आवारा कुत्तों के आतंक की खबर हर शहर से आती है. कुत्तों का अचानक से खुंखार होना इंसान के लिए चिंता का विषय बन चुका है. आज किसी भी राज्य की बात करें सभी जगह आवारों कुत्तों के हमले के मामले आम हो गए है. किसी भी शहर का आंकड़ा उठा लीजिए, कत्तों के इनसानों पर हमले के प्रतिदिन 150 से 200 केस मिल ही जाएंगे. इसे लेकर राज्य सरकारे अपने स्तर पर प्रयास, अभियान और तरह-तरह से जतन कर रही है. लेकिन इन आवारा कुत्तों के जबड़े से कोई बच नहीं पा रहा. आज हम बात करेंगे कुत्तों की इस मनोस्थिति की सबसे बड़ी वजह क्या हो सकती है? जिसके कारण कुत्ते हमलावर और खुंखार हो चुके हैं। इनसे कैसे बचा जा सकता है और किस तरह की सावधानी जरूरी है.

रेबीज वायरस 19 साल तक मरीज को ले सकता है गिरफ्त में

रेबीज हो जाने के बाद इसका कोई इलाज नहीं है। यह रोग 19 वर्ष तक मरीज को अपनी गिरफ्त में ले सकता है. एक समय ऐसा भी था, जब कुत्ते के काटने पर 16 इंजेक्शन लगवाने पड़ते थे, वह भी पेट में. स्वास्थ्य विभाग के पास एंटी रेबीजवैक्सीन पर्याप्त नहीं है. वैक्सीन की किल्लत के कारण इंजेक्शन लगवाने आने वाले मरीजों अधिकतर जगह टरका दिया जाता है. डॉक्टर मरीज से कहते हैं कि पता करें कि कुत्ता मरा है या नहीं.

मेडिकल साइंस अब तक नहीं खोज सकी इलाज

इस जानलेवा बीमारी का नाम रेबीज है, जिसका वायरस दुनियाभर में हर 10 मिनट में एक व्यक्ति की जान ले रहा है. कुत्ते या बिल्ली के काटने को अगर इग्नोर कर दिया जाए तो ये सीधे मौत का पैगाम बन जाता है. रेबीज होने पर आज तक कोई नहीं बच सका है. एक बार रेबीज हो जाए तो मेडिकल साइंस के पास 4500 साल पुरानी इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है.

चौकाने वाले आंकड़े

डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) की रिपोर्ट के अनुसार हर साल देश में 70,000 से अधिक लोग हैं इस बीमारी के संक्रमण की चपेट में आते हैं.

  • पूरी दुनिया में 90 प्रतिशत लोगों को कुत्ते के काटने से रैबीज होता.
  • भारत और अफ्रीकी देशों में 90 प्रतिशत मौत रेबीज वायरस फैलने की वजह से होती.
  • 99 प्रतिशत लोगों जो मरते हैं उन्हें कुत्ते ने ही काटा होता है.
  • दुनिया में हर 15 मिनट में रेबीज की वजह से मौत हो रही है. जिसमें 10 में से 5 बच्चों की संख्या है.
  • 60 प्रतिशत मामलों में रेबीज के मरीज 15 से कम उम्र के बच्चे शामिल होते हैं.

ऐसे होता है रेबीज

जानवर जैसे कुत्ता, बंदर, लंगूर आदि के काटने से जो लार व्यक्ति के खून में मिल जाती है, उससे रेबीज नामक बीमारी होने का खतरा रहता है. रेबीज रोग सीधे रोगी के मानसिक संतुलन को खराब कर देता है, जिससे रोगी का अपने दिमाग पर कोई संतुलन नहीं रहता है.

यह बरतें सावधानी

कुत्ता कुछ खा पी रहा हो तो उसके पास न जाएं.
अगर कुत्ते के पिल्ले उसके साथ हों उसके नजदीक न जाएं.
कुत्ते आपस में लड़ रहे हों तो भी उनसे दूर रहें.
सोते हुए कुत्ते को न छेड़ें.
कुत्तों के एकदम नजदीक से भागदौड़ न करें.
बच्चों को भी बताएं, कुत्तों के कान और पूंछ आदि न खींचें.

सावधान!भूखे कुत्ते होते हैं ज्यादा खूंखार

कुत्तों को भूख लगने पर वह ज्यादा गुस्सैल हो जाता है. इसी दौरान वह हमला करता है. गर्मी आने वाली है. ऐसे में पर्याप्त खाना नहीं मिलने से डॉग बाइटिंग के हादसे बढ़े जाते हैं. जानकारी के अनुसार आवारा कुत्ते भीषण गर्मी और भूख-प्यास के कारण खूंखार हो जाते हैं. गर्मी बढ़ने के साथ ही आवारा कुत्तों के झुंड बढ़ने और उनके गलियों में न केवल मवेशियों को शिकार बनाते हैं बल्कि रास्ते से गुजरते लोगों पर भी हमला कर देते हैं.

क्या है कुत्तों की साइकोलॉजी?

कुत्तों के सामने अचानक से कोई व्यक्ति आ जाने पर वे तय नहीं कर पाते कि सामने वाला दोस्ताना है, या हमलावर, तो ऐसे में किसी निर्णय पर आने से पहले ही वे अटैक कर देते हैं. इसी तरह के कुछ ही समय पहले ब’चों को जन्म दे चुके डॉग पेरेंट्स भी हमला करने की प्रवृति में रहते हैं. वे अपने पप्पी की सेफ्टी के लिए ऐसा करते हैं. कई बार कुत्ते किसी दर्द में होने पर भी गुस्सैल हो जाते हैं. और सबसे बड़ी वजह शहर में उन्हें खाना नहीं मिल रहा. भूखा होने के कारण वे आतंकी हो गए है.

कैसे पहचानें कि कुत्ता अटैक कर सकता है

कुत्ते के हमला करने का कोई पक्का संकेत नहीं है. हालांकि आवारा कुत्ता अगर आपको देखकर दूर से ही भौंक रहे हैं, या उनके हावभाव में बेचैनी हो, तो वे परेशान हैं, और उनके पास से गुजरने पर वे हमला भी कर सकते हैं. कुत्ते अपना एरिया भी होता है, ठीक वैसे ही जैसे हमारा घर होत है, ठीक वैसे ही जैसे हमारा घर होता है. वे अपने इलाके में घुसने वालों पर हमला कर सकते हैं. कई बार कुत्ते बड़ी तेजी से अपनी पूंछ मरोड़ते-काटते दिखते हैं ये भी इशारा है कि वो आपको दूर रहने कह रहा है.

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