गुवाहाटी। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने उम्मीद जताई है कि केंद्र सरकार आगामी संसद सत्र में 125वां संविधान संशोधन विधेयक पेश करेगी. इस संशोधन विधेयक का उद्देश्य राज्य के बोडो-बहुल क्षेत्रों की तरह आदिवासी स्वायत्त परिषदों को अधिक अधिकार प्रदान करना है.
बोडो शांति समझौते 2020 के पांच साल पूरे होने के उपलक्ष्य में यहां आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान प्रेस से बात करते हुए सरमा ने कहा कि उनकी सरकार इस त्रिपक्षीय समझौते के लाभों को इस तरह से समाहित करने के लिए काम करेगी कि यह शांति प्रक्रिया को “बेपटरी” न करे. मुख्यमंत्री के साथ बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद (बीटीसी) के मुख्य कार्यकारी सदस्य प्रमोद बोरो भी थे.
उन्होंने कहा. “एक प्रस्ताव है… हम इसे संविधान का 125वां संशोधन कहते हैं. राज्य सरकार संशोधन का समर्थन कर रही है. भारत सरकार उस संविधान संशोधन को लाने की प्रक्रिया में है. स्थायी समिति की चर्चा समाप्त हो गई है. हम दोनों (बीटीसी प्रमुख बोरो) को उम्मीद है कि आने वाले बजट सत्र में कुछ सकारात्मक देखने को मिलेगा.”
बता दें कि संविधान (125वां संशोधन) विधेयक, 2019 को केंद्र सरकार ने 2019 में राज्यसभा में पेश किया था. विधेयक वित्त आयोग और संविधान की छठी अनुसूची से संबंधित प्रावधानों में संशोधन करना चाहता है. छठी अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों में आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित है.
संविधान की छठी अनुसूची के तहत स्थापित बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (बीटीआर) में पाँच जिले शामिल हैं – कोकराझार, चिरांग, बस्का, उदलगुरी और तामुलपुर और यह बीटीआर के 8,970 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर शासन करता है, जिसमें 31 लाख से अधिक लोग रहते हैं, जिनमें असम में सबसे बड़ी अनुसूचित जनजाति बोडो भी शामिल है.