सभी सार्वजनिक जगहों पर लिखा होता है कि धुम्रपान निषेध. वहीं सिगरेट के पैकेट पर भी चेतावनी दी रही होती है कि धुम्रपान सेहत के लिए हानिकारक है. बिलकुल सही बात सिगरेट का धुआं हो या अगरबत्ती दोनों ही स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक होते हैं. कई शोधों में ये पाया गया कि आपके फेफड़ों पर अगरबत्ती और धूपबत्ती में इस्तेमाल होने वाले पॉलीएरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (पीएएच) का असर बहुत बुरा पड़ता है.

 

विशेषज्ञों की माने तो धूप और अगरबती का धुआं आपको सिगरेट से कहीं ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है. एक अध्ययन के मुताबिक अगरबत्ती के धुएं में शामिल केमिकल आपके डीएनए तक को बदल सकते हैं. इस अध्ययन में दावा किया गया है कि घरों में जलाई जाने वाली अगरबत्ती के धुएं में शामिल हानिकारक तत्वों से डीएनए जैसे जेनेटिक मटीरियल में बदलाव आ सकता है और यह म्यूटेशंस की वजह भी बन सकता है. घर के भीतर होने वाले धुएं से नुकसान को लेकर पहला अध्ययन हुआ है.

हो सकता है कैंसर

यह अध्ययन साउथ चाइना यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नॉलजी और चीन की चाइना टबैको ग्वांगडंग इंडस रेल कंपनी ने मिलकर किया. इस अध्ययन में सिगरेट और अगरबत्ती के धुएं से होने वाले नुकसान के बारे में तुलनात्मक अध्ययन किया गया था. अगरबत्ती के जलने के दौरान पार्टिकल मैटर हवा में घुलते हैं. यह सांस लेने के दौरान हवा के साथ आपके फेफड़ों तक पहुंचते हैं और वहीं फंस जाते हैं. इसका असर काफी खराब होता है. अध्ययन के दौरान लिए गए अगरबत्ती के धुएं के सैंपल में पाया गया कि इसमें 99 फीसदी अल्ट्राफाइन और फाइन पार्टिकल्स होते हैं. शरीर में जाने पर यह बुरा असर करते हैं. इससे सिगरेट के धुएं की तुलना में जिंदा सेल्स को ज्यादा नुकसान होता है और कैंसर की वजह बनता है.

सांस लेने में होगी दिक्कत

अगरबत्ती या धूपबत्ती को बनाने में कई बार घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है. बेहतर सुगंध के लिए इसमें पॉलीएरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (पीएएच) का इस्तेमाल किया जाता है. इसके कारण जब आप अगरबत्ती या धूपबत्ती जलाते हैं, तो आपको वातावरण सुगंधित तो लगता है मगर इसके धुंए में इस केमिकल की काफी मात्रा होती है. धुंए में मौजूद हाइड्रोकार्बन सेल मेम्ब्रेन में चिपक जाते हैं और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बनते हैं. शोध के मुताबिक लगातार अगरबत्ती के धुंए के सेवन से सांस लेने की क्षमता 30 प्रतिशत तक प्रभावित हो सकती है.

फेफड़ों के लिए सबसे घातक

धूपबत्ती में प्रयोग होने वाले केमिकल्स धुंए के साथ आपके फेफड़ों में पहुंचते हैं और आपको बीमार बना सकते हैं. लंबे समय तक धुएं के संपर्क में रहने से हाइड्रोकार्बन फेफड़ों में जमता जाता है. इसे देखने पर ये तत्व फेफड़ों में चारकोल के चिपकने जैसा लगता है. ये विषाक्त रसायन फेफड़े की झिल्लियों में संक्रमण पैदा कर जीवन पर खतरा बन रहे हैं. यही नहीं धुएं में डामर की तरह पाए जाने वाले रसायन में कई भारी तत्व एवं हाइड्रोकार्बन होते हैं, जो 10 माइक्रान से छोटे होने पर सीधे रक्त में दाखिल हो सकते हैं. ऐसे में ये आपकी किडनी, लिवर और दिल को भी प्रभावित कर सकते हैं.

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अस्‍थमा और सीओपीडी जैसी श्‍वसन संबंधी समस्‍या

अगरबत्‍ती और धूपबत्‍ती में ऐसे ढेर सारे हानिकारक तत्व होते हैं, जो इंसान की सेहत के लिए बहुत खतरनाक माने जाते हैं जैसे- सल्‍फर डाईऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन और फॉर्मल्डेहाईड आदि. ये केमिकल्स छोटे कणों और गैस के रूप में मौजूद होते हैं. इनके संपर्क में अधिक समय तक रहने से अस्‍थमा और सीओपीडी जैसी श्‍वसन संबंधी समस्‍या हो सकती है. इसके धुंए में लगातार रहने से फेफड़ों की कोशिकाओं में सूजन आ सकती है.

दिमाग पर भी पड़ता है असर

अगरबत्तियों से निकलने वाला केमिकलयुक्त धुंआ आपके नर्व्स को भी प्रभावित करता है. इसलिए लंबे समय तक प्रयोग से इसका असर आपके दिमाग पर भी पड़ता है. इसके कारण सिरदर्द और एकाग्रता की कमी की समस्या हो जाती है. कई बार लोग डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसे रोगों के भी शिकार हो जाते हैं.

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