रायपुर। विधानसभा में किसानों की आत्महत्या मामले पर सत्तापक्ष और विपक्ष आमने-सामने हो गए. सरकार ने विपक्ष पर स्थगन ग्राह्य होने के बाद लगाया चर्चा से भागने का आरोप. वहीं विपक्ष ने कहा कि सरकार आत्महत्या जैसे गंभीर विषय पर भी जवाब नहीं दे रही है. दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस के साथ एक-दूसरे पर किसानों की आत्महत्या को लेकर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहे.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा यह सरकार किसानों की सरकार है, किसानों के लिए जो सवाल उठेगा उसका जवाब देंगे. भारी हंगामे के बीच सदन की कार्रवाई 5 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी. सदन की कार्रवाई शुरू होने के साथ विपक्षी सदस्य किसानों की खुदकुशी के मामले में सरकार पर आरोप लगाते रहे. बृजमोहन अग्रवाल और नारायण चंदेल ने ख़ुदकुशी करने वाले किसानों के परिजनों को 25 – 25 लाख मुआवजा देने की मांग करते हुए हंगामा किया.
सत्ता पक्ष सदस्यों ने विपक्षी सदस्यों पर घड़ियाली आंसू बहाने का आरोप लगाते हुए नारेबाजी की. वहीं भाजपा सदस्य नारेबाजी करते हुए गर्भगृह में पहुंचे. इसके साथ सदन में फिर हंगामा मंच गया. सदन ने गर्भगृह में नारेबाजी करने वाले भाजपा और जनता कांग्रेस के सदस्यों को निलंबित कर दिया गया, लेकिन निलंबित सदस्य गर्भगृह में बैठक कर नारेबाजी करने लगे. आखिरकार सभापति ने सदन की कार्यवाही मंगलवार तक के लिए की स्थगित कर दी.
सरकार की तारीफ बीजेपी को नहीं पच रही
सदन की कार्यवाही ख़त्म होने के बाद कांग्रेस विधायक और पीसीसी चीफ़ मोहन मरकाम ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार के काम की हर तरफ़ तारीफ़ हो रही है. बीजेपी को यह पच नहीं रहा है. 15 सालों तक बीजेपी की सरकार के दौरान बरि तदात में किसानों ने आत्महत्या की लेकिन कभी किसानों के परिजनों को उचित मुआवज़ा नहीं दिया.
भूपेश सरकार ने पूरे किए वादे
सहकरिता मंत्री प्रेम साय सिंह टेकाम ने कहा कि किसानों से किए सभी वादे भूपेश सरकार ने पूरे किए हैं. किसानों के मुद्दों पर चर्चा से विपक्ष भाग रहा है. वहीं संसदीय कार्यमंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि प्रतिपक्ष की ऐसी दयनीय हालत नहीं देखी. छत्तीसगढ़ के किसानों से जुड़े मुद्दे को लेकर विपक्ष के स्थगन पर हमने हामी भरी, लेकिन जब नाम पुकारा गया तब विपक्ष चर्चा से भागता रहा. रमन सरकार में कितने किसानों को मुआवज़ा दिया. 15 सालों तक किसानों को धोखा देने वाले लोग सदन में चर्चा से भागते हैं.
अलग-अलग विभागों से आना था जवाब
रमन सिंह ने कहा कि किसानों की आत्महत्या, धान ख़रीदी की अव्यवस्था जैसे तमाम मुद्दों को लेकर स्थगन लाया गया था. तरीक़ा ये होता है कि अलग-अलग विभागों से जवाब आ जाए और उसे सदन में प्रस्तुत किया जाए. हम ये जवाब नहीं चाहते थे कि सरकार ने कितनी धान की ख़रीदी कर दी ? कितनी राशि बाँट दी ? किसानों की आत्महत्या के मामले को लेकर सरकार ने किसी की मौत की वजह बीमारी बता दी, किसी की मौत की वजह पति-पत्नी के झगड़े को बता दिया, किसी की मौत को शराबखोरी बता दिया गया.
वहीं पूर्व मंत्री और बीजेपी विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि स्थगन के विषय और सरकार के जवाब सामने हैं. सदन में समग्र रूप से चर्चा होगी. सरकार की यह ज़िम्मेदारी है. सभी उत्तर को संकलित कर सदन में सरकार को जवाब प्रस्तुत करना चाहिए.