सुधीर दंडोतिया, भोपाल। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के माथे से कुपोषण (Malnutrition) का कलंक मिटने का नाम नहीं ले रहा हैं। प्रदेश में सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी 78 हजार बच्चों में कुपोषण मिला है। पिछली तिमाही रिपोर्ट की तुलना में गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या बढ़ी है। वहीं इस रिपोर्ट के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग (Women and Child Development Department) कुपोषित बच्चों को सही स्थिति में लाने का प्रयास करेगा।
21 हजार से अधिक बच्चे गंभीर कुपोषित
जानकारी के मुताबिक, मुख्यमंत्री बाल आरोग्य संवर्धन कार्यक्रम के तहत प्रदेश में गंभीर और मध्यम कुपोषित बच्चों की पहचान करने और उन्हें पोषित बच्चों की श्रेणी में लाने के लिए हर माह 11 से 20 तारीख तक रोजाना आंगनबाड़ी (Anganwadi) आने वाले बच्चों की मॉनिटरिंग होती है। अटल बिहारी वाजपेयी बाल आरोग्य एवं पोषण मिशन ने 2 जून को तिमाही रिपोर्ट (जनवरी, फरवरी और मार्च 2023) पेश की। इस रिपोर्ट में 21 हजार 631 बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित मिले हैं, जबकि 57 हजार 602 बच्चे मध्यम कुपोषित पाए गए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, राजधानी भोपाल समेत सात संभागों ग्वालियर, इंदौर, चंबल, रीवा, सागर और उज्जैन में गंभीर कुपोषित बच्चे पिछली बार से ज्यादा मिले हैं। धार जिले में 2 हजार से ज्यादा बच्चे गंभीर कुपोषित पाए गए हैं। वहीं श्योपुर जिले में कुपोषण की स्थिति में सुधार आया हैं। बता दें कि अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर 2022 की तिमाही रिपोर्ट में गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या 20 हजार से अधिक थी। ताजा तिमाही रिपोर्ट में 21 हजार से ज्यादा हो गई है।
कांग्रेस ने साधा निशाना
मप्र में कुपोषण की रिपोर्ट पर नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने कहा कि मैं तो मुख्यमंत्री से मांग करना चाहता हूं कि इस मामले की जांच करवाएं। बच्चे लगातार कुपोषित क्यों हो रहे है। लगातार करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी कुपोषण कम नहीं हो रहा है। CAG ने रिपोर्ट दी कि भ्रष्टाचार हो रहा है, पैसों का अपव्यय हो रहा है।
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