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पं. वैभव बेमेतरिहा

आप’ के भीतर आम आदमी के बीच बीते कुछ महीनों से सब गड़बड़ ही चल रहा है। नेताओं के बीच अनबन, मनमुटाव, खींचतान, आरोप-प्रत्यारोप और बस बड़बड़ ही चल रहा है। कभी कोई टिकट की खरीदी-बिक्री में फंस जाता है, कभी गोवा-पंजाब के हार पर बवाल मच जाता है, कभी केजरी के कुमार पर विश्वास टूट जाता है, कभी एक को मनाते है तो दूसरा रुठ जाता है। ‘आप’ के भीतर इन दिनों जमकर अलाप भी हो रहा है और अंदर ही अंदर विलाप भी हो रहा है।

जिस दिल्ली ने दिल खोलकर विधानसभा में दिल से ‘आप’ को गले लगाया था, उसी दिल्ली ने ही दिल खोलकर एमडीसी में हरा भी दिया। दिल्ली वालों पर ना अरविंद के मुखारविंद से निकले आश्वासनों का असर हुआ , ना मनीष के मन से जुड़ाव और ना ही गोपाल की राय से राय मिले। हारे तो फिर ठीकरा ‘आप’ के अपनों ने ही जमकर एक-दूसरे पर फोड़े। कुछ को बाहर किया गया, कुछ ने खुद छोड़ दिया। अल्का को हल्का किया गया, खान के कान पकड़े गए, कुमार की पुकार सुनी गई। ईव्हीएम को गलत ठहराने की जिद छोड़ दी गई।

लेकिन हार पर रार फिर भी थमे नहीं थे। पार्टी के भीतर चिंगारी सुलग रही थी। पार्टी जैसे अपनों से ही झुलस रही थी। मुखिया के जमात के बीच कपिल को लेकर बेडफिल हो चुका था। उधर कपिल को भी जैसे अपनी छुट्टी का फिल हो चुका था। लिहाजा बम फूटने, विष्फोट होने की संभावना पूरी थी। हुआ भी यही है। आरोप अब की बार मुखिया पर ही लगे हैं और वो बेहद गंभीर और बहुत बड़े है। लाजिमी है केन्द्र की सत्ता से लेकर विपक्ष तक हल्ला मचना था। मचा भी और अभी कुछ दिनों तक मीडिया के सहारे मचते भी रहेगा। मीडिया के लिया यहां मसाला भी है, टीआरपी भी, लेकिन केजरी के लिए मुसीबत।

वैसे केजरी के मजबूत वाल पर मचे बवाल के बीच सरकार बनने से ही दरार जो पड़े थे वह कभी भरे ही नहीं। और जिनके सहारे विधायक से लेकर मंत्री बने वहीं अब बरस पड़े हैं। ना जाने आप के भीतर कितने मुर्दे गड़े हैं।

लेकिन दूषित हो चुकी राजनीति में विकल्प बनने और जनता को विकल्प देने वालों को बीच स्वच्छता अभियान में आप के भीतर की ये गंदगी ठीक नहीं। जिस झाड़ू के सहारे भ्रष्टाचार को साफ करने निकले थे। क्या वह झाड़ू अब टूट गया है ? क्या उस झाड़ू से अब सफाई बंद हो गई ?

केजरी जी इस मोड़ पर जाहिर है ऐसे सवाल तो उठेंगे ही। ऐसे में आपको अन्ना के हजारे वाले वहीं पुराने लड़ाके जैसा खुद को साबित कर दिखाना होगा। जिन्होंने राजनीति को एक दिशा देकर दशा बदलने की की नेक कोशिश की थी। और जिस पर दिल्ली वालों ने दिल से भरोसा जताया था। क्योंकि केजरी के वाल पर रिश्वत दाग अच्छे नहीं!