नई दिल्ली। कोविड-19 के संकट को अवसर में बदलने के लिए केंद्र सरकार के आत्मनिर्भर भारत पैकेज के चौथे और पाचवें चरण का वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने रविवार को खुलासा किया. इन पांच चरणों में कुल मिलाकर 11 हजार करो़ड़ रुपए के पैकेज घोषित किए गए हैं, जिसमें पूर्व में पीएमजीकेपी और आरबीआई द्वारा उठाए गए कदमों को मिलाकर करीबन 21 हजार करोड़ रुपए की पैकेज की घोषणा की गई है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन द्वारा रविवार को की गई घोषणाओं में सबसे महत्वपूर्ण राज्यों को भी सुधार के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से उनकी उधार लेने की सीमा को जोड़ना है. इसके लिए वन नेशन, वन राशन कार्ड, इज ऑफ डुइंग बिजनेस, पावर डिस्ट्रीब्यूशन और शहरी स्थानीय इकाइयों (निगमों) में सुधार से उधार लेने की सीमा में बढ़ोतरी होगी. इसमें 0.5 प्रतिशत बिना किसी कंडीशन के, 1 प्रतिशत इन चारों सुधारों के लिए 0.25 प्रतिशत के हिसाब से और चार सुधारों में तीन सुधारों का लक्ष्य हासिल करने पर 0.5 प्रतिशत बढ़ोतरी की बात कही गई है.

इसके अलावा अब तक सार्जवनिक उपक्रमों के लिए सुरक्षित क्षेत्र को भी निजी क्षेत्र के लिए खोलने की बात कही गई है. इसके लिए जल्द ही सार्वजनिक क्षेत्र के लिए स्ट्रेटजिक सेक्टर की सूची जारी की जाएगी. स्ट्रेटजिक सेक्टर में भी एक सार्वजनिक उपक्रम के अलावा निजी उपक्रमों के लिए खोला जाएगा. अन्य क्षेत्रों (गैर स्ट्रेटजिक) में काम कर रहे सार्जवनिक उपक्रमों का निजीकरण किया जाएगा. इसके अलावा बैंकों की तरह संसाधनों की बर्बादी को रोकने के लिए स्ट्रेटजिक सेक्टर में काम कर रहे सार्जवनिक उपक्रमों को समाहित किया जाएगा, इसके अलावा दूसरे क्षेत्र में सार्जवनिक उपक्रमों को निजी, समाहित या होल्डिंग कंपनी में बदला जाएगा.

इसके अलावा कार्पोरेट के लिए इज ऑफ डुइंग के तहत कई उपायों की घोषणा की गई है. इसमें शेयर बाजार में लिस्टिंग से लेकर डिफाल्ट होने पर पेनाल्टी को कम करना शामिल है. इसके अलावा कंपनी एक्ट में डिफ्लाट को गैर आपराधिक किया जा रहा है. इसमें छोटी तकनीकी और प्रक्रिया गत खामियों में राहत प्रदान की गई है. इसके अलावा 7 अपराधों को हटा दिया जाएगा वहीं 5 को दूसरे वैकल्पिक फ्रेमवर्क में शामिल किया जाएगा. वहीं कंपनियों के दिवालिया होने की न्यूनतम सीमा को एक लाख से बढ़ाकर एक करोड़ किया गया है. इसके अलावा एक साल के लिए नए प्रकरणों को स्थगित कर दिया गया है.

कोविड-19 संकट ने शिक्षा की पारंपरिक तरीके को बदल कर रख दिया है. इसे अवसर बनाते हुए पीएम ईविद्या प्रोग्राम तत्काल प्रभाव से शुरू किया जा रहा है. इसमें दिक्षा के तहत राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों की सभी कक्षाओं की पाठ्यसामग्री को वन नेशन वन डिजिटल प्लेटफार्म के तहत इ-कंटेन्ट में बदला जाएगा. इसके अलावा पहली कक्षा से लेकर 12वीं कक्षा तक के लिए एक-एक टीवी चैनल शुरू किया जाएगा, वन क्लास, वन चैनल के तहत और दिव्यांग लोगों के लिए स्पेशल ई-कंटेट तैयार किया जाएगा. इसके साथ ही सर्वश्रेष्ठ सौ विश्वविद्यालयों को 30 मई 2020 तक ऑनलाइन क्लास शुरू करने की इजाजत दे दी गई है. इसके अलावा छात्रों, टीचर और पालकों के मनौसामाजिक समर्थन के लिए मनोदर्पण लांच किया जाएगा. 21वीं सदी की जरूरतों के हिसाब से स्कूलों के लिए नया राष्ट्रीय पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा. वहीं सभी बच्चों को 2025 तक कक्षा पांचवीं के बराबर शिक्षा मिल सके इसके लिए नेशनल फाउंडेशनल लिट्रेसी एण्ड न्यूमेरी मिशन दिसंबर 2020 में लांच किया जाएगा.

इसके अलावा स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के लिए निचले स्तर पर निवेश को बढ़ावा दिया जाएगा. इसके साथ सभी जिला अस्पतालों में संक्रामक रोग के लिए अलग से ब्लॉक बनाया जाएगा. इसके अलावा महामारी को रोकने के लिए लेब नेटवर्क के साथ निरीक्षण को भी बढ़ाया जाएगा. शोध को बढ़ावा दिया जाएगा और नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन बनाया जाएगा. वहीं मजदूरों की भलाई के लिए मनरेगा में रोजगार की बढ़ोतरी के लिए 40 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त आबंटन किया गया है. इसके 300 करोड़ मानव दिवस बनेंगे. इससे जीवकोपार्जन के नए अवसर पैदा होंगे.