श्रीलंका आर्थिक मंदी की मार झेल रहा है. वहां के लोगों का हाल- बेहाल है. मंहगाई चरम पर है. ऐसे भी एक और अहम जानकारी निकलकर सामने आ रही है कि भारत का पड़ोसी देश नेपाल भी आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है. कयास ये भी लगाया जा रहा है कि कहीं भारत के पड़ोसी नेपाल की हालत भी श्रीलंका जैसे ना हो जाए. ऐसा इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि नेपाल में विदेशी मुद्रा में काफी कमी के साथ व्यापार में घाटा हुआ है. इससे इतर नेपाल गैर जरूरी चीजों पर भी खर्च कर आयात कर रहा है. चौकाने वाली जानकारी तो ये है कि नेपाल ने अपनी जनसंख्या के बराबर ताश की गड्डिया आयात की है.
दरअसल, नेपाल में सिर्फ कैसीनो में ही नहीं, बल्कि दशहरा, दिवाली जैसे मौके पर घर-घर में ताश खेलने की परंपरा है. नेपाल के आर्थिक मंत्रालय के रिकॉर्ड के मुताबिक सिर्फ दिवाली के मौके पर ही देश के लोगों ने 9 करोड़ रुपए से अधिक के ताश आयात किए थे. यहां कम कीमत की ताश से लेकर हजारों रुपए की कीमत वाली गोल्ड प्लेटेड ताश का आयात भी किया जाता है. ताश का ज्यादातर आयात चीन से होता है, जबकि लग्जरियस ताश दुबई सहित तमाम यूरोपीय देशों से मंगाई जाती है.
कोरोना काल में भी नहीं कम हुई खरीदी
पिछले 21 महीनों में जब दुनिया कोरोना महामारी से त्रस्त थी. कोरोना की वजह से निम्न आयुवर्ग के लोगों को खाने तक की किल्लत हो गई थी. ऐसे दौर में भी नेपाल ने करीब ढाई करोड़ पैकेट ताश आयात किए. इसके लिए देश के विदेशी मुद्रा भण्डार से 90 करोड़ रुपए खर्च किए गए. वहीं, जिस समय कोविड महामारी चरम पर थी, उस साल भी नेपाल ने 28 करोड़ 62 लाख 27 हजार रुपए के ताश आयात किए. पिछले साल के आखिरी महीने में ही 5 करोड़ की ताश का आयात किया गया था.
विदेश में रहते हैं नेपाल के इतने लाख लोग
नेपाल की जनसंख्या 2 करोड़ 65 लाख के आसपास है. इनमें से 50 लाख विदेशों में रहते हैं. ऐसे में अगर देश में 21 महीनों में ही 2 करोड़ 26 लाख 87 हजार 700 पैकेट ताश का आयात हो रहा है तो सरकार की चिंता स्वाभाविक है.नेपाल ने पिछले 5 साल में 100 करोड़ रुपए से ज्यादा की ताश की गड्डी विदेशों से आयात की है.
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