आज के समय में औसतन हर व्यक्ति दिन में कम से कम 12 घंटे मोबाइल-लैपटॉप पर बिताता है. ऑफिस में पूरा दिन कंप्यूटर पर काम और उसके बाद मोबाइल पर वीडियो व दोस्तों के साथ चिट-चैट में ही दिन गुजर जाता है. अगर आप अपने स्मार्ट फोन व लैपटॉप पर ज्यादा समय बिताते हैं तो सावधान हो जाएं. लगातार मोबाइल फोन या लैपटॉप के इस्तेमाल से आपकी आंखों की रोशनी कमजोर हो सकती है. इसका दिमाग पर भी बुरा असर पड़ सकता है. इससे आंखों की मांसपेशियां कमजोर होती जा रही हैं.

वहीं आंखों पर भी प्रभाव पड़ने की संभावना बढ़ जाती है. 80 फीसदी लोग न्यूरॉलजिया का शिकार मोबाइल पर लैपटॉप के ज्यादा इस्तेमाल के कारण लगभग 80 फीसदी लोग न्यूरॉलजिया का शिकार हो चुके हैं. खुलासा जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के ऑर्थोपेडिक और एनेस्थीसिया विभाग की स्टडी में हुआ है. इस शोध में 170 मरीजों को लिया गया, जिसमें 13 से 17 साल के किशोर और 22 से 49 साल के युवा रहे. इस बीमारी से पीड़ित लोगों को हाथ और कोहनी में दर्द की शिकायत रही.

मोबाइल-लैपटॉप का ज्यादा इस्तेमाल करने वाले लोगों को गर्दन से लेकर कोहनी, पंजे तक दर्द होना शुरु हो गया. अधिकतम इस्तेमाल के कारण कंधे में सुन्नता का एहसास होने लगा. डॉक्टर के पास ऐसी शिकायतों वाले मरीज काफी बढ़ गए, जिसके बाद डॉक्टरों ने रिसर्च करने का फैसला लिया. 80 फीसदी में न्यूरॉलजिया की बीमारी ऐसे मरीजों को पहले पेन किलर और अन्य दवाएं दी गईं. इसके बावजूद एक महीने तक दर्द खत्म नहीं हुआ. सभी का एमआरआई और सीटी स्कैन कराया गया तो पता चला कि मोबाइल और लैपटॉप में घंटों काम करने से गर्दन की डिस्क बल्ज की वजह से विभिन्न नर्व रूटों पर दबाव पाया गया. सबसे ज्यादा दबाव गर्दन की सी 5-6, सी 6-7 की नर्व रूटों पर मिला.

मोबाइल-लैपटॉप का ज्यादा इस्तेमाल से होती हैं ये दिक्कतें

ध्यान देने वाली बात ये है कि, मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल करने वाले लोगों के कंधों और कोहनी में पीड़ा का ग्राफ हर दिन बढ़ा मिला. 80 फीसदी में न्यूरॉलजिया की बीमारी सामने आई. डॉक्टरों के मुताबिक जब पॉश्चर बदलने और मोबाइल-लैपटॉप के इस्तेमाल पर कुछ पाबंदी की गई तो नसों की लोकेशन भी कुछ ठीक पाई गई.

होती हैं समस्याएं

अगर आपको भी लैपटॉप इस्तेमाल करते समय सिरदर्द, कमर दर्द, गर्दन दर्द, आंखें लाल और पानी आने जैसी समस्याएं होती हैं. तो आपको सावधानी बरतने की जरुरत है. डॉक्टरों की मानें तो कंप्यूटर पर ज्यादा समय तक काम करने से शरीर का पॉश्चर बिगड़ जाता है. उंगलियों को आराम न मिलने से दर्द होता है, आंखों में चुभन महसूस होती है और धुंधला दिखाई देने लगता है.

बसे ज्यादा असर आंखों पर

रिपीटिटिव स्ट्रेन इंजरी में सबसे ज्यादा असर आंखों पर पड़ता है. मोबाइल-लैपटॉप पर लगातार काम करने से आंखो में दिक्कत आने लगती है. दरअसल, कंप्यूटर पर लगातर नजरें न हटाने की वजह से आपके आंखो पर स्ट्रेन बढ़ जाता है. जिसके कारण आपकी आंखों में जलन, चुभन महसूस होना, आंखें सूखी लगना, खुजली होना और आंखो में भारीपन, पास की चीजें देखने में समस्या होना, रंगों का साफ दिखाई न देना, एक चीज़ का दो दिखाई देना जैसी समस्याएं हो जाती है. कंप्यूटर पर लगातार नजरें न हटाने की वजह से आपके आंखो का मॉइश्चराइजर खत्म होने लगता हैं. ऐसा करने से आपके आंखो की नमी में कमी आ जाती है. इसीलिए डॉक्टर हमेशा कहते हैं कि जितना हो सकें हमें अपनी पलकें झपकानी चाहिए. पलकें झपकाने से हमारी आंखो की नमी बरकरार रहती है. हर घंटे के भीतर हमें कम से कम 5-10 मिनट तक आंख बंद करनी चाहिए. ऐसा करने से हमारे आंसू की परत तैयार होती है.

करें ये काम

हर एक घंटे के भीतर कम से कम 10 मिनट तक अपनी आंखो को बंद करके रखें. कंप्यूटर की ब्राइटनेस को कम करके रखें जिससे आपकी आंखो को काफी राहत मिलेगी. कंप्यूटर पर काम करते वक्त सीधे होकर बैठें इससे आपकी कमर की हड्डी मजबूत रहेगी. कंप्यूटर पर काम करते वक्त फोन को कंधे और गर्दन के बीच में रखकर न बात करें. ऐसा करने से आपकी गर्दन पर जोड़ पड़ेगा, जिससे आपकी गर्दन में दर्द शुरु हो जाएगा. ध्यान रहें कि कंप्यूटर पर काम करते वक्त आपकी बांहों का एंगल 90 डिग्री होना चाहिए.

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