के बीच ईर्ष्या भी पैदा की है। वे स्वयं भी केजरीवाल के मुफ्त मॉडल को आगे बढ़ाते हैं, लेकिन इसे गलत ठहराने का आधार भी ढूंढते रहते हैं। कथित बुद्धिजीवी ही वास्तव में टैक्स पैयर्स के पैसे लूटने का ढिंढोरा पीटते हैं। यह पाखंड क्यों है?- यह बड़ा सवाल है।
महिलाओं के लिए 2019 में अरविन्द केजरीवाल ने मुख्यमंत्री रहते बसों में महिलाओं के लिए फ्री सफर (Free bus service) का एलान किया था। यह इतना लोकप्रिय रहा कि देश के कई राज्यों ने इसे अपने-अपने प्रदेशों में लागू किया। इन राज्यों में शामिल हैं तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, पंजाब, उत्तर प्रदेश।
यूपी ने नकल तो की अकल नहीं दिखलाई
उत्तर प्रदेश जैसे राज्य ने नकल तो किया मगर अकल नहीं दिखलाई। 60 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओँ के लिए केवल यूपी की राज्य ट्रांसपोर्ट बसों में फ्री टिकट की सुविधा दी गयी। स्थानीय और कम दूरी की बसों में सुविधा देने से बचने की नीति ने यूपी में योगी सरकार को महिलाओँ के लिए फ्री बस यात्रा के मामले में बहुत लोकप्रियता नहीं दी। ऐसे में जब बीजेपी फ्री की योजनाओं की बात करती है तो आम आदमी पार्टी का सीधा सवाल होता है कि 20 राज्यों में बीजेपी की सरकारें हैं वहां पहले वे फ्री की योजनाएं लागू करके दिखाएं। जाहिर है अरविन्द केजरीवाल का फ्री मॉडल बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।
पंजाब और तमिलनाडु में पॉपुलर है केजरीवाल मॉडल
केवल महिलाओं के लिए फ्री बस के संदर्भ में अरविन्द केजरीवाल के फ्री मॉडल को समझें तो इसका असर देशव्यापी है। पंजाब और तमिलनाडु में महिलाओं के लिए मुफ्त बस सेवा योजनाएं 2021 में शुरू हुईं। इन योजनाओं में पब्लिक पास का इस्तेमाल हुआ। तमिलनाडु में महिलाओं के लिए जीरो टिकट बस ट्रैवल स्कीम है जिसके तहत 30 किमी तक की यात्रा राज्य के भीतर मुफ्त में की जाती है। इसका मतलब यह है कि मुफ्त यात्रा की स्कीम सशर्त है। फिर भी यह योजना तमिलनाडु में काफी लोकप्रिय रही है। जुलाई 2021 से मार्च 2022 के दौरान ही तमिलनाडु में बस से यात्रा करने वाली महिलाओं की तादाद 40 प्रतिशत से बढ़कर 61 प्रतिशत हो गयी यानी 21 प्रतिशत महिला यात्रियों में बढ़ोतरी। इस वजह से सरकार ने इसके लिए 13.6 हजार करोड़ के बजट को बढ़ाकर 17.3 हजार करोड़ कर दिया। पंजाब में अप्रैल 2021 से नवंबर 2022 तक बस में सफर करने वाले महिला यात्रियों की संख्या 61 लाख से बढ़कर 1.12 करोड़ हो गयी। महिलाओं में यह उत्साह किसी भी प्रदेश में शुरुआती एक साल के मुकाबले सबसे ज्यादा रहा। पंजाब में वर्कफोर्स के तौर पर महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने में भी यह योजना कारगर साबित हो रही है, ऐसा देखा जा रहा है। हालांकि पंजाब में महिलाओं की वर्कफोर्स में हिस्सेदारी काफी कम है। पंजाब में कांग्रेस की सरकार ने अरविन्द केजरीवाल के मॉडल को लागू करने की कोशिश दिखलाई थी जिसे भगवंत मान की आम आदमी पार्टी की सरकार आगे बढ़ा रही है।
‘फ्री सफर’ में थक गई कर्नाटक–तेलंगाना सरकार!
आम आदमी पार्टी के कथित फ्री बीज को कर्नाटक में भी कांग्रेस सरकार ने लागू किया। यहां हम सिर्फ महिलाओं के मुफ्त सफर के बारे में चर्चा कर रहे हैं। कर्नाटक में शक्ति कार्यक्रम के तहत महिलाओं और ट्रांसजेंडर्स के लिए कर्नाटक स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (केएसआरटीसी) में फ्री बस पास उपलब्ध कराए जाते हैं। योजना का घोषित मकसद वित्तीय आजादी और वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी को मजबूत करना है। इस बीच कर्नाटक सरकार ने बसों के किराए में 15 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है। बीजेपी हमलावर है कि पुरुषों पर बोझ डालकर महिलाओं के लिए फ्री बस का इंतजाम किया जा रहा है।
तेलंगाना में रेवंत रेड्डी सरकार ने दिल्ली की तर्ज पर महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा की घोषणा की है। महालक्ष्मी स्कीम के तहत टीएसआरटीसी बसों में महिलाओं के लिए फ्री यात्रा 3 दिसंबर 2023 से शुरू हुई। पहले 11 दिनों में 62 प्रतिशत महिलाएं सफर करती देखी गयीं। एक महीने में औसतन हर दिन 11 लाख जीरो फेयर टिकट जारी किए गये। इससे योजना की सफलता का अंदाजा लगाया जा सकता है। कर्नाटक हो या तेलंगाना वित्तीय दबाव को स्वीकार करते हुए भी कांग्रेस के लिए महिलाओं के लिए फ्री सफर को जारी रखना पड़ रहा है, क्योंकि इसके लिए जनता का भारी दबाव है।
केजरीवाल ने आधी आबादी के लिए फ्री सफर का महत्व सबसे पहले समझा
विश्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में पब्लिक ट्रांसपोर्ट का सबसे ज्यादा इस्तेमाल महिलाएं करती हैं। महिलाएं अपनी यात्राओं में 84 प्रतिशत पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करती हैं। अरविन्द केजरीवाल ने महिलाओं के लिए फ्री बस यात्रा का महत्व समझा और देश में सबसे पहले 2019 में दिल्ली की अरविन्द केजरीवाल सरकार ने पिंक स्लिप प्रोग्राम शुरू किया। इस पहल ने दिल्ली में महिलाओं के लिए डीटीसी और क्लस्टर बसों में मुफ्त सफर को सुनिश्चित बनाया। जैसे ही महिलाएं बस में चढ़ती हैं उन्हें कंडक्टर पिंक टिकट देता है जिसका मूल्य दस रुपये होता है। बाद में इस रकम का भुगतान सरकार बस ऑपरेटर को कर देती है। यात्रा शुरू होने के 20 दिन के भीतर ही महिला यात्रियों की संख्या 10 प्रतिशत बढ़ गयी।
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बीते पांच साल में 150 करोड़ पिंक टिकट बिके हैं और 1500 करोड़ रुपये का भुगतान बस ऑपरेटर्स को दिल्ली सरकार ने किया है। ये रकम दिल्ली की महिलाओं के लिए प्रत्यक्ष बचत है। ग्रीन पीस का सर्वे कहता है कि 55 प्रतिशत महिलाओं ने घरेलू खर्च में इस रकम का इस्तेमाल किया है। मुफ्त सफर करने वाली महिलाओँ की तकरीबन आधी ने इमर्जेंसी फंड के लिए इस बचत को रखा है।
अब सिर्फ अमीर नहीं, गरीब भी टैक्स पेयर्स
महिलाओं को हो रही सुविधा का फायदा उन्हें बचत के रूप में हो रहा है। समय की बचत हो रही है। वर्क फोर्स में महिलाओँ की हिस्सेदारी बढ़ रही है। इससे लाखों परिवारों को फायदा हो रहा है। ऐसे में अगर कुछ वित्तीय बोझ सरकार उठाती है तो यह गलत कैसे है? सामाजिक बदलाव के लिए, आधी आबादी के लिए या फिर दूसरे मामलों में गरीब जनता के लिए सरकार वित्तीय बोझ उठाए तो वास्तव में सरकार अपने होने का मकसद ही पूरा करती है। सरकार होती किसके लिए है?
अरविन्द केजरीवाल ने जनता का पैसा जनता को लौटाने और बांटने से बरकत होती है- जैसे सिद्धांत सामने रखे हैं। ‘टैक्स पेयर्स’ अब केवल अमीर नहीं हैं। टैक्सपेयर्स आम लोग भी हैं। जीएसटी से टैक्स हर कोई दे रहा है। इसलिए टैक्सपेयर्स की रट लगाकर कुलीन लोग अपने आपको आम अवाम से ऊपर ना समझें। विकास की मुख्य धारा में आम लोगों को जोड़ना देश की आवश्यकता है। अरविन्द केजरीवाल ने अगर राजनीति का मुख्य विषय इसे बना डाला है तो इसमें पास मार्क लाना अब विरोधी दलों के लिए भी जरूरी हो गया है।
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