नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी ने बतौर प्रधानमंत्री अपने पहले कार्यकाल में नोटबंदी से पूरे देश को झकझोर दिया था, अब अपने दूसरे कार्यकाल में एक बार फिर से लोगों को झकझोरने जा रहे हैं. अबकी बार निशाना नोट पर नहीं सोने पर है. जी हां, मोदी सरकार जल्द ही बेहिसाब सोने को हिसाब में लाने के लिए योजना ला रही है. यही नहीं सरकार इसके साथ गोल्ड बोर्ड भी स्थापित करने जा रही है.
सूत्रों की माने तो दुनिया में सबसे ज्यादा सोने की खपत करने वाले भारत में अब सरकार इस पर नियंत्रण कड़ा करने जा रही है. इसके लिए बेहिसाब सोने को हिसाब में लाने की तैयारी की जा रही है. इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ वित्त मंत्रालय के अधिकारी जुटे हुए हैं.
जानकारों के मुताबिक, योजना के तहत सरकार लोगों को एक निश्चित समय तक एक निश्चित मात्रा में सोने की जानकारी देने की छूट देगी, जिस पर उन्हें टैक्स देना पड़ेगा. योजना के समाप्त होने के बाद एक निश्चित सीमा के बाद सोना रखने पर भारी-भरकम टैक्स देना पड़ेगा. योजना में सोने का मूल्य तय करने के लिए सरकार वैल्यूवर तय करेगी. सूत्रों के मुताबिक, शादीशुदा महिला को एक सीमा तय गहने रखने की छूट दी जाएगी.
मोदी सरकार अगर इस दिशा में आगे बढ़ती है, तो यह नोटबंदी से भी ज्यादा बड़ा कदम साबित होगा. क्योंकि भारतीयों का रुपए-पैसों से ज्यादा भरोसा सोने पर होता है. अगर सरकार घर में रखे सोने पर हाथ लगाने का प्रयास करेगी तो पुरुषों के साथ-साथ उन्हें महिलाओं के भी कोप का शिकार होना पड़ेगा.
जानकारी के लिए बताते जाएं कि देश में हर साल 900 टन सोने का आयात किया जाता है. इस पर करीबन 2 लाख 50 हजार करोड़ रुपए खर्च होते हैं. ज्यादातर आयात किया जाने वाला सोना लोगों के तिजौरी में ही कैद रह जाता है, जो देश के लिए अनुपयोगी संपत्ति के अलावा भारी मात्रा में विदेशी आय को धक्का पहुंचाता है.
अब बात गोल्ड बोर्ड की. आर्थिक मामलों के विभाग और राजस्व विभाग ने गोल्ड बोर्ड का प्रस्ताव दिया है, जिसे इस वित्तीय वर्ष में अमल में लाया जाएगा. बोर्ड में सरकार के साथ निजी क्षेत्र के नुमाइंदे बैठेंगे, जो सोने को उपयोगी संपत्ति बनाने के साथ स्कीम को लोगों के लिए आकर्षक बनाने का प्रयास करेगी.