रायपुर. छत्तीसगढ़ सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष व भाजपा नेता अशोक बजाज ने धान खरीदी को लेकर सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि धान खरीदी में कई समस्याएं आ रही है. किसान परेशान है. सोसायटी में किसानों की धान समय पर नहीं खरीदी जा रही. देरी से टोकन मिल रहा है. भुगतान में भी देरी आ रही है, जिस वजह से रबी फसल पर प्रभावित होगी. बजाज ने कहा कि सरकार को इन सारी समस्याओं को जल्द समाधान किया जाना चाहिए.

अशोक बजाज ने बताया कि अभी सोसायटियो में 1 दिसंबर से धान खरीदी शुरू हुई है, जबकि 15 नंवबर से शुरू करना चाहिए था. यही मुख्यमंत्री जब विपक्ष में थे तो तात्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह से निवेदन करते थे कि 15 नवंबर की बजाए, 1 नवंबर से खरीदी की जाए. औऱ खुद जब जिम्मेदारी की पद पर आ गए तो 15 नवंबर के बजाए और 15 दिन आगे बढ़ा दिए.

इस साल किसानों को इतनी परेशानी हो रही है कि आज किसान टोकन कटाने जा रहे हैं. किसान पूछ रहे हैं कि सोसायटी में धान कब लाये. उनका नंबर जनवरी में लग रहा है. यानि जो किसान नवंबर में और अक्टूबर में धान कटाई किया है. अब उनकी धान की बिक्री जनवरी में होगी. अब इतना दिन का जो सूखत आएगा. इतने दिनों तक रखने की जो समस्या आएगी. धान को किसान कैसे सुरक्षित रखेंगे. खलिहान में धान रखा हुआ है. अब किसान करे तो करे क्या. अभी मौसम खराब है. अगर अचानक बारिश हुई तो किसानों पर मुसीबत आ जाएगी. इस स्थिति में लाकर सरकार ने खड़ा कर दिया है.

बजाज ने सवाल करते हुए कहा कि किसानों ने जो पंजीयन कराया है. जितनी उनकी जमीन है. उसमें ये लोग कटौती कर रहे हैं. और सभी कलेक्टरों को इन्होंने टारगेट दिया है कि रकबा के रिकार्ड को कम करो कहके. ये कैसे संभव है. इन्होंने जो ऋण पुस्तिका दिया है, और पटवारी ने जो रिकार्ड दिया है और सरकार का जो भूईया पोर्टल है इन दोनों में जमीन आसमान का अंतर आ रहा है. इस कारण सोसायटी के कर्मचारी परेशान है कि अब किसान के ऋण पुस्तिका से खरीदी करे या भूईया पोर्टल के हिसाब से खरीदी करे. इससे किसान और सोसायटी वाले भी असमंजस में हैं.

तीसरी बात ये है कि इस बार खरीदी प्रक्रिया को पेचीदा बना दिया है. धान तो खरीदी करेगी सोसायटी वाले. अब सोसायटी में धान की 12 छली लगेगी. मोटा अलग और पतला अलग लगेगी. छलनी के हिसाब से ही उठाव होगा. इसके अलावा धान का पुराने बोरे से और नया बोरे के नाम में अलग छलनी होगी. जबकि  सरकार सभी कार्य के लिए सोसायटियों को सिर्फ 12 रुपए दे रही है, जो इतने कम दाम में खरीदी करना संभव नहीं हे.

खाद्य मंत्री ने खरीदी केंद्रों का निरीक्षण किया. किसानों और कर्मचारियों ने उनसे सवाल किया. लेकिन मंत्री ने गोल माल जवाब दे दिया, लेकिन समस्या का निदान नहीं किया. बजाज ने कहा कि पहले जिस दिन किसान धान बेचता था उसी दिन किसानों के खातों में पैसा आ जाता था, लेकिन अब यह नहीं हो रहा. किसानों को रवि फसल भी लेना है, लेकिन भुगतान नहीं होने से रबी फसल प्रभावित होगी. पूर्व की भांति जो व्यवस्था थी उसी प्रकार सरकार धान की खरीदी करें.

कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि आपकी लड़ाई भाजपा सैद्धांतिक हो सकती है लेकिन किसानों को इससे नुकसान नहीं होना चाहिए. इसके लिए सरकार को योजना बनानी चाहिए, लेकिन दुख की बात है कि ऐसा नहीं हो रहा है.