डॉ. वैभव बेमेतरिहा की स्पेशल रिपोर्ट-

रायपुर । छत्तीसगढ़ के 5 संभागों में सबसे बड़ा कोई संभाग है, तो वो है बिलासपुर. बिलासपुर संभाग जिलों के लिहाज से भी और सीटों के लिहाज से भी सबसे बड़ा संभाग है. प्रदेश के 90 विधानसभा में से सर्वाधिक 24 सीटें इसी संभाग में हैं. 4 लोकसभा सीट भी इस संभाग में है.

दिलचस्प यह है कि इस संभाग पर कांग्रेस और भाजपा का ही नहीं अन्य दलों का भी प्रभाव जबरदस्त है. यही नहीं यहाँ का जातीय समीकरण भी सीटों के लिहाज से प्रभावपूर्ण है. 24 विधानसभा सीटों में अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग का असर आरक्षित के साथ-साथ अनारक्षित सीटों पर भी है. वहीं 4 लोकसभा सीटों में एक एससी और एक एसटी के लिए भी आरक्षित है.

इस संभाग की अहमियत अविभाजित मध्यप्रदेश से रही है. इस संभाग ने कई बड़े राजनेताओं की जमीन तैयार की. स्व. काशीराम, बीआर यादव, राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल, अर्जुन सिंह, अजीत जोगी, दिलीप सिंह जूदेव, हीरा सिंह मरकाम जैसे नेताओं के नाम शामिल हैं.

मौजूदा समय में इस संभाग से भाजपा से प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव, नेता-प्रतिपक्षण नारायण चंदेल, जबकि कांग्रेस से विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरण दास महंत, वहीं जोगी कांग्रेस से पार्टी की प्रमुख डॉ. रेणु जोगी और बसपा से विधायक केशव चंद्रा मोर्चा संभाले हुए हैं. इनके बीच आप से राज्यसभा सांसद संदीप पाठक और फिलहाल स्वतंत्र रूप से विधायक धर्मजीत सिंह जैसे नेता भी अपनी ताकत दिखा रहे हैं.

बिलासपुर संभाग एक तरह से वर्तमान में राजनीति का हॉट स्पॉट बन चुका है. इसके पीछे कारण भी बहुत स्पष्ट है. दरअसल यहाँ मुकाबला अन्य संभाग के सीटों की तरह भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा नहीं, बल्कि 6 दलों के बीच है.

यहाँ कांग्रेस, भाजपा, जोगी कांग्रेस, बसपा, गोंगपा जैसी पार्टियां तो मुकाबले में थी ही अब आम आदमी पार्टी भी इन पार्टियों के बीच अपनी उपस्थिति प्रभावपूर्ण दर्ज कराती हुई नजर आ रही है.

2018 के चुनाव परिणाम के आधार पर 24 सीटों पर पार्टियों की स्थिति क्या थी उसे समझिए-

कुल सीट- 24

एससी आरक्षित सीट- 4 ( मुंगेली, मस्तुरी, पामगढ़ और सारंगढ़ )
एसटी आरक्षित सीट- 5 ( मरवाही, पाली-तानाखार, रामपुर, धर्मजयगढ़ और लैलूंगा )
अनारक्षित सीट- 15 ( लोरमी, तखतपुर, कोटा, बिलासपुर, बिल्हा, बेलतरा, कटघोरा, कोरबा, अकलतरा, जांजगीर-चांपा, जैजैपुर, चंद्रपुर, सक्ती, खरसिया, रायगढ़ )

कांग्रेस ने सर्वाधिक 12 सीटों पर जीत हासिल की थी. इनमें एसटी की 3, एससी की 1 और शेष सामान्य सीटें शामिल है. ( तखतपुर, पाली-तानाखार, कटघोरा, कोरबा, सक्ती, चंद्रपुर, खरसिया, सारंगढ़, रायगढ़, धर्मजयगढ़ और लैलूंगा )

भाजपा को 7 सीटों में जीत मिली थी. इनमें – एसटी की 1, एससी की 2 और सामान्य की 4 सीटें शामिल हैं. ( मुंगेली, बिल्हा, मस्तुरी, बेलतरा, अकलतरा, जांजगीर-चांपा और रामपुर )

जोगी कांग्रेस को 3 सीटें मिली थी. इनमें – एसटी की 1 और 2 सामान्य सीटें शामिल हैं. ( लोरमी, कोटा और मरवाही )

बसपा को 2 सीटों पर जीत मिली थी. 1 सीट एससी और 1 सीट सामान्य शामिल हैं. ( पामगढ़ और जैजैपुर )

मौजूदा स्थिति-

जोगी कांग्रेस-

पार्टी के संस्थापक अजीत जोगी के निधन के बाद खाली हुई मरवाही सीट पर अब कांग्रेस का कब्जा है. उपचुनाव में कांग्रेस ने यह सीट जीत ली थी.

वहीं लोरमी विधायक धर्मजीत सिंह अब जोगी कांग्रेस से अलग चुके हैं. लिहाजा जोगी कांग्रेस के पास फिलहाल एक सीट कोटा ही है, जहां से पार्टी प्रमुख रेणु जोगी विधायक हैं.

अजीत जोगी के निधन के बाद से अब जोगी कांग्रेस की नींव बिलासपुर संभाग में कमजोर हो चुकी है. लेकिन पार्टी अभी भी भाजपा और कांग्रेस के समीकरण बनाने और बिगाड़ने में अपनी भूमिका निभा सकती है.

गोंगपा-

पार्टी के संस्थापक हीरा सिंह मरकाम के निधन के बाद गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की स्थिति भी अब बहुत खराब है. सर्वाधिक प्रभाव पाली-तानाखार सीट पर है. लेकिन कुछ अन्य सीटों पर कांग्रेस और भाजपा की राजनीति को प्रभाव करती है.

बसपा-

पार्टी के संस्थापक रहे काशीराम ने अपना पहला चुनाव इसी संभाग से लड़ा था. तब से लेकर अभी तक बसपा का प्रभाव बिलासपुर संभाग में रहा है. पार्टी यहाँ से एक से दो सीटें जीतती रही है. विशेषकर बिलासपुर और जांजगीर जिले के सीटों पर बसपा का प्रभाव है. कांग्रेस और भाजपा के सीटों पर समीकरण बनाने और बिगाड़ने की स्थिति में है.

आप –

आम आदमी पार्टी की जड़े अभी मजबूत नहीं है. लेकिन आप के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री और राज्यसभा सांसद संदीप पाठक के बिलासपुर संभाग से होने का बड़ा फायदा आप लेने की स्थिति में है. कांग्रेस का समीकरण बिलासपुर में आप बिगाड़ सकती है.

23 का रण

मौजूदा स्थिति में इन 4 पार्टियों के बीच भाजपा और कांग्रेस फंसी हुई है. 23 के रण में इन पार्टियों का कितना व्यापक असर दिखेगा ये तो परिणाम के बाद पता चलेगा. लेकिन जो स्थिति अभी नजर आ रही है उसमें बिलासपुर संभाग में किसी भी दल के लिए राह आसान नहीं है. जैसा सियासी समीकरण और 6 दलों के बीच वोट का बंटवारा यहाँ दिखता है, वैसा कहीं और नहीं दिखता. इस लिहाज से बिलासपुर में अगर कोई बड़ा उलटफेर 23 में हो जाए तो इसमें आश्चर्य करने जैसी बात नहीं होनी चाहिए.

Assembly Election-2023
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