आम आदमी पार्टी (आप) के मुखिया और दिल्ली के पूर्व CM अरविंद केजरीवाल ने आंबेडकर विवाद पर एक नया दांव चलाया है. वह मोदी सरकार को गिराना चाहते हैं. केजरीवाल ने एनडीए सरकार के दोनों महत्वपूर्ण साझेदारों नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू को पत्र लिखकर समर्थन वापस लेने का विचार करने को कहा है. लोकसभा में भाजपा के पास 240 सीटें हैं, और नीतीश कुमार की जेडीयू और नायडू की टीडीपी सरकार की निरंतरता के लिए महत्वपूर्ण हैं.
साथ ही, केजरीवाल ने नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू को लिखे पत्र को सार्वजनिक किया है, जिसमें उन्होंने संसद में अमित शाह के बयान का उल्लेख करते हुए आरोप लगाया कि गृहमंत्री ने बाबा साहब का अपमान किया है और देश भर में करोड़ों लोगों कीभावनाओं को ठेस पहुंचाया है. केजरीवाल ने लिखा कि अमित शाह ने अपने बयान पर माफी मांगने की बजाय इसे सही ठहराया है, और प्रधानमंत्री ने सार्वजनिक रूप से उनका समर्थन किया है.
केजरीवाल ने लिखा, ‘लोग यह महसूस करने लगे हैं कि जो बाबा साहब का सम्मान करते हैं वो भाजपा का समर्थन नहीं कर सकते हैं. बाबा साहब सिर्फ एक नेता नहीं, राष्ट्र की आत्मा हैं. भाजपा के इस बयान के बाद लोग आप से उम्मीद करते हैं कि इस मुद्दे पर गहराई से विचार करें.’ एक दिन पहले, अरविंद केजरीवाल ने सड़क पर धरना दिया और कहा कि वह दिल्ली में हर घर जाकर बताने वाले हैं.
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केजरीवाल ने आगे लिखा, ” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सार्वजनिक रूप से अमित शाह के बयान का समर्थन किया, जो स्थिति को और भी गंभीर बनाया. बीजेपी के इस बयान के बाद लोग चाहते हैं कि बाबा साहेब को चाहने वाले अब बीजेपी का समर्थन नहीं कर सकते. बाबा साहेब सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि हमारे देश की आत्मा हैं.
गृहमंत्री अमित शाह ने संविधान पर संसद में चर्चा के दौरान बाबा साहब भीमराव आंबेडकर को लेकर कांग्रेस के रवैये की आलोचना की थी. विपक्ष ने अमित शाह पर संविधान निर्माता के अपमान का आरोप लगाया.
हालाँकि, खुद अमित शाह ने बुधवार शाम एक प्रेस कांफ्रेंस करके अपनी सफाई दी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी दल उनके भाषण को तोड़-मरोड़कर पेश कर रहे हैं. भाजपा का आरोप है कि 12 सेकेंड के वीडियो क्लिप को गलत तरीके से दिखाया जा रहा है और पूरा भाषण नहीं दिखाया जा रहा है.
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