सत्यपाल सिंह,रायपुर। प्रदेशभर में वन अधिकार के लिए संयुक्त मोर्चा संघ वन स्वराज आंदोलन की सभा और रैली का ऐलान किया है.  कांग्रेस सरकार के खिलाफ वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए 18 नवंबर को रायपुर के बूढ़ा तालाब धरना स्थल पर होगा धरना प्रदर्शन करेंगे. जिसमें प्रदेशभर के 30 से ज्यादा संगठन शामिल होंगे.

छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला ने बताया कि इस यह अधिनियम कांग्रेस सरकार द्वारा ही बनाया गया था और इसका दुरुपयोग करते हुए बीजेपी सरकार ने जो अन्याय किया है. उसे कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के पहले बातचीत कर इसमें संशोधन और अन्याय के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ने की बात कही थी. घोषणा किया था, लेकिन सरकार 10 महीने बीत जाने के बाद भी कोई क़दम नहीं उठाया है. इसलिए सरकार को अपनी वादा सभा और रैली के माध्यम से याद दिलाई जाएगी.

ये इनकी प्रमुख मांगे…

  • वन अधिकार कानून के क्रियान्वयन को प्रदेश सरकार प्राथमिकता पर मिशन मोड में लाए.
  • गलत तरीके से खारिज किये या बगैर सुनवाई का अवसर दिए खारिज किये गए दावों पर पनर्विचार कर वाजिब दावे मान्य किये जाये, प्रत्येक निरस्त दावों के कारणों को दर्ज कर दावेदार सहित सार्वजानिक जानकारी में उपलब्ध रखा जाये. 
  • खनन, उद्योगों एवं विकास परियोजनाओं के लिए वनभूमि के व्यपवर्तन (डायवर्सन) के लिए ग्राम सभा की दबाव-मुक्त, लिखित अनिवार्य सहमति लेने का पालन किया जाये.
  • भारतीय वन अधिनियम, 1927 में प्रस्तावित संशोधनों को भविष्य में लागू न होने दिया जाये, और वन अधिकार कानून की मंशा के अनुरूप राज्य कानून में बदलाव किया जाए. 
  • प्रदेश में शून्य विस्थापन की नीति अपनाई जाये. विशेष रूप से वनजीव अभ्यारण्यों, टाइगर रिजर्व एवं राष्ट्रीय उद्यानों तथा विशेषरूप से कमजोर आदिवासी समूहों की बेदखली को तुरंत रोका जाए.
  • हाथी रिजर्व सहित, प्रदेश में कोई भी वनजीव अभ्यारण्य घोषित करने से पूर्व सम्बंधित ग्राम सभाओं की दबाव मुक्त, पूर्व-सूचित सहमति ली जाए.
  • वन विभाग द्वारा व्यय किये जाने वाले क्षतिपूर्ति वनीकरण निधि (कैम्पा) सहित अन्य मदों पर ग्रामसभा का नियंत्रण, वनाधिकार नियम 4(1)च के तहत सुनिश्चित किया जाये. 
  • राज्य सरकार वनाधिकार कानून के सभी उल्लंघन के प्रति अति संवेदनशीलता रहे एवं वनाधिकार के विरुद्ध दायर याचिकाओं की सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय व उच्च नयायालय में सजगता से जनपक्षीय दलील रखें.