शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, सहित पांच राज्यों के चुनाव तारीखों का ऐलान होने वाला है। आज 12 बजे चुनाव आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई है। संभावना है कि 10 से 15 दिसंबर की तारीख मतदान के लिए तय की जा सकती है। निर्वाचन आयोग से जुड़े अधिकारियों ने पांच राज्यों के दौरे करके चुनावी तैयारियां पूरी कर ली हैं। 

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बता दें कि मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव को अगले साल होने वाले 2024 के लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है। छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है तो मध्य प्रदेश में बीजेपी काबिज है। तेलंगाना में बीआरएस और मिजोरम में एमएनएफ जैसी क्षेत्रीय पार्टी की सरकार है। 2018 में चुनाव आयोग ने 6 अक्टूबर को मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा की थी।  

2018 में एमपी में ऐसा था चुनाव परिणाम 

2018 के इलेक्शन में कांग्रेस को 114, बीजेपी को 109, बसपा को दो और समाजवादी पार्टी को एक सीट मिली थी।  साथ ही निर्दलीय चार सीट जीते थे।

संभाग वार किसे कितनी सीट मिली थी ?
इंदौर और उज्जैन संभाग के 15 जिलों में बंटा ये क्षेत्र 66 विधानसभा सीटें रखता है, जिनमें से 22 आदिवासियों के लिए आरक्षित है. कांग्रेस ने बीते चुनावों में 22 में से 14 सीटें जीत ली थीं. मालवा-निमाड़ की 66 सीटों में से कांग्रेस ने 35 सीटों पर दर्ज की थी। भारतीय जनता पार्टी के केवल 28 प्रत्याशी ही जीतकर विधानसभा पहुंचे सके थे। विंध्य संभाग में कुल 30 सीट जिसमें से 24 सीट बीजेपी जीती थी 6 सीट कांग्रेस। ग्वालियर-चंबल संभाग में सर्वाधिक सीटें कांग्रेस को मिली थीं, 8 जिलों की कुल 34 सीटों में 26 कांग्रेस के खाते में गई थीं जबकि भाजपा को 7 और बसपा को एक सीट मिली थी… वहीं अकेले चंबल संभाग के तीन जिलों की 13 सीटों में 10 कांग्रेस के पाले में आई थीं।

महाकौशल इलाके में 38 सीटें आती हैं…2018 के चुनाव में कांग्रेस ने 24 सीटें जीती थीं, जबकि भाजपा को 13 सीटों मिली थी। बुंदेलखंड इलाके में विधानसभा की 26 सीटें आती हैं। बुंदेलखंड की 26 सीटों में से 17 में बीजेपी और सात में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। यहां से समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के खाते में भी एक-एक सीट आई थी। नर्मदापुरम संभाग में 2018 में भाजपा 7, कांग्रेस 4 सीटों पर जीती थी।  

मध्य प्रदेश में जातिगत समीकरण की बात की जाए तो करीब 50 फीसदी ओबीसी मतदाता, 22 फीसदी आदिवासी मतदाता, 17 फीसदी एससी मतदाता है। मध्यप्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से 47 सीटों आदिवासी समाज के लिए आरक्षित है। 2018 विधानसभा में कांग्रेस के पास 30 सीटें गई थी। तो वहीं बीजेपी के खाते में 16 सीटें आई थी। 78 सीटों पर हार जीत तय करते हैं आदिवासी। एमपी की जनसंख्या के 22 प्रतिशत आबादी आदिवासी की है। 
2011 जनगणना के मुताबिक, मध्यप्रदेश में 43 आदिवासी समूह हैं। 230 विधानसभा सीटों में एससी वर्ग के लिए 35 सीट आरक्षित है। जिसमे से 18 सीटें बीजेपी जीती थी, कांग्रेस के पास गई थी 17 सीटें आई थी। 

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