रायपुर. आषाढ़ माह की अमावस्या को अषाढ़ी अमावस्या या हलहारिणी अमावस्या कहा जाता है. चंद्र मास के अनुसार आषाढ़ वर्ष का चौथा माह होता है. इसके बाद श्रावण यानी सावन माह की शुरुआत हो जाती है. धर्म शास्त्रों में आषाढ़ मास की अमावस्या बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. इस दिन किसी पवित्र नदी, सरोवर में स्नान और पितरों के निमित्त दान व तर्पण करने का विधान रहता है. इसके अलावा अमावस्या तिथि पितृदोष और कालसर्प दोष को दूर करने के लिए काफी शुभ मानी जाती है. ऐसे में कहा जाता है कि आषाढ़ अमावस्या के दिन कुछ उपायों को अमल में लाया जाए तो जीवन से कई सारी परेशानियां दूर हो सकती हैं और व्यक्ति का जीवन खुशहाल बन सकता है.

तो चलिए जानते हैं जीवन में खुशहाली के लिए आषाढ़ अमावस्या के दिन क्या करना चाहिए.

  • अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करना शुभ माना जाता है इससे पितृ दोष दूर होता है. आषाढ़ अमावस्या पर पीपल के पेड़ पर 108 बार कलावा लपेटकर परिक्रमा करनी चाहिए. साथ ही पीपल के पेड़ पर घी का दीपक लगाने से पितर प्रसन्न होते हैं.
  • आषाढ़ अमावस्या के दिन स्नान आदि के बाद जल में काले तिल डालकर पितरों का तर्पण किया जाता है. दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके ऐसा करने से पितरों की आत्माओं को संतुष्टी मिलती है.
  • अमावस्या पर दान करने का महत्व है. पूजा-पाठ के बाद पितरों का ध्यान करते हुए आषाढ़ अमावस्या पर गरीबों को कपड़े और अन्न का दान करता चाहिए. इससे पितर शांत होते है और घर में खुशहाली आती है.
  • इस दिन पीपल, बड़, आंवले, नीम का पौधा लगाने की परंपरा है. नियमित रूप से इन पौधों को लगाने के बाद सेवा करने से पितर खुश होते हैं. इन्हें घर या आसपास लगाने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
  • आषाढ़ अमावस्या पर सुबह स्नान करने के बाद पितरों को पानी में अक्षत् और काला तिल मिलाकर तर्पण दें.
  • आषाढ़ अमावस्या के दिन पीपल का एक पौधा लगाएं और इस पौधे की सेवा भी करें. ऐसा करने से पितर बेहद प्रसन्न होते हैं.
  • आपके द्वारा लगाया गया पीपल का पौधा जैसे जैसे बड़ा होगा, आपको अपने पितरों से आशीर्वाद प्राप्त होगा और आपके घर के सारे संकट धीरे-धीरे दूर हो जाएंगे.
  • साथ ही इस दिन ब्राह्मणों को भोजन, दान और दक्षिणा दें. इसके अलावा कौआ, गाय, कुत्ता को भी भोजन का कुछ अंश दें. इससे पितर प्रसन्न होते हैं.