नई दिल्ली . सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आबकारी नीति से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल को सशर्त जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया. इसके बाद देर शाम केजरीवाल तिहाड़ जेल से बाहर आए.

शीर्ष अदालत ने फैसले में कहा, ‘लंबे समय तक जेल में रखना, उन्हें स्वतंत्रता से वंचित करने के समान होगा.’ हालांकि भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली केजरीवाल की याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया.

जस्टिस सूर्यकांत ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को सही बताया. वहीं, जस्टिस भुइयां ने गिरफ्तारी के समय पर सवाल उठाते हुए कहा कि CBI को उस धारणा को खत्म करना चाहिए कि वह बंद पिंजरे का तोता है. उन्होंने जांच एजेंसी CBI को इस धारणा से बाहर निकलने की नसीहत दी.

केजरीवाल की रिहाई से न केवल हरियाणा, जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनावों से पहले आम आदमी पार्टी को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि राजधानी में सरकार को भी जरूरी प्रोत्साहन मिलेगा, जिसे इस साल मार्च में उनकी गिरफ्तारी के बाद से गंभीर झटका लगा है. इसके बाद वे अगले साल होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी पार्टी में नया उत्साह भरने का काम करेंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि प्रवर्तन निदेशालय मामले में जमानत देते समय उन पर जो शर्तें लगाई गई थीं वह यथावत रहेंगी. AAP ने दावा किया कि मुख्यमंत्री शासन की देखरेख करते रहेंगे और दिल्ली में काम ‘नहीं रुकेगा.’ED मामले में जमानत देते समय सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को दिल्ली सचिवालय जाने से रोक दिया था, लेकिन उन्हें उन फाइलों को LG के पास भेजने की अनुमति दी थी, जिनके लिए LG की मंजूरी की आवश्यकता होती है.

नहीं रुकेंगे काम

AAP ने एक बयान में कहा, ‘अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं, जो मंत्रिपरिषद के प्रमुख हैं और विभिन्न विभागों के मंत्रियों के जरिए शासन की देखरेख करते हैं. उन्हें अपने सभी मंत्रियों को निर्देश देने का पूरा अधिकार है, ताकि जनहित में काम हो सके. मुख्यमंत्री द्वारा केवल उन्हीं फाइलों पर हस्ताक्षर किए जाते हैं, जिन्हें LG के पास भेजा जाना होता है, जिसके लिए उन्हें सुप्रीम कोर्ट से इजाजत मिली हुई है. इसलिए, दिल्ली के लोगों का कोई भी काम नहीं रुकेगा.’

अधर में लटकी हैं ये योजनाएं

कई अहम नीतिगत फैसले हैं, जिनमें महिला सम्मान निधि योजना- 18 साल से ज्यादा उम्र की सभी महिलाओं को 1,000 रुपये की वित्तीय सहायता देना. इसकी घोषणा इस साल दिल्ली के बजट में की गई थी. इसके अलावा दैनिक मजदूरों के लिए महंगाई भत्ता, दिल्ली स्टार्ट-अप नीति, दिल्ली बाजार पोर्टल, क्लाउड किचन नीति, फूड ट्रक नीति, लॉजिस्टिक्स योजना, दिल्ली इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन, विनिर्माण और नवीनीकरण (ईएसडीएमआर) नीति 2022-27 और औद्योगिक एवं आर्थिक विकास नीति 2023-33 तैयार हैं. इन्हें सीएम की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की मंजूरी की जरूरत है.

AAP ने बताया कैसे होगा काम

कैबिनेट में रिक्त पद के लिए एक नए मंत्री की नियुक्ति और मेयर चुनाव के लिए एक पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति के लिए भी केजरीवाल की मंजूरी का इंतजार है. आप विधायक और वकील सोमनाथ भारती ने कहा कि कोर्ट ने सीएम को उन सभी फाइलों पर हस्ताक्षर करने की अनुमति दे दी है, जिनके लिए LG की मंजूरी की जरूरत होती है. भारती ने कहा, ‘सरकार द्वारा लिए गए ज्यादातर फैसलों के लिए LG की मंजूरी की जरूरत होती है. इसका मतलब है कि काम प्रभावित नहीं होगा. हमारी कानूनी टीम इन सभी पहलुओं पर गौर करेगी और जहां भी जरूरत होगी, स्पष्टीकरण या छूट के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है.